मुंगेर में जैन मुनि श्री श्री 108 अचार्य प्रमुख सागर सम्मान से विभूषित हुए प्रख्यात कलाकार मधुरेंद्र
सैंड आर्टिस्ट मधुरेंद्र को मिला अचार्य प्रमुख सागर सम्मान
श्रीनारद मीडिया, स्टेट डेस्क, पटना:
उत्तर प्रदेश के इटावा से दो हजार किलोमीटर से अधिक की पदयात्रा करते हुए प्रसिद्ध जैन मुनि श्री श्री 108 आचार्य श्री प्रमुख सागर महाराज अपने काफिले के साथ सोमवार को मुंगेर के चौक बाजार स्थित दिगम्बर जैन मन्दिर पहुंचे। जहां जैन समाज के लोगों ने उनकी भव्य स्वागत किया गया। मंदिर परिसर के प्रांगण में आयोजित संध्या भजन कार्यक्रम के अवसर पर अपनी संबोधन उपरांत आचार्य प्रमुख सागर ने मुख्य मंच से भारत देश के लोकप्रिय प्रसिद्ध रेत कलाकार मधुरेंद्र कुमार को स्मृति चिन्ह और माला पहनाकर “आचार्य प्रमुख सागर सम्मान” से विभूषित किया।
बता दें कि सैंड मधुरेंद्र को कला के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिए उन्हें यह सम्मान अचार्य प्रमुख सागर ने अपने हाथों आशिर्वाद के रूप में दी। वही कलाकार मधुरेंद्र ने उन्हें अपनी हाथ से बनाई गई आचार्य जी का साधनारत स्केच पेंटिंग भी भेट की।
सैंड आर्टिस्ट मधुरेंद्र ने बताया कि जैन मुनि आचार्य प्रमुख सागर जी महाराज आज से 29 साल पहले उन्होंने इत्रनगरी से ही धर्म और अध्यात्म का सफर शुरू किया था। मूल रूप से इटावा निवासी मुकेश कुमार जैन (पूर्व नाम) ने महज 21 साल की उम्र में वात्सल्य दिवाकर आचार्य पुष्पदंत सागर से सन्यास की दीक्षा ली थी। 29 दिसंबर 1994 को मैनपुरी से गृह त्याग कर वह कन्नौज आए थे, जहां मोहल्ला छिपट्टी में सपा एमएलसी पुष्पराज जैन पम्पी के पिता ने उन्हें कमंडल भेंट किया था, जो आज भी उनके पास है। आचार्य प्रमुख सागर धर्म और अध्यात्म को लेकर कई पुस्तकें भी लिख चुके हैं।
मौके पर आचार्य श्री पुष्पदंत सागर जी के परम शिष्य आचार्य श्री प्रमुख सागर जी महाराज के संघ में मुनि श्री प्रभाकर सागर जी महाराज, क्षुल्लक श्री प्रगुण सागर जी महाराज, क्षुल्लिका प्रेक्षाश्री माता जी, क्षुल्लिका प्रतिज्ञाश्री माता जी, क्षुल्लिका श्री परीक्षाश्री माता जी व क्षुल्लिका आराधनाश्री माता जी के साथ ही क्षुल्लक श्री पुकार सागर जी महाराज और मुंगेर दिगम्बर जैन मंदिर के सचिव भावेश जैन समेत उपस्थित दर्जनों संघ में शामिल सभी संतों व साध्वियों ने भी सैंड आर्टिस्ट मधुरेंद्र की कलाकृति की सराहना करते जिनेंद्र प्रभु से उनके उज्वल भविष्य की कामना की।
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