संगरूर लोकसभा उपचुनाव में सिमरनजीत सिंह मान को मिली जीत.
पंजाब के संगरूर में AAP को झटका
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
पंजाब की संगरूर लोकसभा (Sangrur Lok Sabha Byelection) सीट के लिए हुए उपचुनाव में शिरोमणि अकाली दल (अमृतसर) प्रत्याशी सिमरनजीत सिंह मान (Simranjit Singh Mann) ने रविवार को जीत दर्ज की. उन्होंने अपने निकटतम प्रत्याशी आम आदमी पार्टी के गुरमेल सिंह (Gurmail Singh) को 5,822 मतों से हराया. उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक मान को 2,53,154 मत मिले जबकि सिंह को 2,47,332 मत मिले. पंजाब में सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी ने नतीजों के संकेत मिलते ही हार स्वीकार कर शिअद (अमृतसर) नेता को बधाई दे दी थी.
16 प्रत्याशियों ने आजमाई किस्मत
उल्लेखनीय है कि पंजाब विधानसभा के लिए इस साल के शुरु में हुए चुनाव में भगवंत मान विधायक चुने गए थे जिसके बाद उन्होंने लोकसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था. इसलिए इस सीट पर उपचुनाव कराना आवश्यक हो गया था. यहां 23 जून को हुए मतदान में 16 प्रत्याशियों की किस्मत दांव पर थी. संगरूर लोकसभा उपचुनाव में केवल 45.30 प्रतिशत मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया जबकि वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में 72.44 प्रतिशत और वर्ष 2014 के आम चुनाव में 76.71 प्रतिशत मतदान हुआ था. संगरूर में कुल 15.69 लाख मतदाता हैं.
मान के गढ़ में आप को मिली मात
मान, जो अब राज्य के मुख्यमंत्री हैं, ने 2014 और 2019 के संसदीय चुनावों में संगरूर सीट से जीत दर्ज की थी. इस साल मार्च में राज्य विधानसभा चुनावों में आम आदमी पार्टी की शानदार जीत के बाद संगरूर लोकसभा सीट पर उपचुनाव उसका पहला बड़ा चुनावी मुकाबला था. सत्तारूढ़ आप के लिए उपचुनाव को अपना गढ़ बचाए रखने के लिए प्रतिष्ठा की लड़ाई के रूप में देखा जा रहा था, जबकि विपक्षी दल कांग्रेस, भाजपा) और शिअद विधानसभा चुनावों में हार के बाद जीत दर्ज करना चाहते थे.
आप ने सिमरनजीत को दी बधाई
मीडिया को संबोधित करते हुए आप प्रवक्ता मलविंदर सिंह कांग ने कहा कि संगरूर लोकसभा उपचुनाव का नतीजा आ गया है. उन्होंने कहा, हम संगरूर सीट के लोगों के जनादेश का सम्मान करते हैं. हम सिमरनजीत सिंह मान को उनकी जीत पर बधाई देते हैं.
पंजाब में 3 महीने पहले विधानसभा चुनाव के दौरान 117 में से 92 सीटें जीतने वाली आम आदमी पार्टी (AAP) ने पंजाब में अपनी इकलौती लोकसभा सीट गंवा दी। CM भगवंत मान का गढ़ रहे संगरूर में लोगों ने शिरोमणि अकाली दल (अमृतसर) के सिमरनजीत मान को सांसद चुन लिया।
AAP के लिए यह बड़ा झटका है। संगरूर उपचुनाव में AAP की हार की सबसे बड़ी वजह बनी पंजाबी सिंगर सिद्धू मूसेवाला की हत्या। आम आदमी पार्टी ने पंजाब के लोगों को मुफ्त बिजली और 18 साल से अधिक उम्र की हर महिला को हर महीने 1000 रुपए देने का अपना चुनावी वादा भी पूरा नहीं किया।
सेवाला की सिक्योरिटी क्यों घटाई: सिद्धू मूसेवाला का यूथ में बड़ा फैनबेस है। सिक्योरिटी थ्रैट होने के बाद भी AAP की सरकार ने उनकी सिक्योरिटी घटा दी। इसकी जानकारी सार्वजनिक कर दी। इसके अगले दिन मूसेवाला की हत्या कर दी गई। यूथ तो नाराज था ही। मूसेवाला के संस्कार में पिता की हालत देख बुजुर्ग भी भावुक हो गए। उन्होंने इसे आप का फेलियर माना।
बिजली पर शर्तों से नाराजगी : चुनाव से पहले अरविंद केजरीवाल और भगवंत मान ने कहा कि हर घर को हर महीने 300 यूनिट मुफ्त बिजली देंगे। लोगों ने इसे सीधी स्कीम समझा लेकिन सरकार बनते ही AAP ने शर्तें लागू कर दी। जिसमें इनकम टैक्स, SC और जनरल कैटेगिरी जैसे कई नई बातें जोड़ दी। वहीं यह वादा भी अब 1 जुलाई से पूरा करने की बात कही गई।
