लिंगानुपात 918 से बढ़कर 933 हो गया है : केन्द्र सरकार

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने शुक्रवार को लोकसभा में बताया कि देश में जन्म के समय लिंगानुपात 2014-15 के 918 से 15 अंक बढ़कर 2022-23 में 933 हो गया है। संसद के निचले सदन में एक सवाल का जवाब देते हुए महिला एवं बाल विकास मंत्री ने कहा कि ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ योजना ने बालिकाओं के अधिकारों को स्वीकार करने के लिए जनता की मानसिकता को बदलने की दिशा में सामूहिक चेतना जगाई है।

एसआरबी में हुआ 15 अंकों का सुधार

“इस योजना ने भारत में सीएसआर (बाल लिंग अनुपात) में गिरावट के मुद्दे पर चिंता जताई है। यह राष्ट्रीय स्तर पर जन्म के समय लिंग अनुपात (एसआरबी) में 15 अंकों के सुधार के रूप में परिलक्षित होता है, जो कि 2014 में 918 था। 2022-23 में 15 अंक बढ़कर 933 हो गया।

किसी निश्चित जनसंख्या के लिए जन्म के समय बता दें लिंगानुपात, एक समयावधि में, जनसंख्या में जीवित पुरुष जन्मों की संख्या और जीवित महिला जन्मों की संख्या का अनुपात है, जिसे 100 के हर तक बढ़ाया जाता है।

    • वर्ष 2017-2019 में जन्म के समय लिंगानुपात 904 से बढ़कर वर्ष 2018-2020 में तीन अंक की वृद्धि के साथ 907 हो गया।
    • वर्ष 2011 के 943 की तुलना में वर्ष 2036 तक भारत में लिंगानुपात (प्रति 1,000 पुरुषों पर महिलाएँ) बढ़कर 952 होने की उम्मीद है।
  • श्रम बल में भागीदारी:
    • वर्ष 2017-2018 में 15 वर्ष से अधिक आयु वाले श्रम बल की भागीदारी में वृद्धि देखी गई है। हालाँकि इसमें पुरुषों की तुलना में महिलाएँ काफी पीछे हैं।
    • वर्ष 2021-2022 में पुरुषों के लिये यह दर 77.2 और महिलाओं के लिये 32.8 थी तथा  अनेक वर्षों से इस असमानता में कोई सुधार नहीं देखा गया है।
    • कार्यस्थल पर पारिश्रमिक और अवसरों के संदर्भ में सामाजिक कारक, शैक्षिक योग्यता तथा लैंगिक असमानता इस प्रकार की समस्या के प्रमुख कारण हैं।
  • जनसंख्या वृद्धि:
    • जनसंख्या वृद्धि, जो वर्ष 1971 के 2.2% से लेकर वर्ष 2021 में 1.1% रही पहले से ही नीचे की ओर अग्रसर है, के वर्ष 2036 में 0.58% तक गिरने का अनुमान है।  
    • पूर्ण आँकड़ों के अनुसार, वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार, 1.2 बिलियन लोगों में महिला जनसंख्या 48.5% थी और वर्ष 2036 में 1.5 बिलियन लोगो में महिला जनसंख्या हिस्सेदारी (48.8%) में मामूली सुधार अपेक्षित है।
  • लिंग विन्यास के अनुसार आयु:
    • भारत में आयु एवं लिंग संरचना के अनुसार 15 वर्ष से कम आयु की आबादी में गिरावट की और वर्ष 2036 तक 60 वर्ष से अधिक की आबादी में वृद्धि होने की संभावना है। 
    • इस प्रकार जनसंख्या पिरामिड एक परिवर्तन से गुज़रेगा क्योंकि वर्ष 2036 में पिरामिड का आधार छोटा हो जाएगा, जबकि मध्य का भाग बड़ा हो जाएगा। 
      • किसी देश में जनसंख्या की आयु एवं लिंग संरचना विभिन्न माध्यमों से लिंग संबंधी मुद्दों को प्रभावित कर सकती है। समाज के विभिन्न पहलुओं को प्रभावित करने वाली आयु संरचना मुख्य रूप से प्रजनन क्षमता और मृत्यु दर के रुझानों से निर्धारित होती है।

  • स्वास्थ्य सूचना और सेवाओं तक पहुँच:
    • संसाधनों और निर्णय लेने की शक्ति तक पहुँच का अभाव, गतिशीलता पर प्रतिबंध आदि पुरुषों तथा लड़कों की तुलना में महिलाओं व लड़कियों हेतु स्वास्थ्य संबंधी जानकारी एवं सेवाओं तक पहुँच को अधिक कठिन बनाते हैं।
  • प्रजनन दर:

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