शंघाई सहयोग संगठन:भारत के लिये SCO का क्या महत्त्व है?
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
दिल्ली में आयोजित शंघाई सहयोग संगठन (Shanghai Cooperation Organisation- SCO) की मंत्रिस्तरीय बैठक में भागीदारी के लिये चीन और रूस के रक्षा मंत्रियों के भारत आगमन की खबर ध्यान आकृष्ट कर रही है। संगठन के वर्तमान अध्यक्ष के रूप में भारत के पास यह अवसर मौजूद है कि वह SCO के साथी सदस्यों के साथ चीन के साथ सीमा टकराव को कम करने और यूक्रेन में युद्ध के बीच भारत को रूसी पुर्जों एवं हथियारों की आपूर्ति सहित विभिन्न द्विपक्षीय मुद्दों पर चर्चा कर सके।
- कई देश SCO की सदस्यता पाने हेतु कतार में हैं, जो एक समावेशी मंच है और गैर-पश्चिमी सुरक्षा संस्थानों के उदय को रेखांकित करता है। हालाँकि, क्षेत्रीय राज्यों की ओर से SCO में बढ़ती रुचि के बावजूद, संगठन के भीतर व्याप्त आंतरिक अंतर्विरोधों की छाया इसके रणनीतिक सामंजन पर पड़ रही है।
SCO के सदस्य
- सदस्यता:
- SCO के आठ सदस्य देश हैं: चीन, भारत, कज़ाखस्तान, किर्गिज़स्तान, पाकिस्तान, रूस, उज़्बेकिस्तान और ताजिकिस्तान। ईरान जल्द ही संगठन में शामिल होने वाला नया सदस्य होगा।
- पर्यवेक्षक:
- अफगानिस्तान, बेलारूस और मंगोलिया पर्यवेक्षक का दर्जा रखते हैं और वे भी ईरान की राह पर आगे बढ़ते हुए संगठन की सदस्यता चाहते हैं।
- संवाद सहयोगी:
- संगठन के वर्तमान और आरंभिक संवाद भागीदारों (Dialogue Partners) की सूची में अज़रबैजान, आर्मेनिया, मिस्र, क़तर, तुर्की, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, मालदीव, नेपाल और श्रीलंका शामिल हैं।
SCO के सदस्य देशों के बीच संघर्ष के मुद्दे
- विभिन्न देशों के बीच मौजूद संघर्ष:
- सीमा मुद्दों पर भारत और चीन के बीच:
- भारत-चीन कॉर्प्स कमांडर स्तर की 18वें दौर की बैठक के बाद भी दोनों देशों के बीच तनाव को कम करने में कोई बड़ी सफलता नहीं मिली है।
- आतंकवाद पर भारत और पाकिस्तान के बीच:
- राज्य प्रायोजित आतंकवाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव का प्रमुख कारण है।
- भारत पाकिस्तान सीमा पर बार-बार संघर्ष विराम का उल्लंघन चिंता का एक अन्य कारण है।
- सीमा मुद्दों पर किर्गिज़स्तान और ताजिकिस्तान के बीच:
- दोनों देशों के बीच संघर्ष की वृद्धि, जैसा कि सितंबर में और फिर नवंबर 2022 में देखा गया, इस क्षेत्र के लिये एक चिंताजनक प्रगति है।
- इस संघर्ष में मध्य एशिया और उसके पड़ोसी क्षेत्रों की स्थिरता पर नकारात्मक प्रभाव डालने की क्षमता है।
- तालिबानी नेतृत्व वाले अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच भी संघर्ष के कई मुद्दे हैं जो दोनों देशों के सीमा क्षेत्र को अस्थिर बनाते हैं।
- SCO का मुख्य उद्देश्य यूरेशिया में शांति को बढ़ावा देना है, लेकिन सदस्य राज्यों के बीच अंतरा-राज्यीय और अंतर-राज्यीय संघर्षों से निपटने की इसकी क्षमता संवीक्षा के अधीन है।
- सीमा मुद्दों पर भारत और चीन के बीच:
प्रमुख चुनौतियाँ
- चीन का उदय:
- चीन के उदय के साथ आंतरिक एशिया में प्रमुख शक्ति के रूप में चीन के उभार की संभावनाएँ बढ़ रही हैं।
- इसने अन्य क्षेत्रीय शक्तियों, जैसे संयुक्त राज्य अमेरिका की ओर से बाह्य दबावों को जन्म दिया है, जो चीन के उदय को नियंत्रित करने और क्षेत्र में उसके प्रभाव को सीमित करने की इच्छा रखता है।
- सीमित संस्थागत तंत्र:
- जबकि SCO में कई निकाय हैं, जैसे कि राज्य प्रमुखों की परिषद, विदेश मंत्रियों की परिषद और राष्ट्रीय समन्वयकों की परिषद, इन निकायों में औपचारिक निर्णयन एवं प्रवर्तन शक्तियों का अभाव है जो प्रभावी शासन के लिये आवश्यक होता है।
- सदस्य राज्यों के बीच विवादों को सुलझाने के लिये SCO के पास किसी औपचारिक तंत्र का अभाव है।
- अलग-अलग हित और असहमतियाँ:
- SCO में ऐसे सदस्य देश शामिल हैं जो भिन्न-भिन्न राजनीतिक प्रणालियाँ, आर्थिक मॉडल और रणनीतिक प्राथमिकताएँ (जैसे CPEC, सीमा अवसंरचना परियोजनाएँ) रखते हैं। इससे आर्थिक सहयोग और सुरक्षा जैसे मुद्दों पर आंतरिक संघर्षों एवं असहमतियों की संभावना बनती है।
- सीमित भौगोलिक दायरा:
- SCO का भौगोलिक फोकस यूरेशिया और पड़ोसी क्षेत्रों तक सीमित है, जो वैश्विक मुद्दों और चुनौतियों से संलग्न हो सकने की इसकी क्षमता को अवरुद्ध करता है।
- पश्चिमी संशय और आलोचना:
- SCO को पश्चिमी देशों की ओर से इसकी लोकतांत्रिक साख की कमी, सत्तावादी शासनों के समर्थन और इसके आंतरिक संघर्षों एवं सदस्य देशों के बीच सीमा विवादों के कारण आलोचना का सामना करना पड़ता है।
भारत के लिये SCO का क्या महत्त्व है?
