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हमारे जीवन में सतुआन पर्व का विशेष महत्व है,कैसे? - श्रीनारद मीडिया
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हमारे जीवन में सतुआन पर्व का विशेष महत्व है,कैसे?

हमारे जीवन में सतुआन पर्व का विशेष महत्व है,कैसे?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

सतुआन के दिन से गर्मी का मौसम प्रारंभ हो जाता है। सतुआन के दिन सूर्य अपनी राशि परिवर्तित करते है। सूर्य मीन राशि से के मेष राशि में प्रवेश करते है। उत्तर भारती के लोगों इसे सत्तू संक्रांति या सतुआन संक्रान्ति कहते है। इस दिवस को भगवान सूत्र उत्तरायण की आधी परिक्रमा पूरा कर लेते है।आज से खरवास की समाप्ति हो जाती है और शुभ कार्यक्रम प्रारंभ हो जाते है।

बिहार में मिथिलांचल के लोग इस दिवस को ‘जुडशीतला’ पर्व के नाम से मनाते है,अंग क्षेत्र में सतुआन से एक दिन पहले ‘टाटी वासी’ उत्सव मनाते है।घर में नये फसल आने,आम के टिकोरे और बैसाखी पर्व पर उत्सव मनाने का दिन है।

हमारी लोक सांस्कृतिक परंपराएं सदैव से रही हैं। हैरान कर देती हैं इन लोक सांस्कृतिक परंपराओं की वैज्ञानिकता भी। आश्चर्य में डाल देता है इन लोक सांस्कृतिक परंपराओं का प्राकृतिक तथ्यों से सुंदर सामंजस्य। कुछ ऐसा ही है सतुआन का लोक सांस्कृतिक परंपरा। सीवान में भी शुक्रवार को सतुआन का पर्व श्रद्धा भाव से मनाया गया।

सतुआन का पर्व सांस्कृतिक संचेतना, प्रकृति के प्रति स्नेह और सहयोग, आहार के प्रकृति से सामंजस्य का अनुपम उदाहरण है। लोक संस्कृति के संदर्भ में भी सतुआन पर्व का विशेष महत्व रहता आया है। सतुआन के पर्व में लोक संस्कृति में पूजन अर्चन के साथ विशेष आहार की परंपरा पाई जाती है।

सतुआन के पर्व में आहार के तौर पर लोग मकई, चना, जव और लेतरी के सत्तू के साथ आम धनिया और पुदीने की चटनी के जायके का आनंद उठाते हैं। साथ में होता है प्याज और हरे मरीचा का स्वाद। जीरा पावडर के साथ काले नमक के घोल से गले को तरावट दी जाती है। पहले लबरी के रूप में सत्तू के घोल का स्वाद लिया जाता है, उसके बाद सत्तू का पीड़ी तैयार किया जाता और अंत में जितना बचा खुचा थाली में बचा होता है, उसका घोल पी लिया जाता है।

सतुआन के पर्व पर आहार की विशेष व्यवस्था का प्राकृतिक और वैज्ञानिक संदर्भ होता है। सतुआन के दिन मूल तौर पर गर्मी के ऋतु का स्वागत किया जाता है और आहार की माकुलता पर विशेष ध्यान दिया जाता है ताकि शरीर मौसम संबंधी प्रतिकूलताओं का सामना कर सके। सतुआन के दिन से मौसम बेहद गर्म होना शुरू हो जाता है।

आगे नौतपा भी बेहद गर्म होता है। इस दौरान खेतों की मिट्टी सुख कर बेहद कड़ी हो जाती है। मनुष्य का शरीर भी जल की मांग ज्यादा करता है। ऐसे में सत्तू ही वो खाद्य पदार्थ होता है जो शीतलता देता है। आम, धनिया, प्याज और पुदीना आदि आहार भीषण गर्मी की प्रतिकूलताओं का सामना करने में बेहद कारगर साबित होते हैं। वैज्ञानिक तथ्य बताते हैं कि गर्मी के दिन में सत्तू का सेवन करना आपको गर्मी के दुष्प्रभाव और लू की चपेट में आने से बचाता है। सत्तू शरीर में ठंडक पैदा करता है।

इसलिए सतुआन का पर्व हमारे लोक संस्कृति की परंपराओं की वैज्ञानिकता और प्रकृति के साथ संतुलन का संदेश देता है।
इसे सिर्फ बड़े बुजुर्गों का त्योहार मानना गलत होगा अपितु इस लोक संस्कृति के आयाम को समझे जाने की जरूरत है जो सेहत के लिए भी एक बड़ा संदेश देती है कि गर्मी में सत्तू का सेवन जरूर करें।

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