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सीवान के लाल सन्त कुमार वर्मा : जयंती प विशेष

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जन्मतिथि – 11 फरवरी-1914,पुण्यतिथि – 27 फरवरी 2000

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

भोजपुरी भाषा आ साहित्य के ले के पहिला सम्मेलन के सुत्रधार, भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र बाबू के साथी आ उहां के भोजपुरी में जीवनी लिखे वाला महान भोजपुरिया साहित्यकार के जयंती प आखर परिवार बेर बेर नमन क रहल बा ।

सन्त कुमार वर्मा जी के जनम 11 फरवरी 1914 में मुजफ्फरपुर (ननिहाल) में भईल रहे आ मूल निवास दिघवालिया, सारण रहल। सभे इंहा के स्वभाव के वजह से सन्तु बाबू कहो। पेशा से पत्रकार सन्तु बाबू देशरत्न डा॰ राजेन्द्र प्रसाद जी के सहयोगी भी रहनी, आ भोजपुरी में राजेन्द्र बाबू के प्रथम जीवनी भा संछिप्त परिचय भी लिखले रहनी। भोजपुरी आ हिन्दी के साहित्य में भी इहाँ के बहुत योगदान बा। मौलाना मजहरुल हक (जीवनी), बाबू ब्रज किशोर प्रसाद जी (जीवनी), घाघ और उनकी कहावतें, महादेवी वर्मा (आलोचना), स्नेह दीप (कविता संग्रह), कुल आ कपड़ा (कहानी संग्रह) जइसन अनेक किताब लिखले रहनी आ सम्पादन कइले बानी।

86 बरिस के उमिर में, 27 फरवरी 2000 में इहाँ के निधन हो भईल।

सन्त कुमार वर्मा जी के लिखल भोजपुरी किताब ‘बाबू’ के भोजपुरी साहित्यांगन के एह लिंक प पढल जा सकेला –

बाबू – https://bhojpurisahityangan.com/wp-content/uploads/flipbook/26/book.html

मूल रुप से इ किताब राजेंद्र बाबू के जीवनी ह आ भोजपुरी में पहिला किताब ह राजेंद्र बाबू के उपर ।
सन्त कुमार वर्मा जी के लिखल कुछ मुक्तक –

1-
कउड़ी के मोल जब इमाने बिकाता
इज्जत आ आबरू के लूगा लुटाता
दुसासनी एह चीर-हरण के खिलाफ
सिर उठावते नु गरदन कटाता

2-
नेता होय साथी बल होय लाठी
त सब काम बनले बा
जमात मुंहदुबर फुट होय जबर
त राज- पाठ चलले बा

3-
चारु ओर बेपर्दगी के बा नजारा देख लीं
बदतमजी के चमकत बा सितारा देख लीं
नाव फैशन के, नदीए में डूब न जाओ कहीं
आबरू के होखों हिफाजत उ किनारा देख लीं

4-
रोअला-धोअला से रिसियो के मोक्ष कबो ना होला
स्वर्ग-द्वार कब बन्द भइल हऽ, देख विनोदी चोला
एही से विवेकवाला जन हँसत-हँसावत र हके
मस्ती के उपहार बिखेरेले भर-भर के झोला

5-
धरती पर बस तीन रतन बा
अन्न, नीर आ मधुर वचन
रत्न कहल पाषाण-खंड के
इहे हवे अविवेक कथन

6-
अमवाँ के डलिया प चिड़िया चुरुंग बइठ
दिन-रात करे गुलजार
मोजरा के मधु बाकी कोइले नेवान करे
इहे हवे जिनगी के सार

7-
धन के साथे अल्हड़ जवानी
उल्लू भइल संघाती
प्रभुता-मद से मातल मनुआँ
बन जइहें उत्पाती

आखर परिवार अपना महान साहित्यकार आ सुप्रसिद्ध रचनाकार के जयंती प बेर बेर नमन क रहल बा ।

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