सेजिया से सैंया रूठी गइले हो रामा कोइली तोरी बोलिया.
सारण भोजपुरिया समाज के पटल पर चैती गीत संगीत की मची धूम.
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
हिन्दू नव वर्ष की पूर्व संध्या पर सारण भोजपुरिया समाज के सोशल मीडिया की पटल पर चैती गीत संगीत की धूम मची रही।सोमवार को देर रात चले कार्यक्रम में देश के कोने-कोने से कवि साहित्यकार व गायकों ने अपने फन का जादू बिखेरा।संस्था के संस्थापक विमलेन्दु भूषण पांडेय की अगुवाई में अध्यक्ष व वरिष्ठ साहित्यकार ज्वाला सिंह ने दीप प्रज्वलित करने के बाद बी एन तिवारी के गणेश वंदना मंगलाचरण मंत्रोच्चारण और कलाकार रवीश कुमार के गायी के गोबरे महादेव व छठी माई के पारम्परिक गीत के वाद्य वादन से कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ।
युवा साहित्यकार रामप्रकाश तिवारी के संचालन पर केन्द्रित चैती गीत गवनई में सारण की दो प्यारी बेटियों प्रीति कृति सिस्टर्स की बाल सुलभ स्वर में नीमिया के डाढ मैया पारम्परिक गीत की प्रस्तुति ने नव रात्री की स्वागत का एहसास कराया।फिर माया शर्मा जी का सरस्वती वंदना व संस्था के महासचिव युवा नेता सत्यप्रकाश यादव के हौसलाअफजाई संबोधन के बाद कार्यक्रम ने जोरदार रफ्तार पकड़ी। कार्यक्रम की रफ्तार का आगाज वाराणसी मणिबेनी द्विवेदी के चैती गीत रात एक देखनी सपनवा कब अइहें सजनवा से हुआ तो आशा सिंह लगे ने चैती गीत में कमसीन नायिका द्वारा सजन के खो जाने और उसे खोजने की विरह वेदना की सुनायी।गाजी पुर से डा विनोद कुमार पांडेय कश्यप जी चैती गीत काहे श्याम सुधि बिसरवले, तो गाजीपुर के ही प्रसिद्ध युवा कवि ने चर्चित कवि संजीव कुमार त्यागी के सतुआ कविता ने जायका बदल शानदार मनोरंजन कराया।
लोकगायक रामेश्वर गोप ने महेन्द्र मिसिर रचित चैती गीत फिर जाहूं भरथ भवनवा हो रामा से महफिल को गंभीर बनाया तो रविश कुमार सानू ने मार देली कान्हा जी मतिया, कुबरो संवतिया चैती गीत सुना कर अपनी सधी क्लासिकल आवाज का जादू बिखेर वाववाही लूटी।डा रजनी रंजन सोना अस गेहूंआ के बलिया झुराइल ने खेती किसानी की तरफ ध्यान खिंचा तो पंकज सिंह ने सारण भोजपुरिया समाज पर केंद्रित चैती बड़ा नीक लागे भोजपुरिया समाज, दक्षिण भारत से विदुषी साहित्यकार डा अर्चना पांडेय ने छने छने बोलेले कोइलिया हो रामा, फिर बी एन तिवारी केकरा से कहीं दिल के बतिया हो रामा, अमरेन्द्र कुमार सिंह आरा ने अलग हट कर घांटो चैता ऐ रामा करजोरी सुमिरन गजानन और राधा कृष्ण विरह चैती गीत गाकर कार्यक्रम को परवाना चढ़ाया।
कवि दिवाकर उपाध्याय ने चटक दिन अइले, डा सुनील उपाध्याय ने अपनी पिया बिन सुन बा सेजरिया, डा मधुबाला सिन्हा मनवा गइल अझुराई, रीना सिंहा की शैलेन्द्र सरगम रचित गीत चैता में बहेला पुरवाईया दर्द उठे ने लोगों को झुमाया।देश विदेश में पहचान बना चुके सारण के युवा क्लासिकल गायक आशिक कुमार की चैती गीत – सेजिया से सैंया रूठी गइले हो रामा कोयल तोरी बोलिया की प्रस्तुति देकर हिन्दुस्तानी उपशास्त्रीय गायन के चमकते सितारे का एहसास कराया जिसकी पटल से प्रशंसा की गई।वरिष्ठ कवि साहित्यकार संगीत सुभाष जी की उचरल काग अंगनवा, कन्हैया प्रसाद तिवारी रसिक की कोरोना पर केन्द्रित चैती देले बा कोरोना पटकनिया हो रामा दिल्ली बा सजनवा ने वर्तमान यथार्थ को बताया।
रामा शकर तिवारी ने चैता गायन के विलुप्त हो रहे सुमिरन चैता गायन ए रामा सुमिरेले भूंइया एही ठंइया आजू चइत हम गाइब ए रामा, अखिलेश्वर मिश्र बगिया में कुहुके कोलिया ने पारंपरिक गायन की ओर ध्यान आकृष्ट कराया।जाने-माने कवि साहित्यकार अरविंद श्रीवास्तव के पेड़ा खाए झोरा ले ले अमही नगरिया चैती रचना से हंसा हंसा कर लोट पोट कराया।मनन गिरि मधुकर ने महेन्द्र मिसिर रचित चैती गीत रात कन्हैया कहां जागे, माया शर्मा ने जन्मे अवध रघुरइया, देवेन्द्र भारद्वाज आजू अवधपुर सोहावन, राजेश कश्यप राम जी के भइले जनमवा तो संचालक राम प्रकाश तिवारी ने टिकुली हेराइल एही ठंइया श्रृंगारिक रचना सुनाते हुए रात्री विश्राम कर श्रोताओं को मीठी सपने में सो जाने का आह्वान किया तो धन्यवाद ज्ञापन करते संस्था वरिष्ठ साहित्यकार अरविंद श्रीवास्तव ने सभी को सराहा और इसी तरह भोजपुरी को आगे बढाने में मदद करने की अपील।युवा कवि गणपति सिंह मुम्बई से कवि सुरेश जी, सत्यप्रकाश यादव, विमलेन्दु भूषण पांडेय आदि ने कार्यक्रम में शामिल सभी कवि साहित्यकार व श्रोताओं की हौसलाअफजाई करते रहे।
आभार-रवि कुमार गोप
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