इंडोनेशिया में आज भी होता है रामायण का मंचन.
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
इंडोनेशिया के पूर्व राष्ट्रपति सुकर्णो की छोटी बेटी सुकमावती सुकर्णपुत्री के इस्लाम छोड़ मंगलवार को हिंदू धर्म अपनाने की खबर ने सभी जगह पर हलचल मचाई हुई है। ऐसा इसलिए भी है क्योंकि इंडोनेशिया एक मुस्लिम बहुल आबादी वाला देश है। इसके बावजूद यहां पर हिंदू धर्म की जड़ें काफी गहरी हैं। वर्ष 2018 की जनगणना के मुताबिक यहां पर हिंदुओं की आबादी 2 फीसद से भी कम है। बाली में सबसे अधिक हिंदू रहते हैं। यहां पर आधिकारिक रूप से घोषित किया गया छठा धर्म हिंदू ही है। आज भी यहां रामायण का मंचन होता है।
पहली शताब्दी से हुआ हिंदू धर्म का उदय
पहली शताब्दी में हिंदू धर्म विभिन्न व्यापारियों, धर्म गुरुओं के माध्यम से इंडोनेशिया में पहुंचा था। छठी शताब्दी में भारत से इंडोनेशिया पहुंचा था। श्रीजीवा और मजाफित काल में भी हिंदू धर्म को यहां पर बढ़ावा मिला। मध्ययुगीन काल में इनके ही शासन काल में 1400 सीई में यहां इस्लाम का उदय हुआ था। इसकी वजह यहां के समुद्री तटों पर आने वाले मुस्लिम व्यापारी बने थे। इसके बाद धीरे-धीरे हिंदू धर्म पीछे छूटता चला गया और इस्लाम को लगातार बढ़ावा मिलता रहा।
परिषद हिंदू धर्म
वर्ष 2010 में सरकार के आंकड़ों के मुताबिक इंडोनेशिया में हिंदुओं की जनसंख्या करीब एक करोड़ थी। हालांकि परिषद हिंदू धर्म का मानना है कि सरकार द्वारा की गई जनगणना में हिंदुओं की जनसंख्या को सही से नहीं दर्शाया गया है। इस परिषद के मुताबिक देश में हिंदुओं की संख्या वर्ष 2005 में 1.80 करोड़ थी। यहां पर रहने वाली हिंदुओं की आबादी के मद्देनजर ये विश्व का चौथा ऐसा देश है जहां हिंदुओं की अधिक आबादी है। इसमें पहले नंबर पर भारत, दूसरे पर नेपाल और तीसरे पर बांग्लादेश का नाम आता है।
नरसिंहा को बताया विष्णु का अवतार
इंडोनेशिया में प्रचलित कथाओं में रता भटारा नरसिंहा को विष्णु का अवतार बताया गया है। यहां के गद्य में भी हिंदू देवी-देवताओं का जिक्र मिलता है। इनमें कई संस्कृत शब्दों का इस्तेमाल किया गया है। यहां पर हुई खुदाई में निकली कई सारी चीजों में हिंदू देवी देवताओं की मूर्तियां मिली हैं जो भगवान शिव, पार्वती, गणेश, ब्रह्मा की हैं। चीनी यात्री और स्कोलर फाह्यान ने भी अपने लेखन में जावा द्वीप को हिंदू धर्म के स्कूल के रूप में पेश किया है। फाह्यान ने इसका जिक्र सिलोन (मौजूदा श्रीलंका) से चीन की यात्रा के दौरान लिखे अपने लेखों में किया है।
चीनी दस्तावेजों में हिंदू शासन का जिक्र
चीन के दस्तावेजों में आठवी शताब्दी में यहां पर हिंदू राजा संजय को होलिंग के रूप में बताया गया है जो बेहद संपन्न था। इसमें शेलेंद्र राजा का भी जिक्र मिलता है। यहां पर हिंदू धर्म के प्रभाव को लेकर ये भी कहा जाता है कि यहां के लोगों ने न सिर्फ इस धर्म को अपनाया था बल्कि इसको आगे बढ़ाने का भी काम किया था। हिदू राजाओं ने यहां पर कई मंदिरों का निर्माण करवाया था। इनका नाम गोमती और गंगा नदी के नाम पर रखा गया था। यहां पर माताराम शासन काल में कई मंदिरों का निर्माण किया गया जो अपनी अनूठी शैली के तौर पर जाने गए। यहां का प्रंबानन मंदिर विश्व प्रसिद्ध है।
व्यांग प्रचलित कला
हिंदुओं के सूत्र को यहां पर स्थानीय भाषा में ट्रांसलेट तक किया गया है। इसका यहां पर चित्रण तक किया जाता है। अगस्त पर्व, पुराण, समख्या, वेदांत की मौजूदगी का यहां पर पता चलता है। यहां की सरकार ने भी कई जगहों पर हिंदू देवी देवताओं की मूर्तियां स्थापित की हैं। इनमें बाली में स्थापित सरस्वति की मूर्ति है, जिसको भारत में संगीत शिक्षा की देवी माना जाता है। यहां पर व्यांग के जरिए हिंदू देवी देवताओं की कथाओं को कठपुतली के नाच के जरिए दिखाया जाता है। बता दें कि ये इंडोनेशिया की एक खास कला है।
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