SDG शिखर सम्मेलन 2023 और समावेशी विकास

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

वैश्विक नेताओं ने संयुक्त राज्य अमेरिका के न्यूयॉर्क में SDG शिखर सम्मेलन के दौरान सतत् विकास लक्ष्यों (SDG) को प्राप्त करने में धीमी प्रगति के बारे में आशंका व्यक्त की।

SDG शिखर सम्मेलन- 2023 की मुख्य विशेषताएँ:

  • फंडिंग गैप को स्वीकार करना:
    • वार्षिक SDG फंडिंग अंतर, जो महामारी से पहले 2.5 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर था, अब बढ़कर अनुमानित 4.2 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया है, जो SDG को प्राप्त करने के लिये पर्याप्त निवेश की तत्काल आवश्यकता पर बल देता है।
  • वित्त चुनौती से निपटना:
    • अभिकर्त्ताओं ने वर्ष 2030 के एजेंडे को प्राप्त करने में अदीस अबाबा एक्शन एजेंडा (AAAA) के महत्त्व पर बल दिया, जिसमें सतत् विकास के लिये सार्वजनिक और निजी, सभी वित्तीय प्रवाह के कुशल उपयोग पर बल दिया गया।
    • उन्होंने SDG प्रोत्साहन के लिये संयुक्त राष्ट्र महासचिव के प्रस्ताव को तेज़ी से लागू करने का आह्वान किया, ताकि फंडिंग में सालाना 500 अरब अमेरिकी डॉलर की उल्लेखनीय वृद्धि हो।
    • AAAA सतत् विकास के वित्तपोषण का एक वैश्विक ढाँचा है। इसका उद्देश्य सतत् विकास के लिये वर्ष 2030 का एजेंडा और 17 SDG के कार्यान्वयन हेतु संसाधन जुटाना तथा आवश्यक वित्तपोषण प्रदान करने के तरीकों पर चर्चा करना एवं सहमत होना है।
  • बहुपक्षीय कार्रवाइयाँ और ऋण स्वैप:
    • SDG कार्यान्वयन को मज़बूत करने के लिये अभिकर्त्ताओं ने जलवायु और प्रकृति से संबंधित ऋण स्वैप सहित SDG हेतु ऋण स्वैप को बढ़ाने पर बल देते हुए सभी लेनदारों द्वारा बहुपक्षीय कार्यों एवं समन्वय का आग्रह किया।
    • ऋण स्वैप, पर्यावरण और अन्य नीतिगत चुनौतियों से निपटने एवं हरित विकास का समर्थन करने के लिये कम आय वाले देशों में पूंजी जुटाने के अवसर प्रदान करती है।
  • कोविड-19 का प्रभाव:
    • इस सम्मेलन में स्वीकार किया गया कि कोविड-19 महामारी ने SDG पर प्रतिकूल प्रभाव डाला है, विशेष रूप से विश्व के सबसे निर्धन और कमज़ोर देशों में। इसने SDG को प्राप्त करने में प्रगति में तेज़ी लाने के लिये आपातकालीन पाठ्यक्रम सुधार की आवश्यकता पर प्रकाश डाला।
  • जलवायु कार्रवाई और आपदा जोखिम न्यूनीकरण को एकीकृत करना:
    • अभिकर्ताओं ने आपदा जोखिम न्यूनीकरण के लिये सेंदाई फ्रेमवर्क को पूर्ण रूप से लागू करने की सिफारिश की और जलवायु परिवर्तन से निपटने के प्रयासों को तेज़ करने का संकल्प लिया।
    • उन्होंने जलवायु लक्ष्यों के अनुरूप, हानि और क्षति का जवाब देने के लिये नई वित्त व्यवस्था को क्रियान्वित करने के लिये भी प्रतिबद्धता जताई।
  • वर्ष 2030 एजेंडा के प्रति प्रतिबद्धता:
    • अभिकर्ताओं ने कार्यान्वयन के आधे चरण में SDG की स्थिति के बारे में गहन चिंता व्यक्त की, उन्होंने निर्धनता, जबरन स्थानांतरण, असमानताओं और जलवायु परिवर्तन के प्रतिकूल प्रभावों जैसी चुनौतियों पर प्रकाश डाला।
    • इन चुनौतियों के बावजूद, उन्होंने एक स्थायी विश्व के लिये सभी के अधिकारों और कल्याण की रक्षा हेतु वर्ष 2030 एजेंडा तथा 17 SDG को पूरी तरह से लागू करने की सिफारिश की।

