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गुप्त नवरात्रि में विशेष माँ दुर्गा से शक्ति और कृपा प्राप्त करें : डॉ. सुरेश मिश्रा  - श्रीनारद मीडिया

गुप्त नवरात्रि में विशेष माँ दुर्गा से शक्ति और कृपा प्राप्त करें : डॉ. सुरेश मिश्रा 

गुप्त नवरात्रि में विशेष माँ दुर्गा से शक्ति और कृपा प्राप्त करें : डॉ. सुरेश मिश्रा

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श्रीनारद मीडिया, वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक, कुरूक्षेत्र (यूपी):

कुरुक्षेत्र : श्री दुर्गा देवी मन्दिर के अध्यक्ष व कॉस्मिक एस्ट्रो पिपली (कुरुक्षेत्र) के निदेशक ज्योतिष व वास्तु आचार्य डॉ. सुरेश मिश्रा ने बताया कि आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से आषाढ़ गुप्त नवरात्रि शुरू होंगे।गुप्त नवरात्रि 7 जुलाई 2024 से शुरू होंगे और नवमी नवरात्रि 15 जुलाई 2024 को समाप्त होंगे। चैत्र और शारदीय नवरात्रि की तरह ही गुप्त नवरात्रि में भी मां दुर्गा के अलग-अलग स्वरूपों की विधि-विधान से पूजा की जाती है। गुप्त नवरात्रि में पूजा का फल जल्दी और दोगुना मिलता है। इन दिनों में मां जल्दी प्रसन्न होती हैं और भक्तों को मनोवांछित फल देती हैं।

गुप्त नवरात्रि का विशेष महत्व :
प्रत्यक्ष नवरात्रि में देवी के नौ रूप और गुप्त नवरात्रि में 10 महाविद्या की पूजा की जाती है। इस नवरात्रि में विशेषकर शक्ति साधना, तांत्रिक क्रियाएं, मंत्रों को साधने जैसे कार्य किये जाते हैं। इस नवरात्रि में मां दुर्गा के भक्त विशेष नियम के साथ पूजा-अर्चना करते हैं। मंत्रों, तांत्रिक क्रियाएं और शक्ति साधना से लोग दुर्लभ शक्तियां अर्जित करना चाहते हैं।
मां दुर्गा घोड़े पर सवार होकर आएंगी : नवरात्रि में आदिशक्ति मां दुर्गा की सवारी का विशेष महत्व होता है। इस साल आषाढ़ गुप्त नवरात्रि 6 जुलाई, शनिवार से शुरू हो रहे हैं। शनिवार के कारण से मां दुर्गा घोड़े पर सवार होकर धरती पर आगमन करेंगी। मां दुर्गा का घोड़े पर आगमन प्राकृतिक आपदा का संकेत देता है।

माँ दुर्गा की विशेष पूजा :
गुप्त नवरात्रि में आधी रात को मां दुर्गा की पूजा की जाती हैं। मां दुर्गा की प्रतिमा या मूर्ति स्थापित कर लाल रंग का सिंदूर और चुनरी अर्पित करें। इसके बाद मां दुर्गा के चरणों में पूजा सामग्री को अर्पित करें। मां दुर्गा को लाल पुष्प चढ़ाना शुभ माना जाता है। सनातन धर्म के अनुसार प्रतिदिन सुबह शाम परिवार सहित अपने इष्ट देवी देवता और मां दुर्गा की आरती करने से विशेष आशीर्वाद और घर में सुख शान्ति का वातावरण होता है। प्रत्येक प्राणी के जीवन में जीवित और पूर्ण सदगुरु का होना आवश्यक है जिसके पास आत्म ज्ञान और परमात्मा का अनुभवी ज्ञान हो I त्रेतायुग में भगवान राम अपने गुरु वशिष्ठ और गुरु विश्वामित्र जी के निर्देशन में ही विशेष साधना करते है I द्वापरयुग में भगवान श्री कृष्ण अपने गुरु संदीपनी जी के निर्देशन में ही साधना करते है I
गुप्त नवरात्रि के समय मां आदिशक्ति का महामंत्र।
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे’ का प्रतिदिन जाप करने से समस्त कष्टों से मुक्ति मिलती है।

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