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यूक्रेन में 10वें दिन रूस ने की सीजफायर की घोषणा.

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युद्ध क्षेत्र में फंसे नागरिकों को निकाला जाएगा.

भारतीय छात्र ने पाक लड़की को बचाकर दूतावास तक पहुंचाया.

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

रूस और यूक्रेन के बीच जंग 10वें दिन भी जारी है। यूक्रेन में रूसी सैन्य कार्रवाई से हालात काफी खराब हो चुके हैं। यूक्रेन के कीव में हवाई हमले की चेतावनी जारी की गई है। वहीं, यूक्रेन में फंसे भारतीयों की घर वापसी जारी है। यूक्रेन से आपरेशन मिशन गंगा के तहत अब तक 11,000 भारतीय नागरिकों की सुरक्षित वतन वापसी हो चुकी है।

यूक्रेन के राष्ट्रपति कार्यालय का कहना है कि देश के उस इलाके में नागरिकों की निकासी रुक गई है जहां रूसी रक्षा अधिकारियों ने संघर्ष विराम की घोषणा की थी। राष्ट्रपति वलोडिमिर ज़ेलेंस्की के कार्यालय के उप प्रमुख कायरो टायमोशेंको ने कहा कि निकासी का प्रयास रोक दिया गया था क्योंकि शनिवार को मारियुपोल शहर में आग लगी हुई थी। उन्होंने कहा कि रूसी पक्ष संघर्षविराम पर कायम नहीं है और उसने खुद मारियुपोल और उसके आसपास के इलाकों में गोलीबारी जारी रखी है।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि हम यूक्रेन के सूमी में भारतीय छात्रों को लेकर बहुत चिंतित हैं। हमारे छात्रों के लिए एक सुरक्षित गलियारा बनाने के लिए तत्काल युद्धविराम के लिए कई चैनलों के माध्यम से रूस और यूक्रेन की सरकारों पर जोरदार दबाव डाला जा रहा है। हमने सभी भारतीय छात्रों को यूक्रेन में सतर्क और सुरक्षित रहने के लिए कहा है। सभी छात्र किसी सुरक्षित जगह पर रहें और अनावश्यक जोखिम ना उठाएं। विदेश मंत्रालय और हमारे दूतावास छात्रों से लगातार संपर्क में हैं।

  • यूक्रेन में भारत के दूतावास का कहना है कि उन्होंने खार्किव में पिसोचिन से 298 भारतीय छात्रों को निकालने के लिए बसों की व्यवस्था की है।

    रूस के खिलाफ लड़ाई में शामिल होने के लिए यूक्रेन के 66,224 नागरिक लौटे

    यूक्रेन के रक्षा मंत्री ओलेक्सी रेजनिकोव ने बताया कि 66,224 यूक्रेनी पुरुष रूस के हमले के बाद लड़ाई में शामिल होने के लिए विदेश से वापस लौटे थे। समाचार एजेंसी रायटर ने इस बात की जानकारी दी है।

    यूक्रेन में जारी भीषण लड़ाई के बीच भारतीयों के जज्‍बे की कई कहानियां भी सामने आई हैं। समाचार एजेंसी एएनआइ के मुताबिक रूसी सैन्य अभियानों के बीच यूक्रेन में फंसे भारतीय छात्र अंकित यादव न केवल खुद को बचाया वरन उन्‍होंने कीव में पढ़ रही एक पाकिस्तानी लड़की को रोमानियाई सीमा तक पहुंचने में मदद की। यहां से पाकिस्‍तानी लड़की को पाकिस्‍तान पहुंचाया गया।

    हाल ही में यूक्रेन से लौटे अंकित यादव ने बताया कि उन्‍होंने उस लड़की को पाकिस्तानी दूतावास तक पहुंचने में मदद की। बकौल अंकित ‘मैं उससे 24 फरवरी की शाम को एक बंकर में मिला था। मैं अकेला भारतीय था जबकि यूक्रेनियन लोगों से भरे बंकर में वह अकेली पाकिस्तानी लड़की थी। चूंकि यूक्रेनी भाषा नहीं आती थी इसलिए हम किसी और से बात नहीं कर सकते थे। लगातार बढ़ते तनाव को देखते हुए हमने शहर से भागने की योजना बनाने का फैसला किया।’

    कीव के एक संस्थान में पढ़ रहे अंकित ने दिल्ली अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे पर उतरने के बाद अपना दर्द बयां करते हुए कहा कि हमने 26 फरवरी को वहां से निकलने की योजना बनाई थी लेकिन कर्फ्यू लगने के कारण हम असफल रहे। लगातार गोलाबारी के कारण हमें बंकर से बाहर नहीं निकलने दिया गया। हम भूखे थे। भोजन का बंदोबस्‍त करना एक चुनौती थी क्योंकि आपूर्ति प्रभावित हो गई थी।

    अंकित ने कहा, ‘जब मैंने नोजल स्प्रे के लिए बंकर छोड़ने की गुजारिश की तो उन्होंने मुझे 27 फरवरी को बाहर जाने की अनुमति दी। मैं कर्फ्यू के बीच में अपने छात्रावास गया। हम दोनों के लिए खाना बनाया और वापस लौट आया। हालांकि वह भोजन भी पर्याप्त नहीं था। इसलिए 27 फरवरी की रात को हमने केवल यूक्रेनियन की ओर से दिए गए चावल का सेवन किया और सो गए।’

    अंकित ने कहा कि 28 फरवरी को जब कर्फ्यू हटा तो हम बंकर से निकले और एक दुकान से कुछ खाने का सामान लिया और फिर शहर छोड़ने की योजना बनाने लगे। इसी दौरान उसे पाकिस्तानी दूतावास से एक फोन आया। उसने दूतावास को बताया कि वह कीव में है और उसके साथ पाकिस्‍तान का कोई अन्य व्यक्ति नहीं है। इसके बाद पाकिस्‍तानी दूतावास के अधिकारियों ने मुझसे अपील की कि मैं उसे सुरक्षित तरीके से लेकर सीमा तक जाऊं।

    इसके बाद हम पांच किलोमीटर पैदल चलकर रेलवे स्टेशन पहुंचे जहां कुछ और छात्र मिले। हम भीड़भाड़ के कारण पहली तीन ट्रेनों में नहीं चढ़ सके। सौभाग्‍य से हमें अगली ट्रेन मिल गई। हम ट्रेन में फर्श पर बैठकर यात्रा कर रहे थे। कुछ समय बाद हमने एक धमाका सुना। आखिकार ट्रेन हमें अपने गंतव्य तक ले गई। इसके बाद पाकिस्तानी लड़की ने अपने दूतावास से संपर्क किया। पाकिस्‍तानी दूतावास ने एक टैक्सी की व्यवस्था की। बाद में रोमानिया की सीमा तक एक बस की व्यवस्था की है.

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