Notice: Function _load_textdomain_just_in_time was called incorrectly. Translation loading for the newsmatic domain was triggered too early. This is usually an indicator for some code in the plugin or theme running too early. Translations should be loaded at the init action or later. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 6.7.0.) in /home/imagequo/domains/shrinaradmedia.com/public_html/wp-includes/functions.php on line 6121
हमारी पत्रकारिता के पथ प्रदर्शक श्री नारद भगवान. - श्रीनारद मीडिया

हमारी पत्रकारिता के पथ प्रदर्शक श्री नारद भगवान.

हमारी पत्रकारिता के पथ प्रदर्शक श्री नारद भगवान.

०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
priyranjan singh
IMG-20250312-WA0002
IMG-20250313-WA0003
previous arrow
next arrow
०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
priyranjan singh
IMG-20250312-WA0002
IMG-20250313-WA0003
previous arrow
next arrow

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

आज पूरा विश्व भारत की ओर आशा भरी नजरों से देख रहा है, क्योंकि भारत ही विश्व को सही दिशा और दशा देने की क्षमता रखता है। ऐसे में लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ होने के कारण मीडिया जगत की भूमिका और अधिक बढ़ जाती है कि विश्व के समक्ष अपने राष्ट्र की कैसी तस्वीर प्रस्तुत की जाए। भारत हमेशा से ही ज्ञान आराधक राष्ट्र रहा है। भारत की ज्ञान परंपरा औरों से विशेष इसलिए है क्योंकि यह केवल हमारे बाहर मौजूद लौकिक (मटेरियल) ज्ञान को ही महत्वपूर्ण नहीं मानती बल्कि आत्म-चिंतन द्वारा प्राप्त भीतर के ज्ञान को भी समान महत्व देती है।

हमारे ऋषि-मुनियों ने हजारों वर्ष पूर्व इन दोनों ही प्रकार के ज्ञान को कड़ी साधना से अर्जित कर ग्रंथों के रूप में मानव समाज के लिए प्रस्तुत किया। आज चाहे योग की बात हो, विज्ञान की या फिर गणित की, पूरी दुनिया ने भारतीय ज्ञान से कुछ न कुछ लिया है। इस प्रकार हम एक श्रेष्ठ ज्ञान परंपरा के उत्तराधिकारी हैं।

ऐसे में नारद जयंती का दिन भारतीय पत्रकारिता में निहित मूल्यों के मूल्यांकन व आगे की राह तय करने का दिन है। महर्षि नारद मुनि पत्रकारों के प्रेरणास्रोत हैं। महर्षि नारद मुनि देव व दानव सभी के मध्य सूचनाओं का आदान-प्रदान बिना किसी स्वार्थ के लोकहित को ध्यान में रखकर किया करते थे। आज भी पत्रकारों को उनके पदचिन्हों पर चलकर मूल्य आधारित व शुद्ध पत्रकारिता निर्भयता के साथ करनी चाहिए। मीडिया से समाज की बहुत अपेक्षाएं रहती हैं इसलिए मीडिया पर भारी नैतिक दबाव भी रहता है, जिसे पूरा करने का प्रयास मीडिया करता ही है। भारत में सदैव लोकहित में संवाद करना यही मीडिया की परंपरा रही है।

समाचारों में मुद्दों पर सामूहिक चेतना का प्रचलन बढ़ा है, परन्तु व्यावसायिक पत्रकारिता के कारण वैचारिक पत्रकारिता में कमी आयी है, जो कि युवा शक्ति के लिए शुभ नहीं है। मनोरंजन को प्रमुखता दे कर समाज को दिशा भ्रमित भी किया जा रहा है। पत्रकारिता लोकहित व राष्ट्रहित को ध्यान में रखकर की जानी चाहिए, यही पत्रकारिता का धर्म भी है। आज देश की जी.डी.पी. तो बढ़ी है परन्तु मानव विकास एवं सामाजिक सरोकार घट रहा है।

इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की विषय वस्तु में सुधार करना तथा जनता के प्रति जवाबदेह बनाना यह आज समय की आवश्यकता व अनिवार्यता है। आज इंटरनेट मीडिया के कारण पत्रकारिता का विस्तार भी हो रहा है। भारत में इंटरनेट मीडिया का एक बड़ा बाज़ार है जिसके कारण इस मीडिया पर परोसा जाने वाला कंटेंट एक बड़े वर्ग को प्रभावित करता है। यह सब ओर अधिक चिंताजनक हो जाता है जब हमें पता है कि डिजिटल मीडिया में विदेशी निवेश की भागीदारी यहां के विचार, आचार व व्यवहार को किस हद तक प्रभावित करती है। ऐसे में भारत केंद्रित पत्रकारिता की सीमाओं को तय करना होगा, ताकि इस बेलगाम होते डिजिटल मीडिया को भी सही दिशा दी जा सके।

