नियमित टीकाकरण दिवस- दिसंबर तक मिजल्स तथा रुबैला के उन्मूलन को लेकर वृहत पैमाने पर किया जा रहा प्रचार प्रसार
विभिन्न संक्रमित बीमारियों से सुरक्षित करने को लेकर चिकित्सा पदाधिकारियों को दिया गया आवश्यक दिशा निर्देश: सिविल सर्जन
नवजात शिशुओं का संपूर्ण टीकाकरण जरूरी: डीआईओ
नियमित टीकाकरण में 12 प्रकार की जानलेवा बीमारियों से बचाव को किया जाता है टीकाकरण: एमओआईसी
श्रीनारद मीडिया, पूर्णिया, (बिहार):
खसरा एवं रुबैला पर प्रभावी नियंत्रण व उन्मूलन के लिए स्वास्थ्य विभाग टीकाकरण को पहले से भी अधिक सशक्त माध्यम बनाकर नवजात शिशुओं का शत प्रतिशत टीकाकरण कराने का लक्ष्य निर्धारित किया है। सिविल सर्जन डॉ अभय प्रकाश चौधरी ने बताया कि नियमित टीकाकरण सत्रों के अलावा सघन मिशन इंद्रधनुष के सभी चक्रों में मिजल्स और रुबैला के टीकाकरण से वंचित बच्चों में टीके की दोनों डोज देकर इस बीमारी से सुरक्षित करने को लेकर जिले के सभी स्वास्थ्य केंद्रों के प्रभारियों को आवश्यक दिशा निर्देश दिया गया है। जिसको लेकर राज्य स्वास्थ्य समिति के कार्यपालक निदेशक संजय कुमार सिंह ने बिहार के सभी जिलों के सिविल सर्जन को पत्र लिखा है। जिसमें दिसंबर 2023 को मिजल्स तथा रुबैला के उन्मूलन वर्ष को ध्यान में रखते हुए वृहत पैमाने पर प्रचार प्रसार करने को कहा गया है।
नवजात शिशुओं का संपूर्ण टीकाकरण जरूरी: डीआईओ
जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ विनय मोहन ने कहा कि इस समय नवजात शिशुओं के भी स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। जिसमें उनका संपूर्ण टीकाकरण करा कर भविष्य में होने वाली कई प्रकार की बीमारियों से सुरक्षा प्रदान की जा सके। बच्चे के जन्म पर बीसीजी, ओरल पोलियो वैक्सीन और हेपेटाइटिस बी का टीका देना होता है। वहीं छः सप्ताह पर पेंटावेलेंट, 10 सप्ताह पर पेंटावेलेंट ओपीवी टू, रोटावायरस टू, 14 सप्ताह पर पेंटावेलेंट, ओपीवी थ्री, रोटावायरस थ्री, आईपीवी टू, पीसीवी टू दिया जाना है। वहीं 9 से 12 महीनों पर खसरा और रुबैला वन टीका देना जरूरी होता है। जबकि 16 से 24 महीनों पर खसरा, डीपीटी बूस्टर वन, ओपीवी बूस्टर और 5 से 6 साल पर डीपीटी बूस्टर टू का टीका दिया जाता है। इसके बाद 10 वर्ष के बाद और 16 वर्ष पर टेटनस एंड एडल्ट डिप्थेरिया का टीका दिया जाता है।
नियमित टीकाकरण में 12 प्रकार की जानलेवा बीमारियों से बचाव के लिए किया जाता है टीकाकरण: एमओआईसी
शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ अरविंद कुमार झा ने बताया कि सिविल सर्जन डॉ अभय प्रकाश चौधरी के मार्गदर्शन में हमलोग टीकाकरण कार्यक्रम को संचालित करते हैं। स्थानीय यूपीएचसी में प्रशिक्षित स्वास्थ्य कर्मियों और एएनएम के द्वारा नवजात शिशुओं के लिए प्रतिदिन टीकाकरण कार्यक्रम आयोजित किया जाता है।
हालांकि विशेष रूप से क्षेत्रों में अभियान चलाकर नवजात शिशुओं और गर्भवती महिलाओं सहित धात्री माताओं का टीकाकरण कार्य किया जाता है। क्योंकि रोस्टर के अनुसार एएनएम द्वारा विभिन्न वार्ड के सभी आंगनबाड़ी केन्द्रों पर सभी तरह के टीके लगाए जाते हैं। नियमित टीकाकरण के अंतर्गत 12 प्रकार की जानलेवा बीमारियों से बचाव के लिए टीकाकरण किया जाता है।
नियमित टीकाकरण के आच्छादन में गिरावट होने से जानलेवा बीमारियों के संक्रमण बढ़ने की संभावना बनी रहती है। छूटे हुए बच्चों में वैक्सीन प्रीवेंटबल डिजीज के संक्रमण का खतरा बढ़ने की आशंका बनी रहती है। नियमित टीकाकरण दिवस (बुधवार एवं शुक्रवार) को नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र या सत्र स्थलों पर जाकर अनिवार्य रूप से अपने बच्चों को टीके लगवाना चाहिए।
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