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सीवान:दरौली व गभीरार में पुल बन जाने से बनारस व विंध्याचल की दूरी घटेगी

सीवान:दरौली व गभीरार में पुल बन जाने से बनारस व विंध्याचल की दूरी घटेगी

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लगभग 50 किलोमीटर दूरी होगा कम.एलासगढ़ का बिहार से होगा कनेक्टविटी

श्रीनारद मीडिया, प्रसेनजीत चौरसिया, सीवान (बिहार)

बिहार से उत्तर प्रदेश की कनेक्टिविटी लगातार सुगम हो रही है। अब उत्तरप्रदेश की दूरी और घटने वाली है। सीवान जिले की सीमा पर दो पुलों का निर्माण कार्य तेजी से चल रहा है। दरौली और गभीरार सीमा पर पुलों का निर्माण पूरा होने से यूपी के सफर में दो से तीन घंटे का समय बचेगा।

बक्सर, वाराणसी और विंध्यांचल की यात्रा बेहद सुगम हो जाएगी। मऊ, गाजीपुर, आजमगढ़ के बीच की दूरी भी कम होगी। इसके अलावा बलिया से कारोबार बढ़ेगा। बलिया जिले के चांदपुर, बांसडीह, सहतवार और सिकंदरपुर से हर दिन सीवान के बाजारों में हरी सब्जियां आती हैं। इसके लिए सारण के मांझी में बने पुल का इस्तेमाल करना होता है या फिर दरौली में बने पीपापुल का।

इन दोनों पुलों पर आवागमन शुरू होने से बेतिया, मोतिहारी और गोपालगंज जिले के लोगों को काशी, बक्सर और विंध्याचल जाने में आसानी होगी। जिले के आंदर प्रखंड और रघुनाथपुर थाना क्षेत्र के पतार पंचायत के गांव एलासगढ़ के लोगों को दरौली में बन रहे पुल के रास्ते आने-जाने में सुविधा होगी। दो वार्ड वाला यह गांव नदी के उस पार है।

इस गांव के लोग उत्तरप्रदेश के संसाधनों के भरोसे ही गुजर-बसर करते हैं। नदी इस पार सिसवन और रघुनाथपुर से सटे उत्तर प्रदेश के 4 गांवों के लोग सीवान, गोपालगंज आदि के बाजारों पर निर्भर रहते हैं।


खरीद-दरौली के बीच एप्रोच को मिली स्वीकृति
सरयू नदी पर तीन साल से निर्माणाधीन खरीद-दरौली घाट पुल के एप्रोच मार्ग के लिए 650 मीटर जमीन को पीडब्ल्यूडी बलिया को बिहार सरकार ने हैंडओवर कर दिया है। अब चांदपुर और गभीरार के बीच एप्रोच मार्ग के लिए यूपी सरकार मुफ्त में जमीन देने की मांग बिहार से की है। मगर बिहार सरकार की सहमति नहीं मिली है। जल्द ही सहमति मिलने की उम्मीद जताई जा रही है। बता दें दोनों पुलों का निर्माण उत्तर प्रदेश सेतु निगम कर रहा है। जबकि संपर्क मार्ग पीडब्ल्यूडी को बनाना है। इसके लिए पीडब्ल्यूडी के प्रमुख अभियंता, लखनऊ ने सीवान डीएम को पत्र भी लिखा है।

नदी के कटाव से निर्माण में बांधा
मालूम हो कि दोनों पुलों के निर्माण में नदी का कटाव बाधक बन रहा है। इंजीनियरों ने बताया कि एप्रोच मार्ग का हिस्सा कटने से उन जगहों पर पिलरों की संख्या बढ़ानी पड़ सकती है। साल में पांच महीने तक बरसात एवं जलजमाव होने के कारण पुल निर्माण बाधित रहा। अब अतिरिक्त पिलर बनाने में भी समय लगेगा।

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