- आर्थिक सहयोग:
- SCO भारत को मध्य एशियाई देशों के साथ आर्थिक सहयोग बढ़ाने के लिये एक मंच प्रदान करता है, जिनके पास प्राकृतिक संसाधनों का विशाल भंडार है।
- भारत अपनी आर्थिक साझेदारियों में विविधता लाने के लिये SCO देशों के साथ अपने व्यापार और निवेश संबंधों को बढ़ाने की इच्छा रखता है।
- ऊर्जा सुरक्षा:
- मध्य एशिया में तेल एवं गैस के विशाल भंडार मौजूद हैं और भारत अपनी ऊर्जा सुरक्षा बढ़ाने के लिये इन संसाधनों का दोहन करना चाहता है।
- SCO भारत को मध्य एशिया के ऊर्जा संपन्न देशों के साथ संलग्न होने और ऊर्जा क्षेत्र में सहयोग के अवसरों का पता लगाने के लिये एक मंच प्रदान करता है।
- 22वें शिखर सम्मेलन में हस्ताक्षरित ‘समरकंद घोषणा’ (Samarkand Declaration) कनेक्टिविटी को केंद्रीकृत करती है जो भारत के लिये ऊर्जा और खाद्य सुरक्षा के साथ-साथ एक प्राथमिक विषय है।
- सांस्कृतिक सहयोग:
- SCO के सदस्य देशों, पर्यवेक्षकों और भागीदारों के समग्र सांस्कृतिक धरोहर में 207 यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल शामिल हैं।
- SCO सदस्य देशों ने एक रोटेटिंग पहल के तहत हर साल SCO सदस्य देशों के किसी एक शहर को पर्यटन एवं सांस्कृतिक राजधानी के रूप में नामित करने का निर्णय लिया है।
- इस क्रम में ‘काशी’ (वाराणसी) को SCO की पहली सांस्कृतिक राजधानी के रूप में नामित किया गया है।
- आतंकवाद से मुक़ाबला:
- SCO का आतंकवाद विरोधी सहयोग पर विशेष ध्यान है।
- आतंकवाद का शिकार रहे भारत को इस क्षेत्र में आतंकवाद से निपटने के लिये संगठन के सामूहिक प्रयासों से लाभ प्राप्त हो सकता है।
SCO का महत्त्व
- आर्थिक सहयोग:
- SCO के आठ सदस्य देश वैश्विक आबादी के लगभग 42% और वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद के 25% का प्रतिनिधित्व करते हैं। इस क्षेत्र में पर्यटन की अपार संभावनाएँ मौजूद हैं जिसे SCO देशों के बारे में जागरूकता का प्रसार कर बढ़ावा दिया जा सकता है।
- कनेक्टिविटी:
- SCO चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (China-Pakistan Economic Corridor- CPEC) और अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारा (International North-South Transport Corridor- INSTC) सहित विभिन्न अवसंरचना परियोजनाओं के माध्यम से अपने सदस्य देशों के बीच कनेक्टिविटी को बढ़ावा दे रहा है।
- सुरक्षा सहयोग:
- आतंकवाद, अलगाववाद और उग्रवाद वे प्रमुख खतरे हैं जिन पर SCO विशेष रूप से ध्यान केंद्रित करता है।
- आतंकवाद, अलगाववाद और उग्रवाद के विरुद्ध संघर्ष में सदस्य देशों के बीच सहयोग को बढ़ावा देने के लिये क्षेत्रीय आतंकवाद विरोधी संरचना (Regional Anti-Terrorist Structure- RATS) का निर्माण किया गया है।
- RATS क्षेत्र में आतंकवाद को रोकने और इससे मुक़ाबला करने के लिये खुफिया जानकारी की साझेदारी, संयुक्त अभ्यासों एवं अभियानों के आयोजन और कार्रवाई के समन्वयन के लिये एक मंच प्रदान करता है।
निष्कर्ष
SCO क्षेत्रीय राज्यों के लिये एक आकर्षक मंच है, लेकिन इसके आंतरिक अंतर्विरोध चिंता के कारण हैं। सदस्य देशों के बीच संघर्ष को रोकना SCO के लिये उच्च प्राथमिकता का विषय है, लेकिन इस संबंध में इसका अभी तक का रिकॉर्ड संतोषजनक नहीं है। जबकि चीन का बढ़ता क्षेत्रीय प्रभाव रूस की कीमत पर उत्पन्न हो सकता है,
रूस और चीन पहले से कहीं अधिक निकट आए हैं और उनके बीच मध्य एशिया पर आपसी संघर्ष बढ़ने का कोई कारण मौजूद नहीं है। रूस के बाहुबल और चीन के धन ने पश्चिमी शक्तियों को क्षेत्र से बाहर रखने के लिये मध्य एशिया में उनके श्रम के रणनीतिक विभाजन हेतु एक विवेकपूर्ण आधार प्रदान किया है।
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