रांची पुलिस ने दंगाइयों का फोटो सार्वजनिक स्थानों पर लगाया,क्यों?
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
रांची शहर के मेन रोड में शुक्रवार को जुमे की नमाज के बाद प्रदर्शन के लिए सड़क पर उतरे लोगों द्वारा उपद्रव और हिंसा की घटना के बाद फैली अशांति को लेकर अब पुलिस के तेवर और सख्त हो गए हैं। पुलिस ने ईंट पत्थर बरसाने वाले दंगाइयों का पोस्टर जारी कर दिया है। इन पोस्टरों को रांची के सार्वजनिक स्थानों पर लगाया जा रहा है। पुलिस का कहना है कि इससे दंगाइयों की सही तरीके से शिनाख्त हो सकती है।
पुलिस ने यह कदम राज्यपाल रमेश बैस के निर्देश के बाद उठाया है। सोमवार को राज्यपाल रमेश बैस ने झारखंड के पुलिस महानिदेशक नीरज सिन्हा समेत कई वरीय अधिकारियों को राजभवन बुलाया था। उन्होंने अधिकारियों से इस घटना के बारे में जानकारी ली थी। यह भी पूछा था कि इस मामले में उनकी ओर से क्या कार्रवाई की गई। इधर खबर है कि देर शाम पुलिस ने इस पोस्टर में संशोधन का हवाला देते हुए फिलहाल इसे हटा लिया है।
खुफिया सूचना के बावजूद ठोस कदम नहीं उठाया गया
राज्यपाल रमेश बैस ने घटना पर नाराजगी जताते हुए अधिकारियों से पूछा था कि जब उन्हें पता था कि करीब 150 लोग रांची में उपद्रव मचा सकते हैं, तो उन्होंने पहले से ठोस कार्रवाई की तैयारी क्यों नहीं की? राज्यपाल के इस सवाल का अधिकारी ठीक-ठीक जवाब नहीं दे पाए। राज्यपाल उनसे पूरी तरह असंतुष्ट नजर आए। जो अधिकारी राज्यपाल से मिलने गए थे उनमें पुलिस महानिदेशक नीरज सिन्हा, एडीजी अभियान संजय आनंद लाटकर, रांची उपायुक्त छवि रंजन, एसएसपी सुरेंद्र झा शामिल थे। राज्यपाल के समक्ष डीजीपी ने स्वीकार किया कि खुफिया विभाग ने 150 लोगों द्वारा अराजकता फैलाने की आशंका का इनपुट दिया था।
अभी राज्य सरकार द्वारा गठित टीम कर रही जांच
बहरहाल, इस मामले में राजभवन की ओर से गृह मंत्रालय को रिपोर्ट भेज दी गई है। देखना यह होगा कि अब मंत्रालय क्या कदम उठाता है। उधर, झारखंड सरकार की दो सदस्यीय टीम भी इस मामले की जांच कर रही है। टीम के अधिकारी सोमवार को घटनास्थल पर गए थे। आज टीम के सदस्य संबंधित अधिकारियों से पूछताछ कर रहे हैं। यह रिपोर्ट झारखंड सरकार को सौंपी जानी है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के आदेश पर यह जांच टीम बनाई गई है। देखना यह दिलचस्प होगा कि यह रिपोर्ट केंद्र सरकार को भेजी जाती है या नहीं।
इस घटना को लेकर राजनीति भी हो गई है शुरू
इस घटना को लेकर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का सोमवार को एक बयान भी आया था, जिसमें उन्होंने घटना के पीछे के हिडेन एजेंडों को भी समझने की जरूरत बताई थी। इस बयान पर बाबूलाल मरांडी ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की थी। उन्होंने हेमंत सोरेन को कठघरे में खड़ा करने की कोशिश की थी। यानी कहा जा सकता है कि भाजपा और झामुमो के बीच इस मुद्दे पर राजनीति भी जारी है।
रांची पुलिस ने मंगलवार को मेन रोड में उपद्रव करने वाले रांची हिंसा के 17 आरोपितों को गिरफ्तार किया है। पुलिस ने इस मामले में अबतक 29 लोगों को गिरफ्तार कर लिया है। कई आरोपित रिम्स में भर्ती में हैं। रिम्स में भर्ती आरोपित जैसे ही ठीक होंगे उन्हें जेल भेज दिया जाएगा। इसके अलावा पुलिस ने 43 लोगों को हिरासत में लिया है। सभी से पूछताछ की जा रही है। पुलिस का कहना है कि सीसीटीवी फुटेज और फोटो के आधार पर आरोपितों की गिरफ्तारी हुई है। कई और आरोपितों की पहचान हो गई है। जल्द ही उन्हें भी पकड़ लिया जाएगा। इस मामले में एक भी आरोपित को छोड़ा नहीं जाएगा। पुलिस ने शहर में कई लोगों से वीडियो और फोटो लिया है। वीडियो और फोटो लेने के बाद सभी का सत्यापन किया गया इसके बाद आरोपितों की गिरफ्तारी हुई।
सोशल मीडिया पर भडकाऊ वीडियो डालने वाले छह लोगों पर प्राथमिकी दर्ज
कोतवाली थाना में साइबर डीएसपी के आदेश पर छह लोगों पर प्राथमिकी दर्ज की गई है। पुलिस की जांच में खुलासा हुआ है कि सभी आरोपित के आईडी से फेसबुक समेत अन्य सोशल साइट पर भड़काऊ वीडियो डाला गया था। वीडियो डालकर शहर में अशांति फैलने की कोशिश की जा रही थी। पुलिस ने इस मामले में राहुल कुमार गुप्ता, हमीद राजा, मेराज गुडडू, मोकरम हयात, मो हकीम और आईट जैद 786 को आरोपित बनाते हुए मामला दर्ज किया है।
पुलिस का कहना है कि इनके द्वारा घटना के दिन से लगातार वीडियो अपलोड किया जा रहा था। पूरे मामले की जांच साइबर डीएसपी के द्वारा की गई और साक्ष्य मिलने के बाद सभी के खिलाफ केस दर्ज हुआ। इन आरोपितों के खिलाफ कोतवाली थाना में पदस्थापित दारोगा के बयान पर मामला दर्ज हुआ है।
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