सूर्यग्रहण के कारण छाया अंधेरा, ग्रहण के बाद मंदिरों में शुरू हुई पूजा-पाठ

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सूर्यग्रहण के कारण शाम में अचानक से अंधेरा हो गया

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

इस साल का आखिरी सूर्य ग्रहण पड़ा।ग्रहण भारत में करीब 2 घंटे तक दिखाई दिया। इसे देश के अधिकतर हिस्सों में देखा गया। देश में सबसे पहले यह अमृतसर में शाम 4.19 बजे नजर आया। वहीं, मुंबई में शाम 6.09 बजे तक सूर्य ग्रहण दिखाई दिया। ज्यादातर जगह ग्रहण सूर्यास्त के साथ ही खत्म हुआ।

भारत से पहले दुनियाभर में नजर आया सूर्य ग्रहण
भारत से पहले दुनिया के अलग-अलग देशों में सूर्य ग्रहण देखा गया। अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा के मुताबिक आज का सूर्य ग्रहण यूरोप, नॉर्थ-ईस्ट अफ्रीका, मिडिल ईस्ट और वेस्ट एशिया में दिखाई दिया। नीचे दी गई तस्वीरों में आप दुनिया के अलग-अलग देशों में ग्रहण का नजारा देख सकते हैं….

बड़ी संख्या में लोग सूर्यग्रहण देखने के लिए अपने घरों की छत पर खड़े हैं. सूर्यग्रहण के कारण शाम में अचानक से अंधेरा हो गया. पटना में सूर्य ग्रहण शाम 4.42 से सूर्य ग्रहण दिखना शुरू हुआ. शाम 5 बजकर 11 मिनट पर सूर्य ग्रहण का मध्य हुआ और शाम 5 बजकर 13 मिनट पर पटना में सूर्यास्त हो गया. ऐसे में शेष अवधि का ग्रहण सूर्यअस्त के कारण पटना के लोगों को दिखायी नहीं दे सका. इस दौरान पटना के सभी मंदिरों के कपाट बंद रहे. ग्रहण खत्म होने के बाद मंदिर में साफ-सफाई का दौर जारी है.

दिवाली के बाद ग्रहण की वजह से गोवर्धन पूजा एक दिन बाद
इस बार दीपावली पर सूर्य ग्रहण और बुध, गुरु, शुक्र, शनि का अपनी-अपनी राशि में हैं, ऐसा योग पिछले 1300 सालों में नहीं बना है। और इसका सूतक मंगलवार सुबह चार बजे से शुरू हो गया। आज का ग्रहण भारत में दिखाई दिया, इसलिए सूतक की वजह से इस साल दिवाली और गोवर्धन पूजा के बीच एक दिन का गैप है। अब गोवर्धन पूजा 26 अक्टूबर को होगी। 2022 के बाद दीपावली और सूर्य ग्रहण का योग 2032 में 3 नवंबर को बनेगा। इस सूर्य ग्रहण के बाद 8 नवंबर को पूर्ण चंद्र ग्रहण भी होगा, जो एशिया, ऑस्ट्रेलिया, प्रशांत महासागर और अमेरिका में दिखेगा।

दिवाली जैसे बड़े त्योहार पर सूर्य ग्रहण होने से कई तरह के कन्फ्यूजन पैदा हो गए। जैसे लक्ष्मी जी की चौकी कब हटानी है, ग्रहण के समय खाने को कैसे सुरक्षित और पवित्र रखें, सूतक का समय क्या रहेगा, ग्रहण का सभी राशियों पर कैसा असर होगा, ग्रहण के समय गर्भवती महिलाओं को विशेष सावधानी रखने की सलाह क्यों दी जाती है, सूर्य ग्रहण देखते समय आंखों की केयर कैसे करें?

देवताओं और दानवों ने मिलकर समुद्र को मथा तो अमृत निकला। विष्णु जी मोहिनी अवतार लेकर देवताओं को अमृत पान करा रहे थे।

एक असुर राहु देवताओं का वेश बनाकर देवताओं के बीच बैठ गया और उसने अमृत पी लिया। सूर्य और चंद्र राहु को पहचान गए और उन्होंने विष्णु जी को ये बात बता दी।

विष्णु जी ने सुदर्शन चक्र से राहु का सिर धड़ से अलग कर दिया, लेकिन राहु ने अमृत पी लिया था, इस कारण वह मरा नहीं। राहु के दो हिस्से हो गए। एक हिस्से को राहु और दूसरे हिस्से को केतु कहा जाता है।

राहु की शिकायत सूर्य और चंद्र ने की थी, इस कारण वह इन दोनों को दुश्मन मानता है और समय-समय पर इन दोनों ग्रहों को ग्रसता है, जिसे ग्रहण कहा जाता है।

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