उग हे सूरजदेव, भ ईद भीनुसारवा,अरघ के रे बेरवा,पूजन के रे बेरवा..’ पर स्कूली बच्चियों ने किया मंचन
*मंत्रमुग्ध कर देने वाली रही छात्राओं की प्रस्तुति
शिवहर में स्कूली
*हाई स्कूल भीमपुर की छात्राओं ने छठ पूजा गीत पर दी शानदार प्रस्तुति
श्रीनारद मीडिया, सीवान (बिहार):
सीवान जिला के बड़हरिया प्रखंड के शीतल प्रसाद हाई स्कूल सह इंटर कॉलेज भीमपुर की छात्राओं ने छठगीत ‘उगीं हे सूरजदेव,भईल भीनुसारवा, अरघ के बेरवा, पूजन के रे बेरवा’ पर बेजोड़ प्रस्तुति देकर सबको मंत्रमुग्ध कर दिया।वहीं पारंपरिक परिधान में छात्राओं ने भगवान भास्कर अर्घ्य देकर मनमोहक दृश्य प्रस्तुत किया।
लोक आस्था का महापर्व छठ पूजा को लेकर स्कूली बच्चियों ने शिक्षक सुरेंद्र प्रसाद के कुशल निर्देशन में अपनी प्रतिभा को मुखरित कर लोकजीवन की झलकियां प्रस्तुत की। प्रधानाध्यापिका संजू कुमारी की देखरेख में नौवीं और दसवीं कक्षा की बच्चियों ने पूरी तन्मयता से छठ महापर्व का मंचन किया। बच्चियों ने अर्घ्य देने से लेकर पारण तक पूरी प्रक्रिया पारंपरिक और बेहतरीन ढंग से निभाया। कार्यक्रम के दौरान बच्चियों के साथ-साथ शिक्षिकाओं ने भी लोकधुन पर आधारित छठ गीत गाकर कार्यक्रम में चार चांद लगा दिया।
बच्चियों ने साड़ी जैसे पारंपरिक परिधान में सूर्यदेव को नजदीक के तालाब में छठगीत उगीं हे सूरजमल, भईल भीनुसारवा, अरघ के रे बेरवा’ गाते अर्घ्य दिया, जिससे लोकसंस्कृति जीवंत हो गई। बच्चियों के मुंह से पूरी श्रद्धा और आस्था से भरे इस छठ गीत को सुनकर सभी भावविभोर हो गये। वहीं बच्चियों ने गोधन कूटकर भाई-बहन के अमर प्रेम को दर्शाने सफल प्रयास किया।
वहीं प्रधानाध्यापिका संजू कुमारी ने छठ पूजनोत्सव को भारत और भारतीयता की पहचान बताते हुए कहा कि हमें बिहारी होने पर गर्व है, हमने पूरी दुनिया को पूर्णरुपेण प्रकृति और मिट्टी पर आधारित छठ जैसा महापर्व दिया है। दुनिया उगते हुए सूरज को पूजती है। लेकिन हम उगते और डूबते हुए सूर्य की उपासना करते हैं।यह पर्व दुनिया को पर्यावरण संरक्षण का संदेश देता है।
जलाशयों को बचाने और प्रकृति को प्रदूषण मुक्त रखने का आह्वान करता है। यह पर्व बिहार की सांस्कृतिक धरोहर है। बच्चियों का यह मंचन नयी पीढ़ी को छठ महापर्व की विशेषताओं से अवगत कराने में सफल रहा। इसके सफल मंचन में शिक्षक सुरेंद्र प्रसाद, रामख्याल सिंह, प्रणय सिंह, विनोद प्रसाद, कुमारी नेहा,सीमा कुमारी,शबनम परवीन, फरीदा मैडम आदि ने महत्वपूर्ण योगदान दिया।
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