बड़हरिया के पूर्व विधायक और जदयू के चर्चित नेता श्याम बहादुर सिंह ने जिले के नियोजित शिक्षकों की समस्या के बारे में माननीय शिक्षा मंत्री को पत्र लिखा

बड़हरिया के पूर्व विधायक और जदयू के चर्चित नेता श्याम बहादुर सिंह ने जिले के नियोजित शिक्षकों की समस्या के बारे में माननीय शिक्षा मंत्री को पत्र लिखा

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श्रीनारद मीडिया, राकेश सिंह, सीवान (बिहार):

बड़हरिया के पूर्व विधायक और जदयू के चर्चित नेता श्याम बहादुर सिंह ने जिले के नियोजित शिक्षकों की समस्या के बारे में माननीय शिक्षा मंत्री को पत्र लिख कर जिले के शिक्षा विभाग और निगरानी विभाग के अधिकारियों/कर्मचारियों के खिलाफ जांच की मांग की है।
श्री सिंह ने कहा है कि विगत छह सालों से जिस तरह से शिक्षा विभाग और निगरानी विभाग के कर्मचारियों/अधिकारियों ने शिक्षकों के प्रमाण पत्र फोल्डर के लिए धांधली मचायी है।उससे शिक्षकों में सरकार के प्रति क्षोभ व्याप्त है।इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।जिले में नियोजित शिक्षकों के जमा प्रमाण पत्रों के फोल्डर कहाँ गये इसकी उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिए तथा दोषी अधिकारियों/कर्मचारियों के वेतन भत्ता मद में दी गयी राशि की वसूली होनी चाहिए।पढ़िए श्री सिंह ने शिक्षा मंत्री को लिखे पत्र में क्या कहा है :-

सेवा में
शिक्षा मंत्री माननीय विजय चौधरी
बिहार सरकार

सिवान के शिक्षा विभाग के एवं निगरानी के अधिकारियों/कर्मचारियों पर करवाई करे सरकार।*
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*सिवान जिला के शिक्षा विभाग एवं निगरानी के अधिकारियों/कर्मचारियों द्वारा अपने कर्तव्यों का निर्वहन ईमानदारी पूर्वक नहीं किया गया है जिसका नतीजा है कि जिले में पंचायती राज संस्थाओं द्वारा नियुक्त वर्तमान में कार्यरत किसी भी शिक्षक का फोल्डर जमा नहीं होने की सूचना nic पर अपलोड किया गया है।जबकि सच्चाई यह है कि जिले के सभी शिक्षकों ने दर्जनों से अधिक बार अपने सभी प्रमाण पत्रों को जमा किया है।लगभग सभी नियोजन इकाइयों द्वारा भी सभी प्रमाणपत्रों को निगरानी को उपलब्ध कराया गया है।फिर भी निगरानी एवं स्थापना कार्यालय द्वारा 10632 शिक्षकों का नाम फोल्डर जमा नहीं करने वालों के सूची में डाला गया है।सत्य यह भी है कि 2006 से 30 जून 2015 तक के नियोजित एवं वर्तमान में कार्यरत शिक्षकों की संख्या भी 10 हजार 632 के आसपास है।इसका अर्थ हुआ कि वर्तमान में जिले में कार्यरत एक भी शिक्षक का प्रमाणपत्र (फोल्डर) जमा नहीं है।2015 से चल रहे इस प्रक्रिया में एक भी फोल्डर जमा नहीं होना दो बातों के तरफ इशारा करता है एक या तो 6 वर्षों में निगरानी एवं विभाग द्वारा कोई कार्य नहीं किया गया है एवं इस कार्य में एकदम रुचि नहीं ली गई है। अथवा दूसरा इनलोगों द्वारा बड़े पैमाने प्रमाणपत्रों (फोल्डर) का घोटाला किया गया है।दोनों ही परिस्थितियों में शीर्ष अधिकारी एवं निगरानी के पदाधिकारी की अकर्मण्यता है एवं सरकारी दायित्वों का खुल्लमखुल्ला उल्लंघन प्रमाणित होता है तथा इनकी नियति जिले के शिक्षकों का दोहन एवं शोषण करनाहै।पूरे बिहार के 88 हजार फोल्डर जमा नहीं करने वालों में अकेले सिवान के 10632 शिक्षकों का नाम शामिल है।फोल्डर नहीं जमा होने के कारण जिले के शिक्षकों के प्रति आमजन में गलत धारणा पनप रही है।जिसके कारण शिक्षक मानसिक रूप से काफी परेशान एवं लज्जित हो रहे है। मैं सरकार से सिवान जिले में निगरानी एवं शिक्षा विभाग द्वारा किये गए सर्टिफिकेट घोटाला की उच्चस्तरीय जांच कर इसमें पाए जाने वाले दोषियों पर कठोर करवाई की मांग करता हूँ तथा निगरानी के पदाधिकारी एवं कर्मचारियों द्वारा 6 वर्षों में कोई भी कार्य नहीं करने के कारण इनके वेतन एवं अन्य मदों में व्यय की गई राशि की ब्याज सहित वसूली करने की मांग करता हूँ साथ ही शिक्षकों से मेधा सूची की मांग करना गलत है।

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