धरती पर समर्पण व प्रेम का प्रतिरूप है शिव- पार्वती विवाह
कन्यादान देना सौभाग्य की बात : किशोरी साक्षी
श्रीनारद मीडिया, सीवान (बिहार):
सीवान सदर प्रखंड के चकरा गांव के मठ परिसर में चल रहे श्री लक्ष्मी नारायण महायज्ञ के सातवें दिन श्री श्री 108 उत्तम अयोध्या जी महाराज उर्फ तुरंत उत्तम फल देव बाबा जी महाराज के सानिध्य में यज्ञाचार्य पं. लक्ष्मी निधि मिश्र के नेतृत्व में श्रीधाम वृंदावन से पधारी राष्ट्रीय स्तर की कथावाचिका पूज्या किशोरी साक्षी दीदी ने शिव-पार्वती विवाह प्रसंग का जीवंत मंचन कर श्रद्धालुओं को भाव-विभोर कर दिया।
कहा कि श्रद्धा स्वरूप माता पार्वती का चरित्र भारतीय नारियों के लिए अनुकरणीय है। यह विवाह स्त्रियों व संपूर्ण समाज के लिए कूल व परिवार की मर्यादा रख कर धर्म व संस्कार की कैसे स्थापना की जाए इसका जीवंत उदाहरण है। उन्होंने बताया कि प्राण बिना शरीर वैसे ही निरर्थक है जैसे संस्कार बिना जीवन। यह विवाह कई मायनों में अद्वितीय व अद्भुत है।
कथावाचिका ने मां पार्वती की अटल इच्छाशक्ति का वर्णन करते हुए बताया कि सबके विरोध के बावजूद उन्होंने भगवान शिव की वंशावली, वेशभूषा, रहन-सहन, विजातीय बाराती आदि तमाम तथ्यों को नजरअंदाज करते हुए वैदिक रीति रिवाज व संस्कारों की परिधि में रहकर विवाह किया। उल्लेखनीय है कि राजा दक्ष की पुत्री सती स्वरूपा मां जगदंबा हवन कुंड में भस्म होने के पश्चात दूसरे जन्म में राजा हिमालय की पत्नी मेनका के गर्भ में प्रविष्ट होकर पार्वती के रूप में अवतरित हुई थी। इस भावनात्मक प्रसंग के दौरान कन्या दान का महत्व भी बताया गया।
कन्या दान देना भाग्य की बात होती है। विभिन्न प्रसंग के दौरान साक्षी दीदी ने श्रद्धालुओं को कई आध्यात्मिक अनुभवों का दर्शन कराया। बताया लोग कहते हैं कि बेटा हो तो श्री राम जैसा, प्रेमी हो तो श्री कृष्ण जैसा और पति हो तो भगवान शिव जैसे ।
उन्होंने बहुत सुंदर प्रसंग की व्याख्या करते हुए बताया कि गृहस्थ जीवन में स्वस्थ रिश्ते के लिए कर्तत्व निभाने के साथ-साथ एक साथ समय बिताना और मनोरंजन करना परम आवश्यक है। इसी दौरान उन्होंने विभिन्न प्रसंगों पर चर्चा करते हुए बताया कि जब जीवन रूपी समर में एक ओर पाप व दूसरी ओर पुण्य रूपी सेना खड़ी हो तो ऐसी स्थिति में श्री लक्ष्मी नारायण का चिंतन करना श्रेयस्कर होगा।
परमात्मा का अटल नियम है कि वह मांगने से कुछ नहीं देते और बिना मांगे सब कुछ और सामर्थ्य से अधिक दे देते हैं। मन पर नियंत्रण रखने की सलाह देते हुए बताया कि मन जैसा चिंतन करता है वैसा ही गुण अथवा अवगुण मानव के अंदर समाहित हो जाता है। श्रद्धालु कथा का श्रवणपान कर काफी आनंदित हुए।
मौके पर पंडित अनूप पांडेय, कमलेश ओझा, कृपा शंकर मिश्र, राकेश तिवारी, श्री श्री 108 त्यागी जी महाराज उर्फ मनोज पांडेय, प्रभु शंकर पाठक, सपत्नीक यजमान ब्रजेश यादव व बेबी देवी, ब्रजेश शर्मा व पूनम देवी, यजमान सुभाष साह, मुखियापति मंजेश कुमार रजक, बृजेश यादव, रंजन सिंह, केशव सिंह, शिवनाथ भगत, लल्लन यादव, विनोद यादव, राजेश यादव, वीर बहादुर यादव, उपेंद्र यादव, सुनील यादव, राजेश पटेल, डॉ. प्रेम ओझा, राजा शर्मा, विवेक ओझा, नागेंद्र शर्मा, महेश ठाकुर, वकील यादव, श्याम लाल यादव, शेषनाथ यादव, विनायक पांडेय, नंदलाल यादव, सुतार यादव, लक्ष्मण यादव, मंटू कुमार यादव, सुदामा यादव, सिंपू उर्फ राजीव रंजन श्रीवास्तव, रितिक, कनिष्क समेत हजारों श्रद्धालु मौजूद थे।
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