रेप-मर्डर केस : ढाई घंटे में गिरफ्तारी, 25 दिनों में जांच पूरी, सिर्फ 61 दिन में मिला न्याय
श्रीनारद मीडिया, सेंट्रल डेस्क:
पश्चिम बंगाल में रेप के बाद हत्या के एक मामले में सिर्फ 61 दिन में न्याय मिल गया. पश्चिम बंगाल की बारुईपुर अदालत ने पिछले अक्टूबर में एक नाबालिग लड़की से बलात्कार और हत्या के मामले में कल दोषी पाए गए गिरफ्तार युवक को मौत की सजा सुनाई है.
4 अक्टूबर को दक्षिण 24 परगना जिले के जयनगर में हुए 9 वर्षीय नाबालिग लड़की के साथ बलात्कार और हत्या के मामले में बारुईपुर POCSO अदालत ने 19 साल के मुस्तकिन सरदार को दोषी ठहराया था.
सिर्फ ढाई घंटे में आरोपी गिरफ्तार
पीड़ित लड़की के परिवार से गुमशुदगी की शिकायत मिलने के बाद पश्चिम बंगाल पुलिस ने जांच शुरू की थी और महज ढाई घंटे में आरोपी को गिरफ्तार कर लिया था. बारुईपुर पुलिस ने सिर्फ 25 दिनों के अंदर जांच पूरी कर एक मिसाल कायम की. 30 अक्टूबर को POCSO कोर्ट में पूरी चार्जशीट दाखिल कर दी गई थी.
36 गवाहों की हुई गवाही
चार्जशीट के बाद इस मामले की सुनवाई 4 नवंबर को बारुईपुर POCSO कोर्ट में शुरू हुई और 26 नवंबर को सुनवाई पूरी हो गई. सुनवाई के दौरान अदालत में कुल 36 गवाहों की गवाही हुई. राज्य जांच एजेंसी की ओर से स्टेट काउंसिल बिवास चटर्जी ने गिरफ्तार आरोपियों के खिलाफ अपराध साबित करने के लिए सभी वैज्ञानिक और भौतिक सबूत पेश किए.
आखिरकार, आरोपी मुस्तकिन सरदार को गुरुवार को अदालत ने दोषी ठहराया और सजा सुनाने के लिए आज शुक्रवार का दिन तय किया गया. जज सुब्रत चटर्जी ने उसे मौत की सजा सुना दी.
4 अक्टूबर को लापता हुई थी बच्ची
आरजी कर रेप और मर्डर केस को लेकर चल रहे आंदोलन के बीच 9 साल की नाबालिग लड़की से रेप और हत्या का ये मामला सामने आने के बाद पूरे बंगाल में हड़कंप मच गया. नौ वर्षीय छात्रा चार अक्टूबर की शाम जयनगर स्थित कोचिंग सेंटर से घर जाते समय लापता हो गई थी.
उसके परिवार ने जयनगर थाने में गुमशुदगी की शिकायत दर्ज कराई थी. एफआईआर 5 अक्टूबर की रात करीब 12:30 बजे दर्ज की गई. जांच शुरू करने के बाद, पुलिस को स्थानीय स्रोतों और एक प्रत्यक्षदर्शी से संदिग्ध व्यक्ति के बारे में सुराग मिला. एक सीसीटीवी फुटेज से आरोपी की पहचान की गई और रात करीब 2:45 बजे पुलिस ने उसे पकड़ लिया.
9 बजे तक भी चली अदालत
पूछताछ के दौरान, हिरासत में लिए गए आरोपी ने अपना अपराध कुबूल कर लिया और पुलिस को उस जगह लेकर गया जहां उसने पीड़िता के शव को फेंका था. दर्ज किए गए बयान के आधार पर, 9 वर्षीय पीड़िता का शव उस रात बरामद किया गया.
पीड़ित परिवार शुरू से ही दोषी को फांसी देने की मांग कर रहा था. मुकदमे को समय पर पूरा करने के लिए कभी-कभी अदालत रात के 9 बजे तक भी चलती थी. इस मामले में प्रत्येक हितधारक न्याय सुनिश्चित करने के लिए बहुत सक्रिय था.
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