वॉशिंगटन में रहनेवाले शांतानंद मिश्रा के दिल में सीवान बसता है!

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✍️गणेश दत्त पाठक, श्रीनारद मीडिया, सेंट्रल डेस्‍क:

वे मैनेजमेंट कंसल्टेंट हैं, वे राजनीतिक विश्लेषक भी हैं, वे लेखक भी हैं, वे टीवी कॉमेंटेटर भी हैं, वे एक तार्किक निवेशक भी हैं, वे अमेरिका की राजधानी वॉशिंगटन डीसी में रहते हैं। लेकिन उनके दिल में सीवान बसता है। सीवान के लोगों की व्यथा बसती है। मूल रूप से सीवान के उखई गांव के निवासी श्री शांतानंद मिश्रा के पारिवारिक संस्कार, उन्हें सामाजिक सरोकारों को निभाने के लिए प्रेरित भी करते हैं। वे यथासंभव सामाजिक योगदान भी देते रहे हैं। कोरोना महामारी के दिनों में उनके द्वारा सीवान में किया गया योगदान उनके संवेदनशील व्यक्तित्व का द्योतक है। सीवान और अमेरिका के बीच अनवरत संवाद की प्रक्रिया चलती रहे, संवाद विकास पर हो, संवाद सरोकारों पर हो, इसी उद्देश्य से वे सीवान अमेरिका मैत्री फाउंडेशन की स्थापना करने जा रहे हैं। शांतानंद मिश्रा जी का व्यक्तित्व शानदार है। वह आधुनिक पीढ़ी को संदेश देती है संवेदनशीलता का, सरोकारों को निभाने का।

एक गांव के स्कूल से अमेरिका के विश्वविद्यालय तक का सफर

अभी अमेरिका की राजधानी वॉशिंगटन में प्रखर मैनेजमेंट कंसलटेंट के तौर पर ख्यात शांतानंद मिश्रा के जीवन की शुरुआत सीवान के उखई गांव से हुई। पिता श्री त्रिलोकीनाथ मिश्रा और माता सोनामती देवी से प्राप्त संस्कारों से उनके जीवन के बुनियादी वुसूल तैयार हुए। दादा श्री राघव मिश्रा के संस्कार उनके व्यक्तित्व के श्रृंगार बने। वीएम हाई स्कूल से मैट्रिक और डीपीआर कॉलेज, सीवान से इंटर करने के बाद शिक्षा के सफर पर वे दिल्ली पहुंचे। जेएनयू और दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से मास्टर डिग्री प्राप्त करने के बाद वे अमेरिका पहुंचे। अमेरिका के प्रसिद्ध हार्टफोर्ड बरने विश्वविद्यालय से प्रबंधन के गुण सीखे। आप कल्पना कर सकते हैं कि शांतानंद मिश्रा के गांव के स्कूल से अमेरिका के विश्वविद्यालय तक का सफर कितना श्रमसाध्य रहा होगा। लेकिन कठोर परिश्रम, धैर्य, संकल्प की त्रिवेणी ने श्री शांतानंद मिश्रा के जिंदगी में कुछ बड़ा करने के जुनून को सींचा। समर्पित प्रयास और सकारात्मक सोच की युगलबंदी तो कमाल दिखाती ही है।

अमेरिका की प्रोफेशनल संस्कृति में प्रबंधन के जटिल सफर पर

अमेरिका अपने प्रोफेशनल कल्चर के लिए जाना जाता है। वहां की कार्यसंस्कृति कठोर परिश्रम की मांग करती है। शांतानंद मिश्रा ने भी समर्पित प्रयासों से अपने कैरियर को सजाया संवारा और परिणाम निकला कि आज वे अमेरिका के प्रख्यात मैनेजमेंट कंसल्टेंट में शुमार किए जाते हैं।

विचारों के प्रकटीकरण ने राजनीतिक विश्लेषक बनाया

भारत और अमेरिका को लोकतांत्रिक संस्कृति पास लाती रही है। भारत और अमेरिका के लोकतांत्रिक संदर्भ आपसी रिश्तों में माधुर्य लाते हैं। श्री शांतानंद मिश्रा समय के साथ दोनों देशों के लोकतांत्रिक मर्यादाओं पर विचार मंथन करते रहे हैं। इसलिए उन्हें विभिन्न टीवी चैनलों द्वारा अपने राजनीतिक विचारों को प्रस्तुत करने के लिए अक्सर बुलाया जाता रहता है। इन विचारों के प्रकटीकरण ने राजनीतिक तथ्यों के विश्लेषण में श्री मिश्रा को पारंगत कर दिया। नतीजन श्री शांतानंद मिश्रा की ख्याति एक राजनीतिक विश्लेषक के तौर पर भी बढ़ी। भारत अमेरिका के संबंधों में सुधार के संदर्भ में भी उनका प्रयास सराहनीय रहा है।

सामाजिक सरोकारों को निभाने में सदैव आगे

हर व्यक्तित्व का जुड़ाव उसकी संस्कृति से रहता ही है। भारतीय संस्कृति के आधारभूत तत्व सर्वे भवन्तु सुखिन से ज्यादा प्रभावित श्री शांतानंद मिश्रा अपने सामाजिक सरोकारों को निभाने में सदैव आगे रहते हैं। सीवान के लोगों के दुख दर्द में वे हरसंभव सहयोग अपने लोगों के माध्यम से करते रहे हैं। कोरोना काल में असहाय मानवता की सेवा में तन मन धन से समर्पित प्रयास करते रहे। महिला सशक्तिकरण और बाल कल्याण से जुड़ी उनकी भविष्य की योजनाएं उनके संवेदनशील व्यक्तित्व की बानगी को ही उजागर करती है।

सीवान और अमेरिका के मध्य संवाद हेतु सार्थक पहल

वे अमेरिका में रहते हैं। अमेरिका के भौतिकवादी और प्रोफेशनल जिंदगी को देखते हैं जब सीवान आते हैं तो सांस्कृतिक आयाम भी प्रभावित करते हैं। ऐसे में सीवान और अमेरिका के बीच संवाद सेतु स्थापित हो जाए तो दोनों महान लोकतांत्रिक सभ्यताएं अनंत तरीके से लाभान्वित हो सकती हैं। इसी तथ्य के संजीदगी को महसूस कर श्री शांतानंद मिश्रा सीवान अमेरिका मैत्री फाउंडेशन की स्थापना करने जा रहे हैं।

वैसे भी जो वॉशिंगटन में रह रहा हो वह यदि उसके दिल में उसका गृहनगर सीवान धड़क रहा हो तो यह तथ्य सिर्फ उस व्यक्तित्व की संवेदनशीलता, सरलता और सहजता को ही प्रतबिंबित करता है।

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