देश में इन जगहों पर नहीं होता रावण दहन,क्यों?
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
देशभर में दशहरा का पर्व मनाया जा रहा है। बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक यह पर्व हर साल धूमधाम से बनाया जाता है। प्रभु श्री राम द्वारा राक्षस राज रावण के वध के उपलक्ष्य में हर साल आश्विन माह में दशहरा मानते हैं। आमतौर पर इस त्योहार को रावण दहन कर सेलिब्रेट किया जाता है। देश के विभिन्न हिस्सों में रावण के पुतले को आग लगाकर अच्छाई की जीत का जश्न मनाते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि भारत में कुछ ऐसी जगह भी हैं, जहां दशहरे के दिन रावण दहन नहीं किया जाता। यहां पर इस दिन रावण की मृत्यु का शोक मनाया जाता है।
मंदसौर, मध्य प्रदेश
मध्य प्रदेश के मंदसौर में रावण दहन नहीं किया जाता। ऐसा इसलिए क्योंकि इस शहर को रावण की पत्नी मंदोदरी का मायका कहा जाता है। ऐसी मान्यता है कि मंदोदरी यही की रहने वाली थी और इसलिए रावण यहां दामाद माना जाता है। इसी मान्यता के अनुसार यहां रावण का दहन नहीं, बल्कि उनकी पूजा होती है।
बेंगलुरु, कर्नाटक
कर्नाटक के बेंगलुरु में भी कुछ समुदाय के लोग रावण की पूजा करते हैं। यहां रावण की पूजा-अर्चना तो होती ही है, साथ ही उनके महान ज्ञान और शिव के लिए अनन्य भक्त की वजह से भी उन्हें आदर भाव दिया जाता है। इसलिए यहां दशहरे पर रावण दहन नहीं किया जाता।
कांकेर, छत्तीसगढ़
छत्तीसगढ़ का कांकेर एक और ऐसी जगह है, जहां रावण दहन नहीं किया जाता। यहां रावण को एक विद्वान के रूप में पूजा जाता है। इसलिए दशहरे के दिन उनके पुतले को जलाने की जगह रावण के ज्ञान और उनके बल को याद किया जाता है।
बिसरख, उत्तर प्रदेश
उत्तर प्रदेश के इस गांव को लेकर मानता है कि यहां रावण का जन्म हुआ था और इसलिए यहां के लोग रावण को अपना पूर्वज मानते हैं। साथ ही ऋषि विश्रवा का पुत्र होने की वजह से रावण को महा ब्राह्मण भी माना जाता है। ऐसे में दशहरे के दिन यहां रावण दहन की जगह उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की जाती है।
गढ़चिरौली, महाराष्ट्र
महाराष्ट्र की इस जगह पर रहने वाले गोंड जनजाति के लोग खुद को रावण का वंशज मानते हैं। उनका ऐसा मानना है कि सिर्फ तुलसीदास रचित रामायण में रावण को बुरा दिखाया गया है, जो कि गलत है। इसलिए वे रावण को अपना पूर्वज मान उनकी पूजा करते हैं और रावण का पुतला नहीं जलाते।
मंडोर, राजस्थान
राजस्थान के इस गांव में भी दशहरे पर रावण दहन नहीं किया जाता। ऐसा इसलिए क्योंकि यहां के लोगों का मानना है कि यह जगह मंदोदरी के पिता की राजधानी थी और यहीं पर रावण ने उनसे विवाह किया था। इसलिए रावण को दामाद मानने की वजह से यहां के लोग उनका सम्मान करते हैं और उनका पुतला नहीं जलाते।
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