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क्या इंडिया गठबंधन को सिर्फ़ वोट-शेयर के अवसरवादी गणित के भरोसे ही नहीं रहने चाहिए? - श्रीनारद मीडिया

क्या इंडिया गठबंधन को सिर्फ़ वोट-शेयर के अवसरवादी गणित के भरोसे ही नहीं रहने चाहिए?

क्या इंडिया गठबंधन को सिर्फ़ वोट-शेयर के अवसरवादी गणित के भरोसे ही नहीं रहने चाहिए?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

मोहब्बत की यह दुकान आखिर कैसे काम करेगी? संस्थाओं की स्वायत्तता के प्रश्न का सामना कैसे किया जाएगा और अधिक समानता और समावेश कैसे आएगा? भ्रष्टाचार के मामले में चीजें यूपीए से अलग कैसे होंगी? और हम इसको लेकर कैसे निश्चिंत हो जाएं कि तुष्टीकरण की राजनीति फिर से लौट नहीं आएगी? इन तमाम सवालों का एक ही जवाब है कि देश की सेवा करने के लिए ईमानदार प्लान बनाएं, केवल वोट-शेयर के अवसरवादी गणित के भरोसे ही न रहें!

‘चलो चाइनीज फूड खाते हैं’, शनिवार की शाम मैंने अपने दो दोस्तों से कहा, ‘और फिर ‘गदर 2’ देखने चलते हैं।’ हम वीकएंड के लिए प्लान बना रहे थे। ‘नहीं, चाइनीज फूड तुम्हारे लिए ठीक नहीं होगा’, मेरे एक दोस्त ने कहा। ‘और ‘गदर 2’ बहुत ही आक्रामक है, वह मेरे टाइप की फिल्म नहीं’, दूसरे दोस्त ने कहा।

‘ठीक है, तो छोले-भटूरे खाते हैं और स्टैंडअप कॉमेडी देखते हैं’, मैंने कहा। ‘नहीं, नहीं, छोटे-भटूरे में बहुत कैलरीज़ होती हैं’, मेरे एक दोस्त ने कहा, जबकि दूसरा बोल पड़ा, ‘मुझे स्टैंडअप कॉमेडी पसंद नहीं।’ मैंने उनके सामने तीन और आइडिया रखे और तीनों ही तर्कों के साथ खारिज कर दिए गए।

आखिरकार मैंने पूछा कि तब हम करें क्या? दोनों एक-दूसरे का मुंह ताकने लगे। उनमें से एक ने कहा, ‘कुछ अच्छा खाते हैं।’ दूसरे ने कहा, ‘और कुछ कूल और मजेदार करते हैं।’ ‘लेकिन क्या?’ मैंने पूछा। ‘कुछ भी’, उनमें से एक ने कहा, जबकि दूसरा चुप हो गया और अपने कंधे उचका दिए।

इंडिया गठबंधन के साथ भी यही हो रहा है! गठबंधन में शामिल पार्टियों ने एक मंच पर आकर और ग्रुप फोटो खिंचवाकर अच्छा काम किया। उसके सदस्य भी भाजपा सरकार विशेषकर प्रधानमंत्री की आलोचना करने में माहिर हैं। भाजपा पर सोशल मीडिया पर कटाक्ष करने का खेल भी अब निखर गया है।

लेकिन इसके बावजूद यह गठबंधन मेरे उन दोस्तों की तरह ही है, जिनके साथ मैं कुछ प्लान्स बना रहा था। वे दूसरों के विचारों को काटते हैं, मौजूदा योजना की आलोचना करते हैं, क्या कारगर नहीं रहेगा यह बताते हैं- लेकिन उनके पास खुद का कोई प्लान नहीं है!

ठीक है कि आपको भाजपा, उसका नेतृत्व, उसकी राजनीति वगैरा-वगैरा पसंद नहीं। तब आप क्या करने की योजना बना रहे हैं? अभी तो इंडिया गठबंधन के पास इसका कोई जवाब नहीं है। अभी तक उसका मकसद इतना ही है कि 2019 में भाजपा को 37% वोट मिले थे, अगर हम सब एकजुट हो जाएं और सीट-शेयरिंग का फॉर्मूला बना पाएं तो बाकी के 63% वोट हमारे पाले में आ जाएंगे और हम चुनाव जीतकर सत्ता में आ जाएंगे।

अनेक एक्सपर्ट बताते हैं कि इस तरह से नहीं होता है, तब भी एक बार को मान लें कि ऐसा हो जाता है और इंडिया गठबंधन सत्ता में आ जाता है। उसके बाद क्या? तब वह क्या अलग करेगा? वह यह कैसे सुनिश्चित करेगा कि वे भाजपा में जो गलतियां बता रहे हैं, उन्हें खुद नहीं दोहराएंगे? क्या वे नए कानून बनाएंगे? क्या उनकी कुछ नई योजनाएं और नीतियां होंगी? वो ऐसे कौन-से बदलाव लाएंगे, जिन्हें देश देखना चाहता है और वे वैसा कैसे करेंगे?

अभी तक उनके पास इन सवालों के कोई जवाब नहीं हैं। अभी वो केवल इतना ही कह रहे हैं कि ब्रो, हम पर भरोसा करो और हमको सत्ता दे दो, हम सब ठीक कर देंगे। लेकिन कैसे? अगर आप अधिक समावेश चाहते हैं तो आप इसको कैसे करेंगे? अगर आप जीडीपी को बढ़ाएंगे या रोजगार देंगे या और नई सड़कें बना देंगे तो यह आप ठीक-ठीक किस तरह से करेंगे?

अगर मिलीभगत का पूंजीवाद आपकी नजर में एक समस्या है तो आप यह कैसे सुनिश्चित करेंगे कि यह आपके राज में नहीं होगा? और हां, चूंकि हम उन सवालों की बात कर रहे हैं जिनके जवाब नहीं दिए गए हैं तो लगे हाथों यह भी बता दीजिए कि भ्रष्टाचार के लिए जवाबदेही आप कैसे तय करेंगे?

इतने बड़े गठबंधन में जब भिन्न-भिन्न पार्टियों के अलग-अलग मंत्री होंगे और किसी एक मंत्री पर एक्शन लेने का मतलब होगा, सरकार के गिरने का खतरा पैदा कर देना, तब साफ छवि वाली सरकार कैसे सुनिश्चित होगी? हमारे पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह बहुत ईमानदार थे, लेकिन उन्होंने भी गठबंधन की चुनौतियों को माना था। फिर यह आगे कैसे नहीं होगा?

मैं ये नहीं कह रहा हूं कि इन सवालों के कोई जवाब नहीं दिए जा सकते हैं, पर जवाब दिए जाने चाहिए। अपने को इंडिया कहने भर से बात नहीं बनेगी। वैसे भी, सरकार में आने की चाह रखने वाली किसी भी विपक्षी पार्टी या गठबंधन को मौजूदा सरकार की आलोचना करने के अलावा भी कुछ करना चाहिए।

 

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