टारगेट पर थे RSS नेता, केंद्र ने दी Y कैटेगरी की सुरक्षा
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
पॉपुलर डेमाक्रेटिक फ्रंट (PFI) से केरल के राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ(RSS) नेताओं की सुरक्षा के मद्देनजर केंद्र सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। सूत्रों के मुताबिक, केरल के 5 आरएसएस नेताओं को केंद्र सरकार की ओर से सुरक्षा दी गई है। हाल ही में गिरफ्तार किए गए कुछ पीएफआई नेताओं से पूछताछ में ये बात सामने आई है कि उनके निशाने पर कई आरएसएस नेता थे।
RSS के 5 नेताओं को Y कैटेगरी की सुरक्षा
बताया जा रहा है कि केंद्रीय गृह मंत्रालय ने एनआइ (NIA) और आइबी (IB) की रिपोर्ट के आधार पर केरल के पांच आरएसएस नेताओं को वाइ (Y) कैटेगरी की सुरक्षा दी है। इन नेताओं की सुरक्षा में अब पैरामिलिट्री फोर्स के कमांडो तैनात रहेंगे। सूत्रों की मानें तो पीएफआइ नेताओं के पास से एक लिस्ट मिली है, जिसमें कई आरएसएस नेताओं का नाम लिखा था।
PFI नेताओं पर छापेमारी के दौरान अहम खुलासे
पीएफआइ पर केंद्र सरकार ने अगले 5 सालों के लिए बैन लगा दिया है। पिछले दिनों देशभर में पीएफआइ के ठिकानों पर एनआइए ने छापेमारी की थी, जिसमें कई चौंकानेवाले तथ्य सामने आए। 22 सितंबर को पीएफआइ के सदस्य मोहम्मद बशीर पर छापेमारी के दौरान एनआइए को आरएसएस नेताओं की लिस्ट मिली, जिसमें आरएसएस के 5 नेताओं को जान से मारने का जिक्र किया गया था। इसके बाद सुरक्षा एजेंसियों आरएसएस नेताओं की सुरक्षा को लेकर बेहद सतर्क हो गईं। इसी के चलते केंद्रीय गृह मंत्रालय ने पांचों नेताओं को वाई कैटेगरी की सुरक्षा दी है।
जज, पुलिस अधिकारी और यहूदियों को निशाना बनाने की भी थी साजिश
बताया जा रहा है कि केंद्र और राज्यों के अधिकारियों ने गुरुवार को बताया कि प्रतिबंधित पापुलर फ्रंट आफ इंडिया (पीएफआई) ने कथित रूप से हाई कोर्ट के जजों, वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों, अहमदिया मुसलमानों और तमिलनाडु आने वाले विदेशियों खासकर यहूदियों को निशाना बनाने की साजिश रची थी। उन्होंने बताया कि छापों के दौरान मिले दस्तावेज में पीएफआई के 2047 तक के रोडमैप के बारे में भी पता चलता है।
आइएस की जिहादी गतिविधियों में भी शामिल था पीएफआइ
भारत में सांप्रदायिक नफरत फैलाने वाले पापुलर फ्रंट आफ इंडिया (पीएफआइ) के कई सदस्य खूंखार आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट (आइएस) की जिहादी गतिविधियों में भी शामिल हुए हैं। सीरिया में आइएस की आतंकी गतिविधियों में शामिल हुए पीएफआइ के दो सदस्य मारे भी जा चुके हैं। पीएफआइ अपने सदस्यों को कई देशों से होते हुए सीरिया भेजता था, ताकि वे सुरक्षा एजेंसियों की नजर में नहीं आएं। आइएस से संबंध और देश में सांप्रदायिक नफरत फैलाने के आरोप में केंद्र सरकार ने पीएफआइ और उसके कई संगठनों पर पांच साल का प्रतिबंध लगाया है।
पीएफआइ के खिलाफ एनआइए के देशव्यापी छापे और कार्रवाई में जो दस्तावेज मिले हैं उसके अनुसार पीएफआइ नेता अब्दुल मनाफ उर्फ अबू फातीमांद और मोहम्मद समीर उर्फ अबू सफवान सीरिया में आइएस की तरफ से लड़ते हुए मारे गए थे। 2017 में केरल पुलिस को राज्य के कुछ मुस्लिम युवाओं के सीरिया जाने के बारे में सूचना मिली थी, जांच में इनमें से ज्यादातर पीएफआई के सदस्य पाए गए थे।
खाड़ी देशों से लौटा हमजा नाम का जिहादी युवाओं को आइएस में भर्ती होने के लिए तैयार करता था। केरल से युवाओं को दूसरे देशों से होते हुए सीरिया भेजने की योजना मोहम्मद समीर ने बनाई थी। हमजा के साथ मिलकर समीर युवाओं को पहले सऊदी अरब, फिर मलेशिया और उसके बाद तुर्किये भेजते थे। तुर्किये से ये युवक सीरिया में प्रवेश करते थे। दूसरे देशों में पीएफआइ के कई सदस्यों को गिरफ्तार किया गया था, जिन्हें बाद में वापस भारत भेज दिया गया।
11 पीएफआइ सदस्य 20 तक न्यायिक हिरासत में
केरल की विशेष एनआइए अदालत ने शुक्रवार को पीएफआइ के 11 सदस्यों को 20 अक्टूबर तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया। एनआइए ने इन्हें पिछले हफ्ते गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत गिरफ्तार किया था। सात की हिरासत अवधि खत्म होने के बाद एनआइए ने इन्हें कोर्ट में पेश किया था। एनआइए ने राज्य पुलिस के साथ मिलकर कोझीकोड़ समेत केरल के कई जिलों में पीएफआइ के दफ्तरों को भी सील किया।
पीएफआइ से जुड़ाव के शक में छापा
एनआइए ने पीएफआइ से जुड़वा के शक में कर्नाटक के दक्षिण कन्नड़ जिले के मित्तुर में एक सामुदायिक हाल पर छापा मारा। यहां पीएफआइ के सदस्यों को ट्रेनिंग दिए जाने की जानकारी मिली थी। एनआइए ने सामुदायिक हाल को संचालित करने वाले ट्रस्ट के ट्रस्टी अयूब अगनादी को गिरफ्तार है और दूसरे ट्रस्टी मसूद अगनादी की तलाश कर रही है।
भाजपा का केरल सरकार पर निशाना
भाजपा ने पीएफआइ पर प्रतिबंध लगाए जाने के बाद उसके खिलाफ कार्रवाई में हिला हवाली को लेकर केरल सरकार पर निशाना साधा है। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष के. सुदर्शन ने कोझीकोड़ में पत्रकारों से कहा कि राज्य सरकार संगठन के खिलाफ कार्रवाई करने में टालमटोल की नीति अपना रही है।