Notice: Function _load_textdomain_just_in_time was called incorrectly. Translation loading for the newsmatic domain was triggered too early. This is usually an indicator for some code in the plugin or theme running too early. Translations should be loaded at the init action or later. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 6.7.0.) in /home/imagequo/domains/shrinaradmedia.com/public_html/wp-includes/functions.php on line 6121
शारीरिक पीड़ा से उबर कंचन ने फाइलेरिया मरीजों को जागरूक करने की उठाया बीड़ा  - श्रीनारद मीडिया

शारीरिक पीड़ा से उबर कंचन ने फाइलेरिया मरीजों को जागरूक करने की उठाया बीड़ा 

 

शारीरिक पीड़ा से उबर कंचन ने फाइलेरिया मरीजों को जागरूक करने की उठाया बीड़ा

०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
priyranjan singh
IMG-20250312-WA0002
IMG-20250313-WA0003
previous arrow
next arrow
०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
priyranjan singh
IMG-20250312-WA0002
IMG-20250313-WA0003
previous arrow
next arrow

एमएमडीपी एवं पेशेंट सपोर्ट नेटवर्क से जुड़ने के बाद मिलने लगी नई जिदंगी:
हाथीपांव वाले कदम अब दूसरों के मदद के लिए बढ़ रहे आगे:
कभी सामाजिक स्तर पर झेली प्रताड़ना, अब दूसरों को दे रही रोग की जानकारी:

श्रीनारद मीडिया, कटिहार, (बिहार):

“बीते 15 वर्षों तक शारीरिक व मानसिक समस्याओं से जूझती रही हूँ। शारीरिक पीड़ा ने कब मानसिक घाव को जन्म दिया अच्छे से याद नहीं। अच्छे से चल नहीं पाने की पीड़ा समाज के सामने गर्व से खड़ा होने में बाधक ही रही। न जाने कितनी शारीरिक वेदनाएं झेलीं। जिंदगी बोझ सी लगने लगी थी। तभी मेरी जिदंगी में उम्मीद की नई किरण की दिखाई दी। इस किरण ने न केवल जिंदगी जीने की चाहत बदल दी। बल्कि, हाथीपांव से ग्रसित अन्य मरीजों कों प्रेरित करने का आत्मविश्वास भी जगा दिया। आज मेरी जिंदगी बदल गयी है”। यह कहते हुए 36 वर्षीय कंचन देवी राहत भरी सांस लेती हैं। दर्द से शुरू होने वाली कंचन की कहानी आज सफलता की कहानी प्रतीत हो रही है। आज वह पेशेंट नेटवर्क की सहायता से अपनी जिंदगी के साथ दूसरों की जिंदगी बदलने की राह पर निकल चुकी है।

पेशेंट सपोर्ट नेटवर्क हमारे लिए हुआ वरदान साबित:
कंचन का पैर आज पहले से सही होने लगा है। इस चमत्कार की उम्मीद शायद कंचन को भी नहीं थी। वह तो सामान्य सी बात समझ कर उस एमएमडीपी प्रशिक्षण शिविर में पहुंची थी। जहां उसे लगा था कि यहां तो सिर्फ फाइलेरिया की दवा मिलेगी। लेकिन, यहां उसे सिर्फ मर्ज की दवा हीं नहीं मिली। बल्कि, जीने की नई जिंदगी भी मिल गई। साथ ही साथ फाइलेरिया मरीजों को प्रेरित करने की प्रेरणा भी मिली। यह सब संभव हुआ पेशेंट नेटवर्क की मदद से। उनका कहना है “सचमुच मेरे जीवन के लिए पेशेंट नेटवर्क एक वरदान साबित हुआ।”

