महज 4 दशक में फर्श से अर्श पर पहुंच गया रिलायंस इंडस्ट्रीज,कैसे?
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
धीरूभाई अंबानी. भारत के दिग्गज उद्योगपतियों में शुमार मुकेश और उनके छोटे भाई अनिल अंबानी के पिता थे धीरूभाई अंबानी. वर्ष 1957 में यमन और अदन स्थित ए बेस एंड कंपनी का काम छोड़कर धीरूभाई अंबानी भारत लौट आए. यहां आकर उन्होंने मुंबई के मस्जिद बंदर में 500 वर्गफुट में यार्न ट्रेडिंग की शुरुआत की, लेकिन इससे भारत में बड़ी कंपनी स्थापित करने का सपना पूरा होता दिखाई नहीं दिया.
1977 में रिलायंस का पहला आईपीओ हुआ पेश
वर्ष 1977 में रिलायंस टेक्सटाइल इंडस्ट्रीज का आईपीओ लॉन्च किया गया, जिसने भारत के शेयर बाजार में एक इतिहास स्थापित किया. इश्यू सात बार ओवर सब्सक्राइब किया गया, जिसने रिलायंस के विकास करने के सपने को पूरा करने में मजबूती प्रदान की. इसके बाद रिलायंस ने गुजरात के नरोदा में कपड़े के एक मिल की स्थापना की और यहीं से रिलायंस के भाग्योदय की भी शुरुआत हुई. मुकेश अंबानी ने रिकॉर्ड 18 महीने में पातालगंगा की बड़ी निर्माण परियोजना की स्थापना की.
1991 में टेक्सटाइल के क्षेत्र में रखा कदम
रिलायंस की विकास यात्रा लगातार जारी रही. वर्ष 1991 में हजीरा प्लांट की स्थापना के साथ ही रिलायंस दुनिया भर में पोलिस्टर के बड़े उत्पादकों की श्रेणी में शुमार हो गई. इसके बाद रिलायंस ने रिफाइनरी के क्षेत्र में कदम रखते हुए वर्ष 2000 में रिकॉर्ड 36 महीने के दौरान जामनगर में पेट्रोकेमिकल और रिफाइनरी कॉम्प्लेक्स की स्थापना की. इसके चारों ओर ग्रीन बेल्ट का विकास किया गया और जामनगर के आसपास के रेगिस्तान में सबसे बड़ा मानव निर्मित सबसे बड़ा घर तैयार हो गया, एशिया का सबसे बड़ा आम का बगीचा.
2002 में दूरसंचार क्षेत्र में किया प्रवेश
वर्ष 2002 में रिलायंस ने दूरसंचार कारोबार में प्रवेश किया और भारत में मोबाइल टेलीफोन के क्षेत्र में भारत में सबसे बड़ी क्रांति लाने में अहम भूमिका निभाई. 2055 में अपने रणनीतिक फैसले के तहत रिलायंस ने अपने कोरोबार को पुनर्गठित किया. बिजली उत्पादन और वितरण, वित्तीय सेवा और दूरसंचार सेवाओं को अलग कर दिया गया.
2004 में फॉर्च्यून ग्लोबल 500 की सूची में शामिल
वर्ष 2004 में रिलायंस पहली बार भारत के निजी क्षेत्र के संस्थान के तौर पर फॉर्च्यून ग्लोबल 500 की सूची में शामिल की गई. इसके अलावा, रिलायंस पहली बार भारत में निजी क्षेत्र की उन कंपनियों में शामिल की गई, जिसे मूडीज और स्टैंडर्ड एंड पूअर्स जैसी वैश्विक रेटिंग एजेंसियों ने रेटिंग तय की.
2009 में हाइड्रोकार्बन क्षेत्र में की शुरुआत
2009 में रिलायंस ने केजीडी-6 ब्लॉक में हाइड्रोकार्बन के उत्पादन के क्षेत्र में कदम रखा और अपनी खोज के केवल दो वर्षों में यह दुनिया का सबसे तेज ग्रीन-फील्ड डीपवाटर ऑयल डेवलपमेंट प्रोजेक्ट बनी. इस विकास के साथ रिलायंस एक अभूतपूर्व यात्रा को पूरा कर अपने एक नए पड़ाव पर पहुंच गई.
भारत में डिजिटल क्रांति की शुरुआत
इसके बाद डिजिटल खाई को पाटने के लिए रिलायंस जियो इन्फोकॉम लिमिटेड ने अखिल भारतीय स्तर पर डिजिटल क्रांति की शुरुआत करते हुए अत्याधुनिक वायरलेस ब्रॉडबैंड के जरिए 4जी सेवाओं को आरंभ किया. 2019 में 10 खरब रुपये के बाजार मूल्यांकन के साथ रिलायंस भारत की पहली कंपनी बन गई.
दुनिया की सबसे मूल्यवान कंपनियों में शुमार
कंपनी के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक मुकेश अंबानी ने कहा कि महज चार दशकों में एक छोटे स्टार्टअप से शुरू होकर रिलायंस और एक दुनिया की बड़ी कंपनी के रूप में स्थापित हो गई है. वर्ष 2020 में रिलायंस दुनिया की सबसे अधिक मूल्यवान कंपनियों में 48वें पायदान पर पहुंच गई, जबकि फॉर्च्यून ग्लोबल 500 की सूची में यह 96वें स्थान पर पहुंच गई.
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