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अच्छे स्वास्थ्य, मानसिक शांति एवं समग्र विकास के लिये मुस्कान जरूरी है,क्यों? - श्रीनारद मीडिया

अच्छे स्वास्थ्य, मानसिक शांति एवं समग्र विकास के लिये मुस्कान जरूरी है,क्यों?

अच्छे स्वास्थ्य, मानसिक शांति एवं समग्र विकास के लिये मुस्कान जरूरी है,क्यों?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

प्रत्येक अक्टूबर के पहले शुक्रवार को यानी इस वर्ष 6 अक्टूबर को विश्व मुस्कान दिवस है। आज मनाए जाने वाले विश्व मुस्कान दिवस के पीछे वॉर्सेस्टर, मैसाचुसेट्स के एक अमेरिकी वाणिज्यिक कलाकार हार्वे बॉल के दिमाग की उपज थी। प्रतिष्ठित स्माइली फेस 1963 में उनके द्वारा बनाया गया था। तब से, इसने सभी के सामूहिक आनंद को कैद कर लिया है। 1999 में पहला स्माइल डे बिना किसी बाधा के उत्साह और धूमधाम से मनाया गया था, क्योंकि मुस्कुराहट एक ऐसी अभिव्यक्ति है जिसमें अनेक समस्याओं एवं परेशानियों के हल समाये होते है।

2001 में, हार्वे के निधन के बाद, ‘स्माइली’ निर्माता को श्रद्धांजलि के रूप में हार्वे बॉल वर्ल्ड स्माइल फाउंडेशन की स्थापना की गई थी। इस दिन को स्थापित करने वाले मैसच्यूसेट्स के आर्टिस्ट हार्वे बाल के अनुसार हम सभी को हर साल एक दिन पूरी दुनिया में मुस्कुराने और दयालु बनने के लिए समर्पित करना चाहिए। क्योंकि मुस्कुराता हुआ चेहरा किसी भी राजनीतिक, भौगोलिक और धार्मिक बातों को नहीं जानता। सिर्फ आज के दिन मुस्कुराने की बजाय आप रोज मुस्कुराने की आदत बनाइये। इससे ना केवल आपकी मुश्किलें आसान होंगी बल्कि आपके चाहने वाले भी आपको देखकर खुश रहेंगे।

अच्छे स्वास्थ्य, मानसिक शांति एवं समग्र विकास के लिये मुस्कान जरूरी है। आज के तनाव, अशांत, चिन्ता एवं परेशानियों के जीवन में मुस्कान की तीव्र आवश्यकता है। क्योंकि हँसना और मुस्कुराना सभी के शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक एवं बौद्धिक विकास में अत्यंत सहायक है। मुस्कान हमारे जीवन की सफलता की चाबी है, वह अनेक समस्याओं का समाधान भी है। मुस्कान दुखी दिल के घावों को भरने वाला मलहम है।

हमारे चेहरे का व्यायाम है और मन का आराम। शोध कहते हैं कि जैसे-जैसे हम बड़े हो रहे हैं, हमारा मुस्कुराना कम हो रहा है। हम इसलिए कम नहीं मुस्कुराते कि हम बूढ़े हो गए हैं। हम बूढ़े ही इसलिए हुए कि हमने मुस्कुराना बंद कर दिया है। करूणामूर्ति मदर टेरेसा ने कहा, शांति की शुरुआत मुस्कुराहट से होती है। आपकी ख़ुशी आपके होठों से शुरू होती है। इस वर्ष आप विश्व मुस्कान दिवस पर, अपने होठों को थोड़ा सा मोड़ना न भूलें। यह संक्रामक होगा और आपके चारों ओर एक सकारात्मक वातावरण तैयार करेगा।

सेहत का एक मंत्र यह है कि आप खुलकर मुस्कुरायें। हमें मुस्कुराना चाहिए और बात-बेबात मुस्कुराते रहना सफल एवं सार्थक जीवन का मंत्र हैं। पर कई बार पूरा पूरा दिन बिना मुस्कान के निकल जाता है। उदासी और बेचैनियों के बादल छाए रहते हैं, मुस्कान की धूप खिल नहीं पाती। मुस्कुराना-हंसना एक ऐसा सकारात्मक भाव है जो व्यक्ति के न केवल आंतरिक बल्कि बाहरी स्वरूप को समृद्धिशाली एवं प्रभावी बनाता है। मुस्कान एक शक्तिशाली भावना है जिसमें व्यक्ति को ऊर्जावान और संसार को शांतिपूर्ण बनाने की क्षमता हैं। यह व्यक्ति के विद्युत-चुंबकीय क्षेत्र को प्रभावित करता है और व्यक्ति में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है। जब व्यक्ति समूह में मुस्कुराता है तो उसकी मुस्कान से सकारात्मक ऊर्जा सम्पूर्ण परिवेश में व्याप्त हो जाती है।

मुस्कुराने वाले व्यक्तियों के कई सारे मित्र बन जातें हैं और इस प्रकार उनमें भाईचारा और एकता की भावना कब उत्पन्न होती हैं, पता ही नहीं चलता। डर, भय, असुरक्षा, आतंकवाद से हर इंसान सहमा हुआ है, तब ‘मुस्कान दिवस’ की अत्यधिक आवश्यकता महसूस होती है। इससे पहले इस दुनिया में इतनी अशांति कभी नहीं देखी गई। इस व्यस्त, अशांत एवं तनावग्रस्त जिंदगी में लोग कम से कम एक दिन तो अपने लिए निकालें और जी भरकर मुस्करायें।

मुस्कान एक उत्तम टॉनिक का काम करती है। प्रमुख विद्वान थैकर एवं शेक्सपियर जैसे विचारकों ने भी इस बात की पुष्टि की है कि प्रसन्नचित व्यक्ति अधिक जीता है। मनुष्य की आत्मा की संतुष्टि, शारीरिक स्वस्थता व बुद्धि की स्थिरता को नापने का एक पैमाना है और वह है चेहरे पर खिली प्रसन्नता। लंदन विश्वविद्यालय की प्रोफेसर सोफी स्कॉट कहती हैं कि, ‘हंसी के द्वारा हमारा अवचेतन मन ये संकेत देता है कि, हम सुकून में हैं और सुरक्षित महसूस कर रहे हैं।

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