मीडिया का कार्य मुख्यत: सूचना संचार की व्यवस्था करना है़। संचार व्यवस्था के माध्यम बदलने से उसके प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक, वेब, सोशल मीडिया आदि अनेक प्रकार हुए हैं। प्राचीन काल में सूचना, संवाद, संचार व्यवस्था मुख्यत: मौखिक ही होती थी और मेले, तीर्थयात्रा, यज्ञादि कार्यक्रमों के निमित्त लोग जब इकट्ठे होते थे तो सूचनाओं का आदान-प्रदान करते थे। देवर्षि नारद भी सतत् सर्वत्र संचार करते हुए अलग-अलग जगह के वर्तमान एवं भूत की सूचनाएं लोगों तक पहुंचाते थे। वे अच्छे भविष्यवेत्ता भी थे। इसलिए भूत और वर्तमान के साथ-साथ कभी-कभी वे भविष्य की सूचनाओं से भी लोगों को अवगत कराते थे। यह कार्य वे निरपेक्ष भाव से लोकहित में एवं धर्म की स्थापना के लिए ही करते थे। एक आदर्श पत्रकार के नाते उनका तीनों लोक (देव, मानव, दानव) में समान सहज संचार था।

पत्रकारिता में नारदीय दृष्टि मीडिया से जुड़े प्रत्येक व्यक्ति के लिए एक पथ प्रदर्शक का मार्ग प्रशस्त करती है। क्योंकि हमें पता है कि न्यूज़ में व्यूज का समावेश करने से पत्रकारिता एजेंडे में बदल जाती है, इसलिए पत्रकार केवल समाचार दें और पक्षकार न बनें और समाचार देते समय समाचार की सत्यता की भी जांच करें। समाज भी पत्रकार से अपेक्षा करता है कि वो ‘पत्रकार बनें, पक्षकार नहीं’। पत्रकार समाज का दर्पण है। पत्रकार का प्रमुख कार्य समाज की समस्याओं को उजागर करना है। आज के युग में पत्रकारिता की जिम्मेदारी और प्रासंगिकता बहुत बढ़ गई है क्योंकि पत्रकार समाज की दिशा तय करने की ताकत रखता है। मीडिया ही देश की छवि विश्व के सामने रखता है। मीडिया को निष्पक्ष रहकर कार्य करना चाहिए। पत्रकार अपनी लेखनी से समाज की दशा और दिशा बदलने की ताकत रखता है। प्रत्येक पत्रकार अपनी कलम से किसी न किसी रूप में समाज की सेवा करता है।

नारद मुनि पत्रकारिता के पितामह थे, जिन्होंने समाज में संवाद का कार्य शुरू किया था। नारद के पास श्रुति स्मृति थी। आजादी से पहले और अब की पत्रकारिता में काफी बदलाव देखने को मिल रहा है। आजादी से पहले अधिकतर पत्रकारों, संपादकों ने देश को आजाद करवाने के लिए लेख लिखे। जिस जनून के साथ उन्होंने काम किया उनकी पत्रकारिता रंग लाई और लोगों में जागृति आने के अलावा भारत आजाद भी हुआ लेकिन वर्तमान में कुछ कॉरपोरेट घरानों के हाथ पत्रकारिता का सिस्टम आने के बाद इसमें काफी बदलाव आया है।

पत्रकारिता के लिए व्यवसाय करना तो ठीक है, लेकिन व्यवसाय के लिए पत्रकारिता करना उचित नहीं है। आज भी बहुसंख्यक पत्रकारों के लिए पत्रकारिता शौक या रोजी-रोटी का जरिया न होकर स्वप्रेरित कार्य ही है। कोरोना संकट के दौरान जिस प्रकार की भूमिका पत्रकार निभा रहे हैं, वह उसी प्रेरणा व संकल्प के कारण है। आज कोरोना काल की संकट घड़ी में भी पत्रकार अपनी जान हथेली पर रखकर रिपोर्टिंग कर रहे हैं और देश दुनिया के समाचार हम तक पहुंचा रहे हैं। समाज पत्रकारों का सदैव ऋणी रहेगा। इसलिए पत्रकारिता की पवित्रता एवं विश्वसनीयता सदैव निष्कलंक रहनी चाहिए।

वैश्विक स्तर पर नारद सही मायनों में लोक संचारक थे। जिनके प्रत्येक संवाद की परिणति लोक कल्याण पर आधारित थी। जो औपचारिक मान्यता न होने पर भी सर्वत्र सूचना प्राप्त व प्रदान करने के लिए स्वीकार्य थे, जिनकी विश्वसनीयता पर कभी कोई संदेह नहीं रहा। इसलिए आज नारद जयंती पर मीडिया में भारत केंद्रित दृष्टि को संकल्पित करने का दिन है।

अव्यवस्था, गड़बड़ियों, खामियों को उजागर करने के साथ-साथ सूचना के माध्यम से समाज का प्रबोधन, जागरण करते हुए समाज को ठीक दिशा में ले जाना, समाज की विचार प्रक्रिया को सही दिशा देना यह भी मीडिया का कर्तव्य है। मीडिया को आज अपनी इस भूमिका का निर्वहन करना ही चाहिए। यही समाज व देश की आवश्यकता है और पत्रकारिता में यही नारदीय दृष्टि मीडिया के स्वर्णिम भविष्य को तय भी करेगी।

ये भी पढ़े….

Leave a Reply

error: Content is protected !!