महिलाओं से वादा नहीं निभाया : AAP ने कहा कि सरकार बनते ही हर महिला को एक हजार रुपए प्रतिमाह देंगे। सरकार बनी तो आप के MLA कहने लगे कि खजाने में पैसा नहीं है। जब हालत सुधरेगी तो दे देंगे। उन्हें 5 साल के लिए चुना गया है। लोग समझ गए कि आप भी दूसरी पार्टियों से अलग नहीं।
बदलाखोरी की राह : आप ने कहा था कि हम सियासत बदलने आए हैं। जहां लोगों के विकास की बात होगी। इसके उलट सरकार बनते ही AAP विरोधियों पर टूट पड़ी। कांग्रेस के एक पूर्व मंत्री और पूर्व विधायक को अरेस्ट किया। CM से लेकर मंत्री, विधायक और पार्टी नेता कहने लगे कि अभी कई और रडार पर हैं। इससे लोगों को लगा कि आप भी उनके विकास की बात छोड़ कांग्रेस और अकाली दल की तरह बदलाखोरी की राह पर चल पड़ी है।
चेहरे पर रणनीति भी फेल हुई
आप ने लोकसभा कैंडिडेट चुनने में विधानसभा वाली रणनीति अपनाई। एक गांव के सरपंच को उम्मीदवार बना दिया। इसकी जगह सीएम भगवंत मान की बहन मनप्रीत कौर बड़ी दावेदार थी। मगर उन्हें टिकट नहीं दी गई। विधानसभा में इलाका छोटा होने से लोग कैंडिडेट को जानते हैं। लोकसभा जैसे बड़े क्षेत्र के लिए कैंडिडेट चुनने में आप गलती कर गई।
राज्यसभा मेंबर का भी मुद्दा
पंजाब में 117 में से 92 सीटें जीतने के बाद आप के 7 राज्यसभा मेंबर बनने थे। आप ने जो पहले 5 मेंबर बनाए, उनको लेकर विवाद हुआ। पंजाब के कोटे से राघव चड्ढा और डॉ. संदीप पाठक को राज्यसभा भेजा गया। पूर्व क्रिकेटर हरभजन सिंह भज्जी को छोड़ LPU के अशोक मित्तल और लुधियाना के कारोबारी संजीव अरोड़ा पर लोगों ने एतराज किया। आप ने दूसरी बार संत बलबीर सीचेवाल और समाज सेवी कारोबारी विक्रमजीत साहनी को राज्यसभा भेज इसकी भरपाई करने की कोशिश की। हालांकि लोग इससे संतुष्ट नहीं हुए।
पंजाबियों ने पब्लिसिटी स्टंट फेल किया
आम आदमी पार्टी के पब्लिसिटी स्टंट को पंजाबियों ने फेल कर दिया। छोटे और रूटीन फैसलों को भी आम आदमी पार्टी और सरकार बढ़ा-चढ़ाकर पेश करती रही। पार्टी को लगा कि इससे लोगों को लुभा लेंगे। हालांकि लोगों को जमीनी स्तर पर कुछ नहीं दिखा तो उन्होंने आम आदमी पार्टी को सबक सिखा दिया।
इसका आगे नुकसान क्या?
जिस तरह आप दिल्ली के सहारे पंजाब जीती। उसी तरह पंजाब के नाम पर हिमाचल प्रदेश और गुजरात पर नजर लगी थी। संगरूर सीट से हार आप सरकार पर नाकामी की मुहर लगाएगी। आप सरकार के 3 महीने के कामकाज पर इस जनमत से सवाल खड़े हुए हैं। आप को 92 सीटें मिली थी। उससे आप जितना दबदबा दिखा रही थी, उनके लिए यह सियासी खतरे का संकेत जरूर है।
मान ने मूसेवाला और दीप सिद्धू पर रखा प्रचार
सिमरनजीत मान ने अपना प्रचार पहले पंजाबी एक्टर दीप सिद्धू के नाम पर रखा। जिन्होंने उनके लिए प्रचार किया था। इसके बाद सिद्धू मूसेवाला की हत्या होने पर उनके नाम पर भी प्रचार किया। मूसेवाला ने विधानसभा चुनावी हार के बाद सिमरनजीत मान की हार को लेकर सवाल खड़े किए थे।
अकाली दल का पंथक एजेंडा ध्वस्त
शिरोमणि अकाली दल (बादल) ने संगरूर चुनाव में पंथक एजेंडे का दांव खेला था। बंदी सिखों के मुद्दे पर चुनाव लड़ा गया। उम्मीदवार भी बंदी सिख बताए जा रहे बेअंत सिंह हत्याकांड के दोषी बलवंत राजोआणा की बहन कमलदीप कौर को बना दिया। संगरूर के लोगों ने इसे नकार दिया। अकाली दल को उम्मीद थी कि लगातार 2 विस चुनाव हारने के बाद वह इससे उबर सकेंगे लेकिन यह दांव फेल हो गया।
दिग्गजों के बगैर कांग्रेस फेल
पंजाब में कांग्रेस के लिए चिंताजनक स्थिति है। कैप्टन अमरिंदर सिंह, नवजोत सिद्धू और सुनील जाखड़ जैसे दिग्गजों के बगैर कांग्रेस फेल होकर रह गई। संगरूर में कांग्रेस दमदार उपस्थिति तक दर्ज नहीं करा सकी। कांग्रेस की जमानत जब्त हो गई। अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग पर खेला दांव भी फेल हो गया।
भाजपा कोई कमाल नहीं कर सकी
भाजपा भी संगरूर में कोई कमाल नहीं दिखा सकी। कांग्रेस से आए केवल ढिल्लो को भाजपा ने टिकट दी थी। हालांकि अकाली दल को 5वें पर खिसका चौथे नंबर पर रहकर भाजपा ने उपस्थिति जरूर दर्ज कराई।
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