प्राकृतिक खेती के प्रति सजगता लाने के लिए उत्तर प्रदेश के लखनऊ में प्रादेशिक परामर्श
श्रीनारद मीडिया, वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक, सेंट्रल डेस्क:
केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान, गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कृषि वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों को मार्गदर्शन दिया।
प्राकृतिक खेती की शुरुआत करने वाले किसान को भारत सरकार सब्सिडी देगी : शिवराज सिंह चौहान।
बीज से बाजार तक कृषि उत्पादों के प्राकृतिक स्वरूप को बरकरार रखना होगा : योगी आदित्यनाथ।
प्राकृतिक खेती से उत्पादन कम नहीं होगा, प्राकृतिक खेती से व्यक्ति पहलवान बनेगा जबकि रासायनिक खेती से कैंसरवान बनेगा : राज्यपाल आचार्य देवव्रत।
प्राकृतिक कृषि विज्ञान प्रादेशिक परामर्श कार्यक्रम में उत्तर भारत के विभिन्न राज्यों की कृषि युनिवर्सिटियों के उप कुलपति, विशेषज्ञ और प्रगतिशील किसानों ने शिरकत की।
गांधीनगर राजभवन : प्राकृतिक खेती के विज्ञान के प्रति सजगता लाने और प्राकृतिक खेती का दायरा बढ़ाने के लिए आज उत्तर प्रदेश के लखनऊ में भारत सरकार के कृषि एवं किसान कल्याण और उत्तर प्रदेश सरकार के संयुक्त तत्वावधान में प्रादेशिक परामर्श कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान, गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उत्तर भारत के राज्यों के कृषि वैज्ञानिकों, कृषि विशेषज्ञों और प्रगतिशील किसानों को प्राकृतिक कृषि का दायरा बढ़ाने का मार्गदर्शन दिया।
केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि देश के किसान अपने खेतों के कुछ भाग में प्राकृतिक खेती करें। प्राकृतिक खेती की शुरुआत करने वाले किसानों को भारत सरकार सब्सिडी देगी। देश के एक करोड़ किसानों को प्राकृतिक खेती के लिए जागरूक किया जाएगा। यह एक करोड़ किसान भारत के कोने-कोने में जाकर प्राकृतिक खेती का प्रचार करेंगे।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्रभाई मोदी के धरतीमाता को रसायनों से बचाने के संकल्प को पूर्ण करने के लिए हम सम्पूर्ण प्रयास करेंगे। आनेवाले समय में किसान रसायनमुक्त खेती करें, जिससे आनेवाली पीढ़ी स्वस्थ रहे। श्री चौहान ने कहा कि देश की कृषि युनिवर्सिटियों में प्राकृतिक खेती के अभ्यास और संशोधन के लिए प्रयोगशालाएं स्थापित की जाएंगी। इनके द्वारा देश में प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहन मिलेगा और अनाज के भंडार भी भर जाएंगे।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि रासायनिक खाद के अत्यधिक उपयोग के परिणामस्वरूप आज पंजाब से ‘कैंसर ट्रेन’ चलानी पड़ रही है। रासायनिक खाद से धीमा जहर मानव और पशु-पक्षियों के शरीर में प्रवेश कर रहा है। हमें बीज से लेकर बाजार तक कृषि उत्पादों के प्राकृतिक स्वरूप को बनाए रखना होगा।
योगी आदित्यनाथ ने कहा कि उत्तर प्रदेश में जल्द ही एक कृषि युनिवर्सिटी स्थापित की जाएगी जो सम्पूर्णतया प्राकृतिक कृषि को समर्पित होगी। उन्होंने कहा कि भारी संख्या में लोग मुख्यमंत्री राहत कोष में से उपचार के लिए धन की मांग करते हैं, जिनमें सबसे ज्यादा संख्या कैंसर रोगियों की है। कुछ वर्ष पहले स्थिति इतनी ज्यादा खराब नहीं थी। आज गांवों में कई युवा किडनी, हृदय अथवा कोई कैंसर रोग से पीड़ित है। इसका कारण यह है कि हमारे आहार को कहीं ना कहीं असर हुआ है। इसके चलते नयी बीमारियां फैल रही हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्रभाई मोदी ने सभी को गम्भीर बीमारियों से बचाने के लिए प्राकृतिक खेती का नया मंत्र दिया है।
गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रतजी ने कहा कि प्राकृतिक खेती से उत्पादन कम नहीं होगा और पानी के उपयोग में भी 50 से 60 फीसदी की बचत होगी। ग्लोबल वार्मिंग पर नियंत्रण आएगा, रासायनिक खाद पर खर्च होने वाले भारत सरकार के ढाई लाख करोड़ रुपए बचेंगे, लोगों का स्वास्थ्य ठीक रहेगा, स्वास्थ्य सुधरेगा और देसी गाय माता का संवर्धन भी होगा। एक काम के अनेक लाभ हैं। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खेती से व्यक्ति पहलवान बनेगा जबकि रासायनिक खेत उत्पादन से कैंसरवान बनेगा।
कृषि वैज्ञानिकों और कृषि विश्वविद्यालय के विशेषज्ञों से अनुरोध करते हुए आचार्य देवव्रत ने कहा कि जब तक हम प्राकृतिक खेती और जैविक खेती के भेद को समझ नहीं लेंगे तब तक, प्राकृतिक खेती का मिशन आगे नहीं बढ़ेगा। सबसे बड़ी समस्या ही यही है कि वैज्ञानिक और कृषि के साथ जुड़े लोग ही प्राकृतिक खेती और जैविक खेती का भेद नहीं समझते। इसका परिणाम यह है कि वह स्वयं ही भ्रमित हैं और वह किसानों को भी भ्रमित कर रहे हैं। राज्यपाल ने जैविक खेती और ऑर्गेनिक खेती की विस्तृत जानकारी देकर उसके दुष्परिणामों से सभी को अवगत करवाया।
उन्होंने कहा कि वह किसान भी रहे हैं और शिक्षक भी रहे हैं। उन्होंने अपने हाथों से हल भी चलाया है। वह गाय का दूध दुहने की एक स्पर्धा में प्रथम आए थे। वह आज भी फावड़ा उतनी ही मजबूती से चलाते हैं। राज्यपाल ने कहा कि वह खेती करते हैं, खेती में कागजी कार्यवाही के मास्टर नहीं हैं। उन्होंने कहा कि हमारा दुर्भाग्य है कि जिन्होंने मात्र डिग्री हासिल की है, खेती की जानकारी नहीं है। एक भी टुकड़े में जिन्होंने आज तक खेती नहीं की है, ऐसे लोग किसानों को खेती सिखा रहे हैं। अगर हम प्राकृतिक खेती के विज्ञान को समझ लेंगे तो देश का भाग्य बदल जाएगा।
आचार्य देवव्रत ने कहा कि प्राकृतिक खेती विशुद्ध जीवाणु की खेती है। प्राकृतिक खेती में बाहर से कोई सामान नहीं लाना होता। जब किसान का खर्च ही जीरो होगा और उत्पादन नहीं घटेगा तो किसानों और देश को लाभ होगा। प्राकृतिक खेती अगर प्रमाणिकता से करेंगे और उसके पांच परिमाण के साथ की जाए तो लाभ तय है। जीवामृत, घनजीवामृत, बीजामृत, आच्छादन-मल्चिंग और मल्टी क्रॉप, एक समय अनेक फसल। बस यह पांच नियम और बीमारियों से रोकथाम के लिए नीमास्त्र, अग्न्यास्त्र, ब्रह्मास्त्र जैसी जड़ी- बूटियां अगर खेतों के पौधों से तोड़कर गौ-मूत्र में बनाया जाए तो यह तमाम बीमारियों का उपाय साबित होता है।
कृषि वैज्ञानिकों और कृषि विशेषज्ञों के प्रति बहुत ही सम्मान के साथ आचार्य देवव्रत ने कहा कि देश आजाद हुआ और हरित क्रांति की आवश्यकता थी, उस समय हमारे पूर्वजों ने देश को भुखमरी से बचाया था। आज आपके सामने धरती को बचाने की चुनौती है। लोगों का स्वास्थ्य बचाने की चुनौती है। किसानों को समृद्ध बनाने की चुनौती है और भारत का धन बचाने की चुनौती है। भूमि बचेगी तो हम बचेंगे। इन तमाम समस्याओं का एकमात्र निराकरण प्राकृतिक कृषि पद्धति है।
इस अवसर पर उत्तर प्रदेश के कृषि मंत्री सूर्यप्रताप शाही, कृषि राज्यमंत्री बलदेवसिंह औलख, लद्दाख के कार्यकारी सदस्य स्टेनझिन चोस्फेल, उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह, कृषि उत्पादन कमिश्नर डॉ. देवेश चतुर्वेदी, केंद्र सरकार के कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के संयुक्त सचिव डॉ. योगिता राणा सहित विभिन्न कृषि युनिवर्सिटियों के उप कुलपति, विशेषज्ञ और प्रगतिशील किसान भारी संख्या में उपस्थित रहे।
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