संकष्टी चतुर्थी का व्रत आज
श्रीनारद मीडिया, सेंट्रल डेस्क:
हर हिंदी महीने में दो चतुर्थी पड़ती हैं। एक कृष्ण पक्ष में, दूसरा शुक्ल पक्ष में, दोनों चतुर्थी भगवान गणेश की पूजा के लिए समर्पित हैं। कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी और शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी कहते हैं। चतुर्थी तिथि को चंद्रदर्शन के मद्देनजर इसी दिन व्रत करेंगे। मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने से भगवान गणेश प्रसन्न होकर भक्त को हर संकट से बचाते हैं।
संकष्टी चतुर्थी का महत्वः
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संकष्टी चतुर्थी का अर्थ संकट को हरने वाली चतुर्थी है, जिस व्यक्ति को किसी भी प्रकार की तकलीफ है, वह इंसान यह व्रत रखता है और गौरी पुत्र गणेश की पूजा करता है तो गणेश उसे दुखों से छुटकारा दिलाते हैं। इस दिन लोग सूर्योदय के समय से सूर्यास्त तक उपवास रखते हैं।
चतुर्थी व्रत की तिथि
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शनिवार, 30 दिसंबर – संकष्टी चतुर्थी; 30 दिसंबर को सुबह 9:43 बजे शुरू होगा और 31 दिसंबर को सुबह 11:55 बजे समाप्त होगा,।
संकष्टी चतुर्थी की पूजा विधि
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1. गणेश चतुर्थी पर सुबह जल्दी उठें और स्नान के बाद सूर्य देव को अर्घ्य दें।
2. इसके बाद मंदिर में गणेश प्रतिमा को गंगाजल और शहद से स्वच्छ करें।
3. सिंदूर, दूर्वा, फूल, चावल, फल, जनेऊ, प्रसाद अर्पित करें।
4. धूप, दीप जलाएं और ऊं गं गणपतये नमः मंत्र का 108 बार जाप करें।
5. गणेश जी के सामने व्रत का संकल्प लें, और पूरे दिन अन्न ग्रहण न करें।
6. व्रत में फलाहार, दूध, पानी, फलों का रस ग्रहण कर सकते हैं।
7. घी का दीया जलाएं और पूजा का संकल्प लें।
8. गणेशजी का ध्यान कर उनका आह्वान करें।
9. गणेशजी को पहले जल, फिर पंचामृत और उसके बाद शुद्ध जल से स्नान कराएं।
10. गणेश मंत्र, गणेश चालीसा आदि का पाठ करें।
11. गणेशजी को वस्त्र या कोई धागा अर्पित करें।
12. सिंदूर, चंदन, फल और फूल अर्पित करें, सुगंध वाली धूप दिखाएं।
13. दूसरा दीपक गणपति प्रतिमा को दिखाकर हाथ धो लें, नए कपड़े से हाथ पोछ लें।
14. मोदक, मिठाई, गुड़, फल आदि नैवेद्य चढ़ाएं।
15. नारियल और दक्षिणा अर्पित करें, संकष्टी चतुर्थी कथा पढ़ें।
16. परिवार समेत गणपति की आरती करें, आरती में कपूर के साथ घी में डूबी तीन से अधिक बत्तियां रहें।
17. गणपति की एक बार परिक्रमा करें और भूलचूक के लिए माफी मांगें।
18. षाष्टांग प्रणाम करें और भूल चूक के लिए माफी मांगें।
19. गाय को हरी घास या रोटी खिलाएं, गौशाला में दान भी कर सकते हैं।
20. रात में चंद्रमा निकलने से पहले गणपति की पूजा करें, व्रत कथा पढ़ें और चंद्र दर्शन के बाद पूजा कर व्रत खोलें।
21. इसके बाद पारण करें।
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