गणतंत्र दिवस व सरस्वती पूजा 19 साल बाद एक साथ,क्यों?
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
19 वर्ष के बाद एक साथ राष्ट्र धर्म गणतंत्र दिवस व ज्ञान पर्व सरस्वती पूजा मनाई जाएगी। इस दिन विधार्थी सर्वप्रथम देश की आन बान व शान राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा को सलामी देंगे फिर ज्ञान विधा की अधिष्ठात्री देवी मां सरस्वती की आराधना करेंगे। मां हंसवाहिनी से राष्ट्र के विकास में उनका भी योगदान हो, इसके लिए विद्या का वरदान भी मागेंगे।
भंटापोखर निवासी आचार्य उपेंद्र पांडेय ने बताया कि पंचांगों की गणना के बाद निष्कर्ष निकाला गया है कि प्रत्येक 19 वर्षो के बाद यह स्थिति बनती है जब गणतंत्र दिवस और सरस्वती पूजा एक साथ मनाया जाता हैं। उन्होंने बताया की इससे पूर्व वर्ष 2004, वर्ष 1985 और वर्ष 1966 में भी दोनों महापर्व एक साथ मनाया गया था। इस बार भी 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस व सरस्वती पूजा एक साथ मनेगा। आचार्य ने बताया कि राष्ट्रधर्म के साथ ज्ञान का पर्व मनाना विद्यार्थियों के लिए सोने पर सुहागा है।
दोनों महापर्व विद्यार्थियों के जीवन में अहम स्थान रखता है। एक देश के प्रति भाग को जागृत करता है तो दूसरे से ज्ञान की प्राप्ति होती है। दोनों पर आपको उत्सव के साथ खासकर विद्यार्थी मनाते हैं।आचार्य ने बताया कि देवी भागवत के अनुसार वर्ष में चार नवरात्र हैं। माघ माह में पड़ने वाले नवरात्र को गुप्त नवरात्रि कहा जाता है।
इसी नवरात्रि यानी माघ शुक्ल पंचमी को तीन महादेवियों में प्रधान मां सरस्वती का प्राकट्य हुआ था। इनके एक हाथ में पुस्तक तो दूसरे हाथ में वीणा है। मां सरस्वती को वीणावादिनी भी कहे जाते है। ज्ञान की देवी भगवती मां सरस्वती की संगीत के लिए भी आराधना की जाती है।
गणतंत्र दिवस व सरस्वती पूजा की तैयारी शुरू
गणतंत्र दिवस व सरस्वती पूजा की तैयारी शुरू हो चुकी है। गणतंत्र दिवस को लेकर राष्ट्रीय ध्वज का निर्माण आरंभ हो चुका है। वहीं सरस्वती पूजा को लेकर मूर्तिकार माता सरस्वती की प्रतिमा जिले के शांति वट वृक्ष के समीप, राम राज्य मोड़ के समीप, पुरानी किला, दीनदयाल नगर, महादेवा, समेत अलग-अलग हिस्सों में तैयार कर रहे हैं। अपनी पसंद के अनुसार लोग मूर्तिकार से अग्रिम बुकिंग भी करा रहे हैं।
मां सरस्वती की प्रतिमाओं की हो रही बुकिंग
इस बार झूला, कमल, वीणा सिंहासन पर विराजमान भगवती सरस्वती की प्रतिमा अधिक देखने को मिलेगी। दीनदयाल नगर के एक मूर्तिकार राजू कुमार, महादेवा के सुभाष कुमार, अशोक, सुमेश ने बताया कि सरस्वती पूजा को लेकर प्रतिमा बनाने का कार्य शुरू हो चुका है। लोग मनपसंद मूर्ति बनाने के लिए आकार व सजावट से संबंधित नक्शा भी उपलब्ध करा रहे हैं। कुछ लोग पूर्व से निर्मित प्रतिमा में सजावट को लेकर अपने-अपने विचार भी दे रहे हैं।
- यह भी पढ़े…….
- चीन में भारतीयों पर हमले:बीजिंग-शंघाई में निशाना बनाकर हो रही मारपीट
- क्या बिहार में जातिगत जनगणना पर लगेगी रोक ?
- भारत में कहां है Diamond Crossing? यहाँ चार दिशाओं से आती हैं ट्रेनें!
- शास्त्री के साथ क्या हुआ था,समझौता, सियासत और एक पीएम की मौत ?