सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा लगातार दूसरी बार सत्ता में लौटी है
एसकेएम ने राज्य की 32 में से 31 सीटों पर जीत दर्ज की है
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
मुख्यमंत्री प्रेम सिंह तमांग के नेतृत्व वाली एसकेएम पार्टी ने प्रचंड जीत दर्ज कर लगातार दूसरी बार सत्ता पर काबिज हुई है. जबकि 2019 तक राज्य में लगातार 25 साल तक शासन करने वाले सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट (एसडीएफ) ने महज एक सीट जीती है.
मुख्यमंत्री प्रेम सिंह तमांग ने 7000 से अधिक मतों से जीत हासिल की
मुख्यमंत्री प्रेम सिंह तमांग ने रहेनोक सीट पर 7,044 से अधिक मतों से जीत हासिल की. इस सीट पर मुख्यमंत्री तमांग को कुल 10094 वोट मिले. सीएम तमांग ने इस सीट पर एसडीएफ के उम्मीदवार सोमनाथ पौडयाल को केवल 3050 वोट मिले. वह सोरेंग चाकुंग निर्वाचन क्षेत्र में भी 10480 वोट के साथ जीत दर्ज की. मुख्यमंत्री ने इस सीट पर 7396 मतों के अंतर से जीत दर्ज की. उन्होंने इस सीट पर सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट (एसडीएफ) के डॉ एडी सुब्बा को हराया. सुब्बा को केवल 3084 वोट मिले.
पूर्व मुख्यमंत्री पवन कुमार चामलिंग को दोनों सीटों पर मिली हार
एसडीएफ अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री पवन कुमार चामलिंग (पोकलोक-कामरांग और नामचेयबुंग) दोनों सीटों पर हार गए हैं. उन्होंने दो सीटों पर चुनाव लड़ा था. सिक्किम में 19 अप्रैल को लोकसभा चुनाव के पहले चरण के साथ ही विधानसभा चुनाव के लिए मतदान हुआ था.
बाईचुंग भूटिया की भी हुई करारी हार
भारत के पूर्व फुटबॉल कप्तान बाईचुंग भूटिया को भी विधानसभा चुनाव में करारी हार का सामना करना पड़ा. उन्होंने बारफुंग विधानसभा सीट से अपनी किस्मत आजमाई थी, लेकिन उन्हें करारी हार का सामना करना पड़ा. भूटिया के एसकेएम से रिक्शल धोरजी भूटिया ने 4346 वोट से हराया. बाईचुंग भूटिया को केवल 4012 वोट मिले.
विपक्षी दलों और उनके बीच अंतर कितना विशाल है. तमांग अपने राजनीतिक गुरु को हराकर एक बार फिर सिक्किम की बागडोर संभालने जा रहे हैं. 56 साल के प्रेम सिंह तमांग को योग्य संगठनकर्ता, प्रशासक और तेजतर्रार राजनेता माना जाता है. इन चुनावों में उनका व्यक्तिगत करिश्मा तो देखने को मिला ही विकास और कल्याणकारी योजनाओं के बल पर पार्टी की सीटें भी बढ़ीं और मत भी.
कालू सिंह तमांग और धन माया तमांग के घर पांच फरवरी 1968 को प्रेम सिंह तमांग का जन्म हुआ. पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग के एक कॉलेज से स्नातक की उपाधि प्राप्त की और 1990 में सरकारी स्कूल में शिक्षक बन गए.
तमांग ने यह नौकरी तीन साल बाद छोड़ दी और 1994 में एसडीएफ की सह-स्थापना की और कई सालों तक जुड़े रहे. 2013 में अपनी पार्टी बनाने से पहले करीब 15 सालों तक मंत्री रहे. एसकेएम ने 2014 के विधानसभा चुनावों में 10 सीटें जीतीं थी.
चामलिंग से मतभेद के बाद तमांग ने सिक्किम की राजनीति में अकेले बढ़ने का फैसला किया और उन्हें अपने पूर्व राजनीतिक गुरु के क्रोध का भी सामना करना पड़ा. उन पर भ्रष्टाचार का मामला दर्ज हुआ और एक वर्ष के कारावास की सजा सुनाई गई. इसके कारण उन्हें अपर बुर्तुक सीट से विधायक के रूप में अयोग्य घोषित कर दिया गया.
जेल से बाहर आने के बाद तमांग ने अपनी पार्टी को नया स्वरूप दिया. दो सालों में ही उनकी पार्टी ने चामलिंग को सत्ता से हटा दिया और 2019 में 17 सीटें जीत लीं.केंद्र ने उनके 2019 का चुनाव जीतने के बाद सार्वजनिक पद ग्रहण करने पर लगा प्रतिबंध हटा दिया. उन्होंने उस साल 27 मई को मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ग्रहण की.
वहीं तमांग ने अपनी शक्ति को और मजबूत किया और पार्टी के आधार और समर्थन का विस्तार किया. भाजपा के साथ गठबंधन करके केंद्र से उदार वित्त पोषण के विकास कार्यों को लागू किया. हालांकि सीट बंटवारे के मुद्दे पर 2024 के विधानसभा चुनाव से पहले ही यह गठबंधन टूट गया.
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