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सरस्वती के पुत्र निराला का व्यक्तित्व विद्रोही और क्रांतिकारी था। - श्रीनारद मीडिया

सरस्वती के पुत्र निराला का व्यक्तित्व विद्रोही और क्रांतिकारी था।

सरस्वती के पुत्र निराला का व्यक्तित्व विद्रोही और क्रांतिकारी था।

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

आज वसंत पंचमी का दिन है।महाप्राण निराला का जन्मदिन।फेसबुक पर अक्सर कुछ लोग निराला की कविता कालेज का बचुआ लिखकर रामचन्द्र शुक्ल पर आरोप लगाते हैं लेकिन वे शायद नहीं जानते कि निराला शुक्ल जी का बहुत सम्मान करते थे और शुक्ल जी भी निराला को बहुत मानते थे। शुक्ल जी ने जब हिंदी साहित्य का इतिहास लिखा तो निराला की उम्र उस समय 30 साल रही होगी।क्या आज किसी युवा कवि को यह सम्मान कोई आलोचक देगा कि हिंदी साहित्य के इतिहास में उसका नाम हो। शिवमंगल सिंह सुमन ने लिखा है शुक्ल जी हिंदी साहित्य इतिहास का एक नया अध्याय निराला और महादेवी पर लिखा था जो खो गया था।

एक बार जब निराला शुक्ल जी की अध्यक्षता में कविता पढ़ रहे थे तो कुछ लोग उठकर भोजन केलिए जाने लगे तब निराला ने कहा जबतक शुक्ल जी यहां बैठे है और मेरी कवितासुनरहे है तो पूरा हिंदी साहित्य मुझे सुन रहा है।एक बारनिराला जी शुक्ल जी से मिलनेगये तो शुक्ल जी दमासे बहुत परेशनथे बोलने की हालत में नहींथे।उनके घर वाले किसी आगंतुक को मिलने नहीं दे रहते ।निराला भी लौट गए लेकिन शुक्ल जी को पता चला कि निराला आये थे तो उन्होनेउन्हें बुलवाया।
निराला और उनके समकालीनों के प्रति गलत प्रचार भी बहुत किया गया।

निराला की जूही की कलि महावीर प्रसादद्विवेदी ने सरस्वती में छपने सेमना कर लौटा दिया तो शिवपूजन सहाय ने उसे 1922 में आदर्श पत्रिका में छापा था। शिवपूजन जी ने निराला पर पहला लेख 1932 में नंददुलारे वाजपेयी से लिखवाया था।1932 में ही रामविलास शर्मा की पहली मुलाकात निराला लखनऊ में किताब की दुकान पर हुई थी।बहुत बाद में रामविलासजी कोपता लगा कि निराला भी उन्हीं के इलाके के हैं।1948 में निराला के 50 साल होने पर स्वर्ण जयन्ती समारोह हुआ आयोजक नंददुलारे वाजपयी थे।

गंगा प्रसादपाण्डेय ने 1948 में निराला पर किताब लिखी थी महाप्राण निराला।इसलिए हिंदी में निरलाकी उपेक्षा को लेकर बहुत बेबुनियाद बातें लिखी बोली जाती हैं।यह सच है कि सरस्वती में मैथिली शरण गुप्त और पंत की अधिक रचनाएं छपीं पर द्विवेदी जी ने छपने के लिए कमजोर रचना भेजने परगुप्त जी को डांट भी लगाई थी।निरलाऔर प्रसाद तथा निराला और उग्र के बारे में भ्रामक बातें लिखी गयी।कोलकत्ता में वेश्याओं के पास निराला को उग्र लेकर नहीं गए थे बल्कि निराला ही लेकरगये थे। प्रसाद ने निराला के बारे में भविष्यवाणी कर दी.

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