SDG में प्रगति से संबंधित चिंताएँ क्या हैं?

  • प्रगति और प्रतिबद्धता का अभाव:
    • प्रतिबद्धताओं के बावजूद, 17 SDG सहित 169 लक्ष्यों को पूरा करने की दिशा में प्रगति केवल 15% है और इसमें कुछ क्षेत्र पिछड़ भी रहे हैं।
  • फंडिंग की पर्याप्तता और पहुँच:
    • हालाँकि चिंता की बात यह है कि प्रतिबद्धता अवधि के आधे पड़ाव पर (दूसरी छमाही में) आवश्यक प्रगति को लेकर विश्वास बहुत कम है।
    • विकासशील देशों में SDG हासिल करने में निवेश का अंतर 4 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक होने का अनुमान है जो पूर्व के अनुमानों से काफी अधिक है।
    • यह विशाल वित्तीय आवश्यकता SDG को असंभव बना देती है, जिससे फंडिंग की पर्याप्तता और पहुँच पर सवाल खड़े हो जाते हैं।
  • असंबद्धताएँ और बाधाएँ:
    • SDG हस्तक्षेपों में पाँच असमानताओं की पहचान की गई है, जिनमें संसाधन आवंटन, सक्षम वातावरण का निर्माण, सह-लाभ, लागत-प्रभावशीलता और संतृप्ति सीमाएँ शामिल हैं।
    • विभिन्न बाधाएँ सहक्रियात्मक कार्रवाई में बाधा डालती हैं, जैसे सूचनाओं तक पहुँच में अंतर, राजनीतिक और संस्थागत बाधाएँ एवं आर्थिक चुनौतियाँ।
  • नीति कार्यान्वयन में चुनौतियाँ:
    • एकीकरण और सटीक उद्देश्यों की कमी के कारण नीति कार्यान्वयन में विसंगतियाँ एवं गलत संरेखण कठिनाइयाँ उत्पन्न करते हैं, विशेष रूप से नवीकरणीय ऊर्जा लक्ष्यों तथा छोटे पैमाने के अनुप्रयोगों को पूरा करने में।
  • जलवायु परिवर्तन और पर्यावरणीय प्रभाव:
    • जलवायु परिवर्तन को एक महत्त्वपूर्ण चुनौती के रूप में पहचाना गया है, जिससे SDG लक्ष्यों की प्राप्ति को खतरा है। वैश्विक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन अभी भी बढ़ रहा है, जिससे जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के प्रति हमारी संवेदनशीलता के विषय में चिंताएँ बढ़ रही हैं।

आगे की राह

  • जलवायु परिवर्तन और इसके पर्यावरणीय प्रभावों से निपटना एक प्राथमिकता होनी चाहिये, जिसके लिये समन्वित वैश्विक प्रयासों की आवश्यकता है।
  • सतत् विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने में प्रगति के लिये राष्ट्रों के बीच बहुपक्षीय कार्यों और सहयोग को प्रोत्साहित करना आवश्यक है।
  • अभिकर्त्ताओं को धारणीय विश्व हेतु सभी के अधिकारों और कल्याण की सुरक्षा पर ध्यान केंद्रित करते हुए वर्ष 2030 एजेंडा के
  • प्रति समर्पित रहना चाहिये।
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