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दुर्घटनाग्रस्त ट्रेन के यात्रियों के लिए फरिश्ता साबित हुए आर पी एफ उप निरीक्षक प्रमोद कुमार 

दुर्घटनाग्रस्त ट्रेन के यात्रियों के लिए फरिश्ता साबित हुए आर पी एफ उप निरीक्षक प्रमोद कुमार

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श्रीनारद मीडिया, मृत्‍युंजय तिवारी, भेल्‍द, छपरा (बिहार):

कहते हैं कि फोर्स का एक सैनिक या जवान कभी ऑफ ड्यूटी नही होता। 18 जुलाई को गोंडा जिले के मोतीगंज और झिलाही रेलवे स्टेशनों के मध्य गाड़ी संख्या 15904 चंडीगढ़ डिब्रूगढ़ एक्सप्रेस के दुर्घटनाग्रस्त होने की घटना के दौरान यह कहावत 100% सच साबित हुई। घटना के दौरान उसी ट्रेन में उप निरीक्षक प्रमोद कुमार आरपीएफ पोस्ट छपरा पूर्वोत्तर रेलवे, वाराणसी मंडल भी रेलवे कोर्ट गोंडा में गवाही के बाद ऑफ ड्यूटी होकर कोच संख्या B – 1 में सवार होकर वापस छपरा लौट रहे थे तभी यह ट्रेन दुर्घटना हो गई।

घटना होने पर चंडीगढ़ डिब्रूगढ़ एक्सप्रेस के कई एसी और स्लीपर कोच पटरी से उतर कर पलट गए थे जिससे चारों तरफ मची चीख पुकार में एक क्षण को उप निरीक्षक प्रमोद कुमार समझ न पाए कि एकाएक यह क्या हो गया। घटना में उन्हें भी चोटें आई थी क्योंकि कई यात्री उनका कोच पलटने से उनके ऊपर आ गिरे थे लेकिन तुरंत उन्हें अपनी वर्दी और ड्यूटी का एहसास हुआ क्योंकि ऐसी ही स्थिति और परिस्थितियों से निपटने के लिए ही एक जवान को तैयार और फिट किया जाता है। उनका B- 1 कोच 75 से 80 डिग्री झुकी हालत में लटका हुआ था, भगदड़ होने और जिसके पलटने पर और कई यात्री, महिलाओं, बच्चों के दबकर ज्यादा घायल होने की पूरी संभावना थी। इनके द्वारा तुरंत इस दुर्घटना की सूचना लखनऊ मण्डल के उपलब्ध आरपीएफ नंबरों पर* देने के बाद मौके पर पूरी सूझबूझ से कार्य करते हुए कुछ यात्रियों के सहयोग से इमरजेंसी खिड़की और दरवाजे के कांच और सीसे को तोड़कर अपने कोच और दुर्घटनाग्रस्त अन्य कोचों के यात्रियों, महिला और बच्चों को सुरक्षित बाहर निकाला गया।

घटना होने पर और लोकल थाना मोतीगंज गोंडा के पहुंचने तक उप निरीक्षक प्रमोद कुमार अकेले ही वर्दी में मौजूद थे जिनके द्वारा अपनी सूझबूझ, ड्यूटी और कर्तव्यों का बखूबी निर्वाहन करते हुए मोर्चा संभालकर घायल यात्रियों, महिलाओं, बच्चों को यथासंभव रेस्क्यू किया गया। मोतीगंज थाने की पुलिस के आने पर उनके सहयोग से गंभीर रूप से घायल 04 यात्रियों और मृतकों को अस्पताल भिजवाया गया। मौके पर उप निरीक्षक द्वारा स्वयं भी घायल होने के बावजूद सूझबूझ और आरपीएफ ट्रेनिंग में मिली सिखलाई से बिना ड्यूटी के रहते हुए भी अपनी वर्दी का फर्ज निभाकर कई यात्रियों का रेस्क्यू और बचाव किया गया, वह निःसंदेह अद्वितीय, काबिले तारीफ और जीवनरक्षक है, जिसके लिए उप निरीक्षक प्रमोद कुमार ने पूरे आरपीएफ को गौरवान्वित किया है।

 

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