एमएमडीपी प्रशिक्षण में मिली जिंदगी जीने का पहला पड़ाव:
महादलित टोला निवासी व हाथी पांव से ग्रसित कंचन देवी को नई जिंदगी का पहला पड़ाव स्वास्थ्य विभाग द्वारा आयोजित एमएमडीपी प्रशिक्षण सह किट वितरण समारोह में मिली। बसगढ़ा गांव के उच्च विद्यालय में आयोजित इस शिविर में हमें लगा था कि यहां सिर्फ फाइलेरिया की दवा मिलेगी। पर, सिर्फ दवा ही नहीं, वहां मुझे इस बीमारी से बचाव के बारे में समझाया गया। साथ ही किट में मिले सामग्री से फाइलेरिया यानी हाथी पांव को कैसे साफ-सफाई करनी है इसकी जानकारी मिली। वह कहती हैं” मैनें उनकी बातों को ध्यान से सुना और उसका अनुसरण किया। नियमित पैर की सफाई करनी शुरू की। निरंतर आज भी करती आ रही हूं। जिसका सकारात्मक परिणाम भी दिख रहा है। पैर में काफी हद तक सूजन कम हो गया है। अब मैं अपने को सामाजिक, मानसिक व शारीरिक बोझ से उबरता हुआ महसूस कर रही हूं। कंचन कहती हैं कि रामपरी फाइलेरिया पेशेंट नेटवर्क नेटवर्क से जुड़ने के समय घर के आसपास रहने पर तरह-तरह की बातें करते थे। नेटवर्क के साथ जुड़ने से काई फायदा नहीं होता है। लेकिन मन में एक तरह से विश्वास जगी कि इससे जुड़ने के बाद मुझे फायदा हो सकता है। हालांकि अब मैं बेहतर महसूस कर रही हूं। जिसका पूरा श्रेय एमएमडीपी एवं पेशेंट नेटवर्क समूह को देती हूं।”

अब धीरे-धीरे मानसिक वेदनाओं से उबरने लगी हैं कंचन:
कंचन देवी अब धीरे-धीरे उन बीते हुए शारीरिक, मानसिक व सामाजिक लम्हों से उबरने लगी है। कंचन में अब वो जज्बा और हौसला प्रफूल्लित होने लगा है, जिसकी उर्जा से प्रेरित होकर फाइलेरिया से ग्रसित अन्य मरीजों में नई जिदंगी लाने की बीड़ा उठा ली है। वह कहती हैं “इसका मकसद यही है कि मैंने फाइलेरिया बीमारी के दौरान मुश्किल भरी जिंदगी जी है। सामाजिक दंश को झेला। इसीलिए ऐसा ठान लिया है कि अब ऐसी जिंदगी किसी दूसरे मरीजों को नहीं झेलनी पड़ी। इसके लिए सामाजिक स्तर पर जागरूक करने का बीड़ा उठा ली हूं।”

कटिहार जिला के कोढ़ा प्रखंड के बसगढ़ा गांव के महादलित बस्ती निवासी सिकंदर चौधरी की 36 वर्षीया पत्नी कंचन देवी ने बताती हैं कि उम्र की आधी जिदंगी हाथी पांव के कारण बोझ तले दबी रही हूं। पर, अब कुछ महीनों के अंदर आधा बोझ कम हो गया है। साथ ही मानसिक तनाव से उबरने के कगार पर आ गई हूं। दरअसल, हाथी पांव की बीमारी पूरी तरह तो ठीक नहीं हो सकती, लेकिन नियमित सफाई व सुरक्षित रहने से इसे काफी हद तक कम किया जा सकता है।

कंचन फाइलेरिया मरीजों को कर रही हैं जागरूक:
पेशेंट नेटवर्क से जुड़कर कंचन अब ग्रामीणों को फाइलेरिया बीमारी से बचाव एवं सुरक्षत रहने के लिए जागरूक कर रही है। कंचन मानती है की उनकी जिंदगी का अब एक ही मिशन रह गया है जिसमे वह अपना दुःख दर्द साझा कर दूसरे को जागरूक करें।

 

यह भी पढ़े

बड़हरिया के औराईं पंचायत के दो वार्ड सदस्यों पर गबन का मामला दर्ज

महागठबंधन की सरकार किसान एवं बेरोजगारों के लिए कार्य करना शुरू किया : रणधीर सिंह

शिव परिवार मूर्ति प्राण प्रतिष्ठात्मक रुद्र महायज्ञ को लेकर हुआ ध्वजारोहण

मिरजुमला व शंकरपुर पैक्स में शुरू हुई धान की खरीददारी

महामदा इंटर महाविद्यालय का डीइओ ने किया जांच

Leave a Reply

error: Content is protected !!