Notice: Function _load_textdomain_just_in_time was called incorrectly. Translation loading for the newsmatic domain was triggered too early. This is usually an indicator for some code in the plugin or theme running too early. Translations should be loaded at the init action or later. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 6.7.0.) in /home/imagequo/domains/shrinaradmedia.com/public_html/wp-includes/functions.php on line 6121
बदलते मौसम में आलू को झुलसा से बचाने के लिए बैज्ञानिको ने किया सतर्क - श्रीनारद मीडिया
Breaking

बदलते मौसम में आलू को झुलसा से बचाने के लिए बैज्ञानिको ने किया सतर्क

बदलते मौसम में आलू को झुलसा से बचाने के लिए बैज्ञानिको ने किया सतर्क
श्रीनारद मीडिया‚ एम सावर्ण‚ भगवानपुर हाट , सीवान (बिहार)

०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
priyranjan singh
IMG-20250312-WA0002
IMG-20250313-WA0003
previous arrow
next arrow
०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
priyranjan singh
IMG-20250312-WA0002
IMG-20250313-WA0003
previous arrow
next arrow

कृषि विज्ञान केन्द्र ने किसानों को आलू को झुलसा रोग से बचाने के लिए किया सतर्क । वरीय बैज्ञानिक सह अध्यक्ष डॉ अनुराधा रंजन ने कहा है कि आकाश में बादल छाए रहने कुहासे की स्थिति एवं रात में तापमान लगातार गिरने से आलू की फसल में अगेती एवं पीछेती झुलसा का प्रकोप देखा जा रहा है। ऐसी स्थिति में अगेती झुलसा का प्रकोप प्रायः फसल के नेत्र जन, फास्फोरस एवं पोटाश की मात्रा के असंतुलित मात्रा में प्रयोग से होता है । इस रोग का लक्षण सबसे पहले निचली पत्तियों पर दिखाई देता है ।बाद में ऊपर की पत्तियों पर दिखाई देने लगता है । ऊपर की पत्तियों पर छोटे-छोटे भूरे रंग के गोलाकार धब्बे पड़ जाते हैं एवं पत्तियां झुलस कर सूख जाते हैं ।

जब वातावरण में तापमान 10 से 25 डिग्री सेल्सियस हो, आद्रता 80% से अधिक हो, बादल छाई रहे तथा रुक रुक कर बूंदाबांदी पड़ रही हो तो रोग का फैलाव तीव्रता से होता है । इसलिए इस रोग का समय से उचित प्रबंधन अधिक उपज लिया जा सकता है। इसके बचाव के लिए मैनकोज़ेब 75% घुलनशील 2 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर अथवा कॉपर ऑक्सिक्लोराइड 50% घुलनशील चूर्ण का ढाई किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से पानी में घोलकर छिड़काव कर अगेती झुलसा से बचा सकते हैं । इस प्रकार आलू की फसल को आगेती झुलसा से बचाया जा सकता हैं।

पीछेती झुलसा रोग के लक्षण सबसे पहले पत्तियों के किनारे व सिरे पर तथा तने पर हल्के भूरे रंग के या बैगनी रंग दिखाई पड़े तो समझना चाहिए कि पीछेती झुलसा का प्रकोप है फसल को बचाने के लिए किसान 10 से 15 दिन के अंतराल पर मैनकोज़ेब 75% घुलनशील चूर्ण 2 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से पानी में घोलकर छिड़काव करें ।

संक्रमित फसल में मैनकोज़ेब एवं मीटालेकजील अथवा कार्बेंडाजिम एवं मैनकोज़ेब का संयुक्त उत्पाद का 2 ग्राम प्रति लीटर या 2 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से पानी में घोलकर छिड़काव करें ।

यह भी पढ़े

भाजपा राज में अल्पसंख्यक सर्वाधिक असुरक्षित व उत्पीड़न के शिकार – सरदार सतनाम सिंह

क्या है जल संरक्षण के प्रयास और उनके क्रियान्वयन?

होम आइसोलेशन के नियमों में बदलाव,केंद्र की नई गाइडलाइंस.

15 से 18 वर्ष के 8, 500 से अधिक युवाओं ने लिया कोरोनारोधी टीका

कोविड की रोकथाम को जिलाधिकारी की अध्यक्षता में हुई समीक्षात्मक बैठक

Leave a Reply

error: Content is protected !!