श्रीनारदमीडिया, गया ( बिहार )
सीयूएसबी में “राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 अभिमुखीकरण और संवेदीकरण” विषय पर केंद्रित आठ दिवसीय ऑनलाइन फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम के अंतर्गत इसके विभिन्न पहलुओं पर चर्चा हुई। कुलपति प्रो. कामेश्वर नाथ सिंह के संरक्षण में सीयूएसबी के मालवीय मिशन शिक्षक प्रशिक्षण केंद्र द्वारा वाणिज्य एवं व्यवसाय अध्ययन विभाग के सहयोग से आयोजित कार्यक्रम में देश भर के उच्च शिक्षण संस्थानों के 80 से अधिक शिक्षक और शोधकर्ता शामिल हुए। पीआरओ मो मुदस्सीर आलम ने बताया दिन का शुभारंभ कार्यक्रम समन्वयक कॉमर्स विभाग की सहायक प्राध्यापिका डॉ. रचना विश्वकर्मा के स्वागत भाषण से हुआ। पहले सत्र के मुख्य वक्ता बीएचयू के वाणिज्य विभाग के डीन एवं हेड प्रो. एच. के. सिंह ने “मानव से मानव बनने की यात्रा” पर प्रेरणादायक विचार साझा किए। उन्होंने उच्च शिक्षा में शोध परियोजनाओं और गुणवत्ता प्रकाशनों के विकास पर जोर दिया, साथ ही राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के उद्देश्यों पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि एनईपी 2020 का मुख्य उद्देश्य समाज और छात्रों का समग्र और चहुमुखी विकास है। प्रो. एच. के. सिंह ने अपने सत्र में विकसित भारत @2047 मिशन की भी चर्चा की। जिसमें शिक्षा और उद्योग के योगदान की महत्वपूर्ण भूमिका को समझाया। उसके उपरांत दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स के डीन एवं हेड प्रो. अजय कुमार सिंह ने संस्थानो के विकास के लिए योजना बनाने पर एक विस्तृत प्रस्तुति देते हुए बताया कि कैसे संस्थान अपने लक्ष्यों और प्राथमिकताओं के आधार पर मानवीय, वित्तीय और संगठनात्मक कमियों की पहचान कर सकते हैं। अगले सत्र की शुरुआत कार्यक्रम समन्वयक कॉमर्स विभाग की सहायक प्राध्यापिका श्रीमती रेनू राय के स्वागत भाषण के साथ हुई। जिसे संबोधित करते हुए भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान, भोपाल के प्रो. आशुतोष कुमार सिंह ने एनईपी 2020 के ऐतिहासिक बिंदुओं पर चर्चा करते हुए उच्च शिक्षा में आईसीटी को सम्मिलित करने पर जोर दिया। वहीं सीयूएसबी के वाणिज्य विभाग के अध्यक्ष प्रो. ब्रजेश कुमार ने मुख्य वक्ता गुरु घासीदास विश्वविद्यालय, बिलासपुर के कुलपति प्रो. आलोक कुमार चक्रवाल का स्वागत किया। प्रो. चक्रवाल ने उच्च शिक्षा में वैश्वीकरण और अंतर्राष्ट्रीयकरण पर अपनी दूरदर्शी सोच को साझा किया।
कार्यक्रम का समग्र निर्देशन एमएम-टीटीसी के निदेशक डॉ. तरुण कुमार त्यागी द्वारा किया गया। जबकि आयोजन का समन्वयन डॉ. रचना विश्वकर्मा और श्रीमती रेनू राय ने किया। छात्र समन्वयक साकेत, रोशन, और शिवांगी ने कार्यक्रम के सुचारू संचालन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।