ददुआ, ठोकिया और विकास दुबे को मार गिराने वाले एनकाउंटर स्पेशलिस्ट को जिम्मेदारी

ददुआ, ठोकिया और विकास दुबे को मार गिराने वाले एनकाउंटर स्पेशलिस्ट को जिम्मेदारी

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

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उमेश हत्याकांड के 24 दिन बीत चुके हैं। हत्याकांड के दो आरोपी एनकाउंटर में मारे जा चुके हैं, एक घायल है। तीन आरोपियों के घरों पर बुलडोजर चल चुका है। 5 आरोपियों पर पांच-पांच लाख रुपए का इनाम घोषित किया जा चुका है।

अतीक की पत्नी शाइस्ता परवीन पर भी 25 हजार का इनाम है। भाई अशरफ की बरेली जेल में लगातार रेड चल रही है। अतीक को पूछताछ के लिए गुजरात की साबरमती जेल से यूपी लाने की तैयारी है। दो नाबालिग बेटे बाल सुधार गृह भेज दिए गए हैं। अतीक का पूरा परिवार और गैंग दर-बदर है।

इस गेम को ओवर करने का टास्क STF चीफ अमिताभ यश और अनंत देव को मिला है। इन दोनों नामों से यूपी में माफिया थरथराते हैं। अमिताश यश की अगुआई में STF की 50 सदस्यीय टीम ने दुर्दांत डकैत गौरी को मार गिराया था। जबकि अनंत देव ने डकैत ठोकिया और ददुआ के खिलाफ ऑपरेशन को लीड किया था।

अब अतीक गिरोह के खात्मे के लिए दोनों एक साथ हैं। उनकी टीम में करीब STF के 200 जवान हैं। जो यूपी के साथ 8 राज्यों में गिरोह के सदस्यों को तलाश रहे हैं। एक टीम नेपाल और थाईलैंड भी गई है।

शाम को करीब 5 बजे का वक्त रहा होगा। वकील उमेश पाल कार का गेट खोलकर उतरते हैं। इतने में 7 शूटर्स उन पर फायरिंग और बम झोंक देते हैं। उमेश चंद कदम ही भाग पाते हैं और अपने घर की गली में गिर जाते हैं। हमले में उमेश और उनके दो गनर की भी मौत हो जाती है। पूरी घटना, CCTV में कैद हो गई। बदमाशों ने इस हत्याकांड को 44 सेकेंड में अंजाम दिया।

उमेश, पूर्व विधायक राजू पाल हत्याकांड के मुख्य गवाह थे। उमेश पाल की पत्नी जया पाल ने अतीक अहमद के साथ अशरफ, पत्नी शाइस्ता परवीन, उसके दो बेटों और अन्य के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया। पुलिस ने अतीक के दोनों बेटों के साथ अब तक करीब 10 संदिग्धों को हिरासत में लिया है।

CM योगी ने सदन में अखिलेश यादव के सवाल पर जवाब दिया। सीएम ने कहा- ‘’हम माफिया के खिलाफ हैं, उन्हें मिट्टी में मिला देंगे। हम किसी भी माफिया को नहीं छोड़ेंगे।’

उमेश की हत्या से पहले तीन बार रिहर्सल, शूटरों ने कोलकाता में ली शरण,

अतीक के करीबियों की जमीनों के सौदे में उमेश पाल दखल देने लगा था, जिसके चलते उमेश के खिलाफ भी मुकदमे दर्ज हुए थे. ऐसी खबरें लगातार गुजरात की साबरमती जेल में अतीक तक पहुंच रही थीं. अतीक के करीबी रिश्ते कोलकाता के बंदरगाह इलाके में तमाम मुस्लिम समुदाय के रसूखदार (गद्दी मालिकों) लोगों से हैं. अतीक ने गद्दी मालिकों के लिए कोलकाता में अपने गुर्गों के जरिए कई वारदातें भी अंजाम दी हैं. उमेश हत्याकांड में शामिल कुछ शूटरों ने कोलकाता (पश्चिम बंगाल) में गद्दी मालिकों के पास शरण ली है, ऐसा यूपी पुलिस को शक है. वारदात के पहले तीन बार रिहर्सल किए जाने की जानकारी भी जांच टीम को मिली है.

यूपी के डॉन अतीक अहमद पर सके शिकंजे के बीच राज्य के पूर्व डीजीपी ओपी सिंह का बड़ा बयान आया है। ओपी सिंह ने कहा कि अगर अतीक को राजनीतिक संरक्षण नहीं मिलता तो वह 1990 में ही डॉन का आतंक खत्म कर देते। सिंह ने कहा कि वह तब अतीक और उसके गैंग को गिरफ्तार करना चाहते थे लेकिन राजनीतिक दबाव के चलते वह ऐसा नहीं कर सके। उन्होंने कहा कि अगर तब अतीक गिरफ्तार हो जाता या उसका एनकाउंटर कर दिया जाता तो वह उसके आतंक का साम्राज्य इतना नहीं बढ़ पाता।

1990 में अतीक के अड्डे पर मारा था छापा

 पूर्व डीजीपी ने दावा किया कि जब वह 1989-90 में इलाहाबाद (प्रयागराज) के एसपी सिटी के रूप में तैनात थे, तो उन्होंने अतीक खिलाफ दर्ज एक केस को लेकर पुलिस की एक टीम के साथ अतीक के अड्डे पर छापा मारा था। उस समय अतीक के हजारों समर्थकों ने पुलिस दल को घेर लिया था और पुलिसकर्मियों को गोली मारने के लिए तैयार थे। सिंह ने दावा किया कि माफिया अतीक के गुर्गों द्वारा पूरी पुलिस पार्टी को मार गिराया जा सकता था, अगर उन्होंने अतीक को चेतावनी नहीं दी होती कि अगर उसके गुर्गों ने पुलिस पार्टी पर एक भी गोली चलाई, तो अतीक और उसके समर्थक दोनों को पुलिस ढेर कर देगी।

अतीक के गुर्गों की तलाश में पुलिस

पुलिस ने अब तक अतीक के गिरोह के केवल 10 सदस्यों का पता लगाया है और अब अन्य सदस्यों की तलाश पड़ोसी राज्यों के साथ-साथ आगरा सहित यूपी के विभिन्न शहरों में कर रही है। इस बीच, यूपी के पूर्व डीजीपी ओपी सिंह के दावों पर टिप्पणी करते हुए एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा कि मुख्तार अंसारी और अतीक अहमद दोनों विधायक थे और राज्य की राजनीतिक मशीनरी पर उनकी मजबूत पकड़ थी। हालांकि, अब ये दोनों एनकाउंटर में मारे जाने के डर से खुद को जेलों के अंदर सुरक्षित मानते हैं।

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