‘हर भारतीय के लिए गौरवपूर्ण दिवस है गणतंत्र दिवस’

‘हर भारतीय के लिए गौरवपूर्ण दिवस है गणतंत्र दिवस’

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
previous arrow
next arrow
०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
previous arrow
next arrow

संविधान को लागू करनेवाले इस ऐतिहासिक गणतंत्र दिवस की सूक्ष्म जानकारी हर भारतवासी को होनी चाहिए। 9 दिसंबर 1946 को संविधान निर्माण के लिए पहली सभा संसद भवन में हुई थी, जिसमें डॉ. राजेन्द्र प्रसाद को संविधान सभा का अध्यक्ष चुना गया था। वहीं, डॉ. भीमराव आंबेडकर को इस कमेटी का चेयरमैन बनाया गया था। गहन विचार मंथन के उपरांत दो वर्ष 11 महीने और 18 दिन में भारत का संविधान 26 नवंबर 1949 को बनकर तैयार हुआ। इसलिए हम 26 नवंबर को संविधान दिवस मनाते हैं।

फिर संविधान तैयार होने के ठीक दो महीने बाद यानि 26 जनवरी 1950 को ये देश में लागू किया गया। इस संविधान के कारण भारत को लोकतांत्रिक देश बनाया गया। इसलिए हम भारतवासी 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस मनाते हैं। हमारे संविधान की मूल प्रति को दो भाषाओं, हिंदी और अंग्रेजी में प्रेम बिहारी नारायण रायजादा ने लिखी जो कॉपी हस्तलिखित और कैलीग्राफ्ड थी।

6 महीने की अवधि में लिखे गए संविधान में टाइपिंग या प्रिंट का इस्तेमाल नहीं किया गया। इस संविधान के लागू होने के समय इसमें 395 अनुच्छेद, 8 अनुसूचियां और 22 भाग थे। 395 अनुच्छेद वाला हमारा पूरा संविधान हाथ से लिखा गया था। वर्तमान में 12 अनुसूचियां और 25 भाग हैं।

इस संविधान को बनाने वाली समिति में 284 सदस्य थे, जिन्होंने 24 नवंबर 1949 को संविधान पर दस्तखत किए थे। इसमें से 15 महिला सदस्य थीं। भारतीय संविधान की पांडुलिपि एक हजार से ज्यादा साल तक बचे रहने वाले सूक्ष्मजीवी रोधक चर्मपत्र पर लिखकर तैयार की गई है। पांडुलिपि में 234 पेज हैं, जिनका वजन 13 किलो है।

भारतीय संविधान के साथ ही भारत के ‘राष्ट्रगीत’और ‘राष्ट्रगान’ को लेकर भी लोग संशय में पड़ जाते हैं। इसकी भी जानकारी देशवासियों के लिए आवश्यक है। राष्ट्रगान किसी देश का वह गीत होता है, जो उस देश की सभी राष्ट्रीय महत्व के अवसरों पर अनिवार्य रूप से गाया जाता है। जबकि, राष्ट्रगीत हर उस अवसर पर गाना अनिवार्य नहीं है।

हमारे देश का राष्ट्रगान “जन-गण-मन अधिनायक जय हे, भारत भाग्य विधाता” है, जबकि हमारा राष्ट्रगीत “वंदे मातरम” है। संविधान सभा ने जन-गण-मन को राष्ट्रगान के रूप में 24 जनवरी 1950 को अपनाया था। इसे सर्वप्रथम 27 दिसम्बर 1911 को कांग्रेस के कलकत्ता अधिवेशन में दोनों भाषाओं में (बंगाली और हिन्दी) गाया गया था। पूरे गान में पांच पद हैं।

‘राष्ट्रगीत’ और ‘राष्ट्रगान’ देश के उन धरोहरों में से हैं, जिनसे देश की पहचान जुड़ी होती है। प्रत्येक राष्ट्र के ‘राष्ट्रगीत’ और ‘राष्ट्रगान’ की भावनाएं भले ही अलग हों, लेकिन उनसे राष्ट्रभक्ति की भावना की ही अभिव्यक्ति होती है। राष्ट्रगान की रचना प्रख्यात कवि रविंद्रनाथ टैगोर ने की थी।

यह मूल रूप से बांग्ला भाषा में लिखा गया था, लेकिन बाद में इसका हिंदी और अंग्रेजी में भी अनुवाद कराया गया। रविंद्रनाथ टैगोर ने राष्ट्रगान की रचना वर्ष 1911 में ही कर ली थी। 24 जनवरी,1950 को संविधान सभा द्वारा इसे स्वीकार किया गया। राष्ट्रगान के पूरे संस्करण को गाने में कुल 52 सेकेंड का समय लगता है।

अधिकतर लोगों को नहीं पता होता कि राष्ट्रगान बजते समय क्या सावधानी बरतनी चाहिए। दरअसल, राष्ट्रगान जब भी कहीं बजाया जाता है तो देश के प्रत्येक नागरिक का ये कर्तव्य होता है कि वो अगर कहीं बैठा हुआ है तो उस जगह पर खड़ा हो जाए और सावधान की मुद्रा में रहे। साथ ही नागरिकों से ये भी अपेक्षा की जाती है कि वो भी राष्ट्रगान को दोहराएं।

भारत का राष्ट्रगीत ‘वंदे मातरम्’ है। इसके रचयिता बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय हैं। उन्होंने इसकी रचना साल 1882 में संस्कृत और बांग्ला मिश्रित भाषा में किया था। यह स्वतंत्रता की लड़ाई में लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत था। इसे भी भारत के राष्ट्रगान ‘जन-गण-मन’ के बराबर का ही दर्जा प्राप्त है।

इसे पहली बार साल 1896 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सत्र में गाया गया था। राष्ट्रगीत की अवधि भी लगभग 52 सेकेंड है। ‘वंदे मातरम्’ पर विवाद बहुत पहले से चला आ रहा है। इसका चयन राष्ट्रगान के तौर पर हो सकता था, लेकिन कुछ समुदाय के विरोध के कारण इसे राष्ट्रगान का दर्जा नहीं मिला।

इसी तरह हमारे राष्ट्रीय ध्वज का भी महत्व है। हमारा राष्ट्रीय ध्वज-तीन रंगों से निर्मित है। राष्ट्रीय ध्वज 22 जुलाई,1947 को संविधान सभा द्वारा स्वीकृत किया गया था। राष्ट्रध्वज की लंबाई और चौड़ाई का अनुपात 2:3 का होता है। इसमें तीन रंग होते हैं- गहरा केसरिया, उजला और गहरा हरा।

झंडे के सबसे ऊपरी भाग में केसरिया रंग साहस, बलिदान और त्याग का प्रतीक है, मध्य भाग में उजला रंग सत्य और शांति का तथा हरा रंग विश्वास और संपन्नता का प्रतीक है। इसके मध्य हल्के नीले रंग का एक चक्र बना होता है, जिसमें 24 तीलियाँ होती हैं। यह चक्र सारनाथ में स्थित अशोक के धर्म चक्र से लिया गया है, जो हमें हमेशा आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है।

 

Leave a Reply

error: Content is protected !!