श्री गणपत्यअथर्वशीर्षम् मंत्र नौकरी रोजगार आदि के विघ्नों का करता है नाश
बुधवार को श्री गणपत्यअथर्वशीर्षम् के पाठ करने से सब बिगड़े काम बन जाते हैं
श्रीनारद मीडिया, (बिहार):
संकष्ठि गणेश चतुर्थी संकटों का नाश करने वाली है. जिन लोगों की बुध की दशा अच्छी न चल रही हो उन्हें नौकरी-रोजगार में बहुत परेशानी आती है. गणेशजी के श्री गणपत्यअथर्वशीर्षम् के पाठ से ये बाधाएं दूर होती हैं.
गणेश आराधना से दूर होते हैं ये संकट. बुधवार गणपति का दिन है. आज समय निकालकर बुद्धि, धन, ज्ञान, सम्मान एवं यश के देवता गणेश को प्रसन्न करने के लिए श्री गणपत्यथर्वशीर्षम् का पाठ जरूर करें. ट्रेन में बैठे हों, बस में हों यब जब भी समय हो जितना संभव हो इस मंत्र का पाठ करें. आज के दिन तो कम से कम 11 बार जरूर करें.
स्मरण शक्ति बढ़ाने वाल भी माना जाता है इस श्री गणपत्यअथर्वशीर्षम् मंत्र को. इसलिए विद्यार्थियों के लिए खास तौर से लाभदायक है.
भगवान श्री गणेश सृष्टि के आद्यतत्व हैं. अमंगल रोकने वाले मंगलमूर्ति श्रीगणेश जी प्रथमपूज्य हैं. श्री गणपत्यथर्वशीर्षम् का प्रतिदिन पाठ करना अत्यंत कल्याणकारी है. यदि प्रतिदिन नहीं करते तो कम से कम बुधवार को तो अवश्य करें. इस गणेश चतुर्थी से यह कार्य आरंभ कर दें. घोर परिश्रम के बाद भी सफलता नहीं मिलती तो श्रीगणेशजी की शरण लें. श्रीगणेशजी ने शिवजी द्वारा सौंपे अनगिनत ऐसे कार्य किए जो असंभव प्रतीत होते थे. गणेश पुराण में यह सब बड़े सरस तरीके से वर्णित है. पढ़कर मन आनंदित हो जाता है और अपना आत्मबल भी बढ़ता है.
।।श्री गणपत्यअथर्वशीर्षम् मंत्र।।
।।हरि ओम् नमस्ते गणपतये।।
त्वमेव प्रत्यक्षं तत्वमसि | त्वमेव केवलं कर्ता असि|
त्वमेव केवलं धर्ता असि | त्वमेव केवलं हर्ता असि||
त्वमेव सर्वं खल्विदं ब्रह्म असि| त्वं साक्षात् आत्मा असि नित्यम्।।
ऋतं वच्मि| सत्यं वच्मि ||
अव त्वं माम् | अव वक्तारम्।
अव श्रोतारम् | अव दातारम्|
अव धातारम् | अवानूचामवशिष्यम्||
अव पश्चातात| अव पुरस्तात् |
अवोत्तरात्तात् | अव दक्षिणात्तात्|
अव चोर्ध्वातात अवाधरात्तात् | सर्वतो मां पाहि पाहि समन्तात्||
त्वं वांग्मयस्त्वं चिन्मयः| त्वं आनंदमयस्त्वं ब्रह्ममयः|त्वं सच्चिदानंद अद्वितीयो असि|
त्वं प्रत्यक्षं ब्रह्मा असि | त्वं ज्ञानमयो विज्ञानमयो असि||
सर्वं जगदिदम् त्वत्तो जायते| सर्वं जगदिदं त्वत्तस्थिष्ठति|
सर्वं जगदिदम् त्वयि लयमेष्यति| सर्वं जगदिदम् त्वयि प्रत्येति|
त्वं भूमिरापोSनलोSनिलो नभः | त्वं चत्वारि वाक्पदानि||
त्वं गुणत्रयातीतः। त्वम कालत्रयातीतः|
त्वं देहत्रयातीतः। त्वं मूलाधारस्थितोSसि नित्यम्||
त्वं शक्तित्रयात्मकः| त्वां योगिनो ध्यायंति नित्यम्|
त्वं ब्रह्मास्त्वं। विष्णुस्त्वं।
रूद्रं त्वम् इंद्रम्। त्वमग्निस्त्वं।
वायुस्त्वं सूर्यं त्वम्। चंद्रमास्त्वं भूर्भुवःस्वरोम् ||
गणादिं पूर्वमुच्चार्यम्। वर्णादिं तदनंतरम् |
अनुस्वारः परतरः। अर्धेंदुलसितम्| तारेण रुद्धम्|
एतत्तव मनुस्वरूपम् | गकारः पूर्वरूपम्|
अकारो मध्यमरूपम् | अनुस्वारश्चान्त्यरूपम्|
बिंदुरुत्तररूपम् | नादः संधानम् ||
संहितासंधि:| सैषा गणेशविद्या|
गणकऋषि:| निचृदगायत्रीच्छंदः |
श्री महाणपतिर्देवता||| ओम् गं गणपतये नमः ||
एकदंताय विद्महे, वक्रतुंडाय धीमहि | तन्नो दंति: प्रचोदयात् ||
एकदंतं चतुर्हस्तं पाशमंकुशधारिणम् | अभयं वरदं हस्तैर्बिभ्राणं मूषकध्वजं |
रक्तं लंबोदरं शूर्पकर्णकं रक्तवाससम्। रक्तगंधानुलिप्तांगम् रक्तपुष्पै: सुपूजितम् ||
भक्तानुकंपिनं देवं जगत्कारणमच्युतम् | आविर्भूतं च सृष्ट्यादौ प्रकृते: पुरुषात्परम् ||
एवं ध्यायति यो नित्यं स योगी योगिनां वरः ||
नमो व्रातपतये। नमो गणपतये।।
नम: प्रथमपतये। नमस्ते अस्तु लंबोदराय।।
एकदंताय विघ्नविनाशिने शिवसुताय श्रीवरदमूर्तये नमो नमः ||
।।इति श्री गणपत्यअथर्वशीर्षम् मंत्रः।।
बुधवार को समय निकालकर कम से कम एक बार श्री गणपत्यअथर्वशीर्षम् का पाठ अवश्य करना चाहिए. अन्य दिनों में किसी कारण से अगर पूरा मंत्र न जप पाते हों तो नीचे लिखे उपमंत्र का कम से कम 11 बार पाठ जरूर करें.
नमो व्रातपतये। नमो गणपतये।।
नम: प्रथमपतये। नमस्ते अस्तु लंबोदराय।।
एकदंताय विघ्नविनाशिने शिवसुताय श्रीवरदमूर्तये नमो नमः ||
।।ऊं गं गणपतये नमः।।
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