बिहार विधानसभा में मंगलवार को विपक्षी दल के सदस्यों द्वारा भारी हंगामे के बीच पुलिस विधेयक पेश कर दिया गया। विधेयक पेश करने के साथ ही भारी हंगामे को देखते हुए सदन की कार्यवाही साढ़े चार बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई। विपक्ष के भारी हंगामे के बीच सदन की कार्यवाही साढ़े चार बजे के बाद भी शुरू नहीं हो पाई। विधानसभा अध्यक्ष के चेंबर के बाहर विपक्षी विधायकों ने जमकर हंगामा किया। इस दौरान पुलिस को बुलाया गया। पटना डीएम और एसएसपी समेत भारी पुलिस फोर्स सदन के अंदर पहुंची। विपक्षी सदस्यों डीएम और एसएसपी समेत पुलिसकर्मियों के साथ जमकर धक्का-मुक्की की।
विपक्ष के कई विधायकों ने डीएम और एसएसपी के साथ बदसलूकी भी की। विधानसभा चेंबर के बाहर मौजूद विपक्षी विधायकों को हटाने के लिए मार्शल को भी बुलाया गया। वहां पहुंचे दर्जनों मार्शलों ने विपक्षी दलों के सदस्यों को वहां से हटाने की कोशिश में जुटे रहे। खबर लिखे जाने तक मौके पर भारी पुलिस फोर्स बुला ली गई है। इस बीच सदन में मंत्री अशोक चौधरी और राजद विधायक चंद्रशेखर के बीच हाथापाई हो गई। अशोक चौधरी ने राजद विधायक को धक्का दे दिया। वहीं विधायक चंद्रशेखर ने भी मंत्री अशोच चौधरी की ओर माइक्रोफोन फेंका।
इससे पहले विपक्ष ने बिहार विशेष सशस्त्र पुलिस विधेयक के विरोध में न केवल जमकर हंगामा किया बल्कि उसकी प्रति भी फाड़ दी, जिसके बाद सदन की कार्यवाही स्थगित कर दी गई। विधानसभा में मंगलवार दोपहर बारह बजे सभा की कार्यवाही पुन: शुरू होते ही विपक्षी दल के सदस्य अपनी सीट से खड़े होकर बिहार विशेष सशस्त्र पुलिस विधेयक के विरोध में नारेबाजी करने लगे। सभाध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा ने हंगामा कर रहे सदस्यों से शांत रहने का आग्रह किया। इसके बाद उन्होंने राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के समीर कुमार महासेठ समेत अन्य सदस्यों के कार्यस्थगन प्रस्ताव को नियमानुकूल न पाते हुए अस्वीकृत कर दिया।
इसके बाद विपक्षी दल के सदस्य इस विधेयक के विरोध में नारेबाजी करते हुए सदन के बीच में आ गए। इस बीच सभाध्यक्ष ने शून्यकाल की कार्यवाही शुरू की लेकिन विपक्षी सदस्य ‘विधेयक वापस लो, वापस लो’ के नारे लगाते रहे। इस दौरान भगीरथी देवी, पवन कुमार जायसवाल, ललन कुमार और पवन कुमार यादव ने अपनी-अपनी सूचनाएं पढ़ी।
शोरगुल कर रहे सदस्यों से शांत रहने का आग्रह करते हुए सभाध्यक्ष ने कहा कि आप सदन को अव्यवस्थित न करें। जिस विषय पर आप बोल रहे हैं वह सूचीबद्ध है और उस पर आपको बोलने का अवसर मिलेगा। उचित समय पर इस विषय पर होने वाले वाद-विवाद के दौरान सरकार और प्रतिपक्ष के सदस्य अपना वक्तव्य रख पाएंगे। इसके बावजूद विपक्षी सदस्य नहीं माने तो सभाध्यक्ष ने कहा कि ध्यानाकर्षण से संबंधित सूचनाएं ध्यानाकर्षण समिति को और शून्यकाल से संबंधित सूचनाएं शून्यकाल समिति को भेज दी जाएगी।
इस बीच वित्त मंत्री तारकिशोर प्रसाद नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की वर्ष 2017-18 की रिपोर्ट, विनियोग विधेयक, 2018-19, वित्त वर्ष 2020-21 का ग्रीन बजट एवं वित्त वर्ष 2020-21 और 2021-22 का जेंडर बजट पेश कर रहे थे, तभी विपक्षी सदस्यों ने उनसे बजट की प्रति छीनने की कोशिश की। हालांकि तारकिशोर प्रसाद कैग रिपोर्ट के साथ ही अन्य विधेयक सदन में पेश करने में कामयाब रहे।
