कलयुग में श्रीरामचंद्रायन के पाठ करने से तीनों तापों का होगा नाश
श्रीरामचंद्रायन पर परिचर्चा आयोजित
श्रीनारद मीडिया‚ सीवान (बिहार):
सीवान शहर के रामदेव नगर में डीएवी पीजी कॉलेज के रसायन विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष डा० प्रो० रामचंद्र सिंह के आवास पर ʺश्रीरामचंद्रायनʺ पर परिचर्चा का आयोजन किया गयाǃ इस परिचर्चा मे श्रीरामचंद्रायन के रचयिता प्रो० रामचंद्र सिंह‚ स्वत्व प्रकाशन के प्रतिनिधि कृष्णकांत ओझा‚ शिक्षाविद रमेन्द्र राय‚ प्रो० रविन्द्र नाथ पाठक‚ सुरेन्द्र तिवारी आदि ने कहा कि रामचंद्रायन हिन्दी में कविता में लिखा हिन्दी साहित्य का पहला रामायण है । अभी तक महर्षि वाल्मिकी द्वारा रचित रामायण को तुलसी दास ने अवधी में लिखा था‚ देश के कई भाषाओं में लोगों ने लिखा हैǃ
लेकिन हिन्दी में रामायण लिखने का श्रेय प्रो० रामचंद्र सिंह को जाता है। इस मौके पर स्वत्व प्रकाशन के कृष्णकांत ओझा ने कहा कि आम व्यक्ति भी रामचंद्रायन पढ़कर रामायण को समझा सकता हैǃ उन्होंने कहा कि इस ग्रंथ में रामायण की सभी घटनाओं की चर्चा प्रो० रामचंद्र सिंह ने बड़ी बारिकी से किया है । श्री ओझा ने कहा कि इस पुस्तक की एक सबसे बड़ी विशेषता यह है कि तुलसती पीठाधीशवर जगदगुरू रामभद्राचार्य जी महाराज ने इस पुस्तक के बारे में लिखकर इसकी महता और बढ़ा दिया हैǃ
इस मौके पर श्रीरामचंद्रायन के रचयिता प्रो० रामचंद्र सिंह ने कहा कि यह पुस्तक एक आम व्यक्ति भी पढ़कर जहां मर्यादापुरूषोतम राम के बारे में जान सकता है वहीं इस कलिकाल में इसे पढ़कर अपना तीनों ताप दैहिक‚ दैविक और भौतिक तापों को मिटा सकता हैǃ इस मौके पर श्रीरामचंद्रायन में लिखित गीतों को महावीरी विद्या मंदिर बरहन गोपाल के शिक्षक सुरेन्द्र तिवारी ने अपने स्वर में उपस्थित लोगों को गाकर सुनाया‚ जिसे सभी ने सराहा। इस मौके पर डा० अशोक प्रियमंबद‚ डा० विजय कुमार पांडेय‚ डा० राकेश कुमार तिवारी‚ राजेश पांडेय‚ गणेश सिंह‚ रूपेश सिंह‚ रविरंजन श्रीवास्तव‚ अभिषेक सिंह आदि मौजूद थेǃ
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