बार-बार होते बेहोश, नहीं टूटता दिव्यांग रंजीत बम का हौसला

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सावन में दो बार जलार्पण करते दोनों हाथों से दिव्यांग शंकर

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

उत्तरवाहिनी गंगा सुल्तानगंज से जल लेकर बाबाधाम की सौ किलोमीटर की यात्रा पर अग्रसर हैं दोनों पैरों से दिव्यांग शिवभक्त रंजीत नोनिया. इस दिव्यांग शिवभक्त की भोलेनाथ के प्रति आस्था व कठिन भक्ति देख कांवरिया पथ के सभी श्रद्धालुओं व स्थानीय लोगों का रोम-रोम सिहर उठ रहा है.

हावड़ा स्टेशन पर पानी की बोतल बेचते हैं रंजीत बम

कोलकाता के बालू घाट निवासी रामेश्वर नोनिया के 40वर्षीय पुत्र रंजीत नोनिया जन्म से ही दोनों पैरों से दिव्यांग हैं. वे हावड़ा स्टेशन पर पानी की बोतल बेचकर अपनी आजीविका चलाते हैं. रंजीत बाबा बैद्यनाथ धाम यानी देवघर की यात्रा पर निकल गये हैं.

हाथों के बल ही घसीट कर चौथी बार जा रहे बाबाधाम

पैरों से दिव्यांग रहने के कारण रंजीत अपने हाथों के बल ही घसीट कर बाबाधाम की यात्रा करते हैं. वे चौथी बार गंगाजल लेकर बाबा दरबार जा रहे हैं. सुल्तानगंज से नौ दिनों में वे करीब सत्तर किलोमीटर की यात्रा करते हुए कटोरिया पहुंचे हैं.

बार-बार होते बेहोश, पर नहीं टूटता हौसला

इस कठिन संकल्प यात्रा के दौरान सोमवार को रंजीत दो बार बेहोश भी हो गये. जमुआ मोड़ के निकट बेहोश होने पर उन्हें रेफरल अस्पताल पहुंचाया गया. प्राथमिक उपचार की सेवा लेने के बाद जब वे वापस लौटे, तो पुन: बाबाधाम की ओर अग्रसर हो गये.

बीमार पिता के स्वस्थ होने की कामना

रंजीत आगे तो बढ़े लेकिन राजबाड़ा के निकट पहुंचने पर वे फिर एक बार बेहोश हो गये. समूचे रास्ते इस भक्त को कांवरियों व स्थानीय लोगों ने कई प्रकार की सेवाएं भी दी. दिव्यांग शिवभक्त रंजीत नोनिया ने बताया कि वे भोलेनाथ से अपने बीमार पिता के स्वस्थ होने की कामना करेंगे.

दोनों हाथों से लाचार शंकर बम को जानें

गौरतलब है कि श्रावणी मेला के दौरान कांवरिया पथ पर कई ऐसे कांवरिये दिख रहे हैं जिनमें हौसले का संचार कुछ ऐसा है जिसके सामने उनकी परेशानी भी बौनी साबित हो जाती है. गया के शंकर ठाकुर भी ऐसे ही एक कांवरिया हैं जो दोनों हाथों से लाचार हैं लेकिन सावन में दो बार बाबाधाम की यात्रा करते हैं.

सावन में दो बार जलार्पण करते दोनों हाथों से दिव्यांग शंकर

श्रावणी मेला 2022 की शुरुआत होते ही सुल्तानगंज से देवघर तक कांवरिया पथ केसरिया रंग से पट गया है. कांवरिया पथ पर अलग-अलग उम्र के कांवरिया चलते दिखते हैं. लेकिन कुछ कांवरिया ऐसे भी होते हैं जिनपर जाकर सबकी निगाहें थम जाती है. ऐसे ही एक कांवरिया हैं शंकर ठाकुर जो दोनों हाथों से दिव्यांग हैं लेकिन बाबा बैद्यनाथ के प्रति उनकी भक्ति अपार है.

सुल्तानगंज से बाबाधाम की डगर पर भक्त व भक्ति का एक से बढ़कर एक अनूठा रूप देखने को मिल रहा है. इनमें गया जिला के एक शिवभक्त की भोलेनाथ के प्रति अटूट आस्था व श्रद्धा को देख श्रद्धालु दांतों तले अंगुली दबाने को मजबूर हो जाते हैं.

गया जिला के अलीपुर थाना क्षेत्र अंतर्गत हाड़ी-मकदुमपुर गांव निवासी मुनी ठाकुर का 35वर्षीय पुत्र शंकर ठाकुर भले ही जन्म से ही दोनों हाथों से दिव्यांग हैं. लेकिन वे प्रत्येक सावन महीना में दो बार पैदल यात्रा करते हुए बाबा बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग पर जलार्पण करते हैं.

दिव्यांग शिवभक्त शंकर ठाकुर की यह संकल्प यात्रा कई वर्षों से जारी है. रविवार को कांवरिया पथ के राजबाड़ा के निकट प्रभात-खबर से बातचीत के दौरान भक्त शंकर ठाकुर ने बताया कि इस वर्ष तीन बार बाबाधाम में जलार्पण करने का लक्ष्य रखा है. सावन की पहली सोमवार को जलार्पण को लेकर वे अन्य कांवरियों की अपेक्षा तेज रफ्तार से कदमों को बढ़ाते चलते हैं.

वैसे तो इस बार उनके साथ गांव के अन्य छह श्रद्धालु कांवर यात्रा कर रहे हैं. लेकिन अगले जलार्पण पर वे अकेले बाबाधाम की यात्रा करेंगे. दिव्यांग शंकर ठाकुर कांवरिया पथ में आकर्षण का भी केंद्र बने रहे. उन्होंने बताया कि वे पैर के सहारे ही ग्लास से पानी पी लेते हैं. पैर से ही रोटी भी पका लेते हैं. बाबा दरबार पहुंच कर अपने घर परिवार के लिये सुख, शांति व समृद्धि की कामना करेंगे.

 

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