इस दौरान हंगामा कर रहे राजद समेत अन्य विपक्षी दल के सदस्यों में से कुर्सी पटकने लगे। साथ ही विपक्षी सदस्यों ने बिहार विशेष सशस्त्र पुलिस विधेयक की प्रति भी फाड़ दी। हंगामा बढ़ता देख सदन को नियंत्रित करने के लिए सभाध्यक्ष ने मार्शल को बुलाया और प्रतिपक्ष के सदस्यों को अपनी सीट की ओर जाने का निर्देश दिया। सदन को अव्यवस्थित होता देख सभाध्यक्ष ने सदन की कार्यवाही भोजनावकाश तक के लिए स्थगित कर दी।
बिहार विधानसभा में मंगलवार को भारी हंगामे के बीच ‘बिहार विशेष सशस्त्र पुलिस विधेयक -2021’ पास हो गया। इससे पहले पुलिस विधेयक का विरोध करते हुए विपक्षी सदस्यों ने जबर्दस्त हंगामा किया। इसके चलते न तो प्रश्नोत्तरकाल, न शून्यकाल और न ही ध्यानाकर्षण लिए जा सके। विपक्ष के तेवर को देख विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा को दो बार सदन की कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी।
विधानसभा में मंगलवार को सभाध्यक्ष द्वारा प्रश्नोत्तर काल की कार्यवाही शुरू करते ही विपक्षी विधायक खड़े होकर बिहार विशेष सशस्त्र पुलिस विधेयक के विरोध में नारेबाजी करने लगे। सभाध्यक्ष ने विपक्षी विधायकों से प्रश्नोत्तरकाल चलने देने का कई बार आग्रह किया लेकिन तेजस्वी यादव, तेजप्रताप यादव और अवध बिहारी चौधरी को छोड़कर पूरा विपक्ष वेल में आ जमा। सभाध्यक्ष ने कार्यवाही दोपहर बारह बजे तक के लिए स्थगित कर दी।
दोबारा जब कार्यवाही आरंभ हुई तो सभाध्यक्ष ने समीर कुमार महासमेठ समेत अन्य के कार्यस्थगन प्रस्ताव को अमान्य करने की सूचना दी। इसके साथ ही विपक्षी सदस्य नारेबाजी करते हुए फिर से वेल में उतर गए। पुलिस विधेयक वापस लेने के अनवरत नारे लगाते रहे। इस दौरान उन्होंने विधेयक की प्रतियां फाड़ी और उसके टुकड़ों को सदन में उड़ाया। सभाध्यक्ष के निर्देश पर मार्शल द्वारा सदस्यों द्वारा लहराए गए पोस्टर छीन लिए गए।
हंगामे के बीच ही सभाध्यक्ष के बुलावे पर वित्त मंत्री तारकिशोर प्रसाद नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की वर्ष 2017-18 की रिपोर्ट, विनियोग विधेयक, 2018-19, वित्त वर्ष 2020-21 का ग्रीन बजट एवं वित्त वर्ष 2020-21 और 2021-22 का जेंडर बजट सदन पटल पर पेश किया। इस दौरान वित्त मंत्री से विपक्षी सदस्यों ने उनसे बजट की प्रति छीनने की कोशिश की। यह देख सत्तापक्ष ने भी अपने तेवर दिखाए। ट्रेजरी बेंच से सरकार के मंत्री अशोक चौधरी, अमरेन्द्र प्रताप सिंह और जीवेश मिश्रा ने गहरी आपत्ति की। इसके बाद विपक्ष के विधायक रायटर टेबुल और कुर्सियां पलटने लगे। इस वजह से किसी तरह से वहां कार्यवाही अंकित कर रहे विस के रिपोर्टर जान बचाकर भागे। हंगामा बढ़ता देख महज कुछ ही मिनटों में सभाध्यक्ष ने दूसरी बार सदन की कार्यवाही 2 बजे तक के लिए स्थगित कर दी।
भाई वीरेन्द्र खुद संचालक बन गए
कार्यवाही स्थगित होने के बाद सभाध्यक्ष और सत्तापक्ष के अन्य सदस्यों के सभाकक्ष से बाहर जाते ही राजद विधायक भाई वीरेन्द्र ने खुद सदन के संचालक बनने का अभिनय किया। हालांकि, उनकी यह तमाम गतिविधि महज मजाक बन गयी क्योंकि कार्यवाही स्थगित होने की घोषणा के बाद कोई भी एक्टिविटी या बात दर्ज नहीं होती।