…तो इसलिए भारतीय सड़कों पर दोपहर व शाम को होती हैं अधिक दुर्घटनाएं

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

भारत में सड़क नेटवर्क मजबूत हो रहा है, लेकिन उस गति से सुरक्षित यातायात की व्यवस्थाएं सुदृढ़ नहीं हो पा रही हैं। वर्ष 2021 के एनसीआरबी के आंकड़े देखें तो भारतीय सड़कों पर शाम का समय यातायात के लिए सबसे खतरनाक है। बीते वर्ष सर्वाधिक मार्ग दुर्घटनाएं इसी समयावधि में दर्ज की गई हैं।

  • 53.5% रोड एक्सीडेंट भारत में दोपहर 12 बजेसे रात नौ बजे के बीच हुए। यह आंकड़ा वर्ष 2021 का है
  • 20.2% हादसे वर्ष 2021 में शाम छह से नौ बजे के बीच देश की सड़कों पर दर्ज किए गए
  • 17.8% मार्ग दुर्घटनाएं दोपहर तीन से शाम छह बजे के बीच देश में बीते वर्ष हुई
  • 81,410 सड़क दुर्घटनाएं वर्ष 2021 में शाम छह से रात नौ बजे के बीच दर्ज की गईं। वर्ष 2021 में देश में कुल सड़क दुर्घटनाओं की संख्या 4,03,116 रही
  • 14,415 सड़क दुर्घटनाएं तमिलनाडु में शाम छह से नौ बजे तक की अवधि में हुईं। देश में इस समयावधि में मार्ग दुर्घटनाओं की किसी प्रदेश में यह सर्वाधिक संख्या है
  • 9,798 दुर्घटनाएं मध्य प्रदेश में बीते वर्ष शाम छह से रात नौ बजे के बीच हुईं। यह इस समय में दुर्घटनाओं का दूसरा सबसे बड़ा आंकड़ाहै। इसके बाद केरल है जहां इस अवधि में 6,765 दुर्घटनाएं हुई
  • 40,235 रोड एक्सीडेंट वर्ष 2021 में देश में जनवरी में दर्ज किए गए। फरवरी में यह संख्या 36,809 रही
  • 38,028 सड़क दुर्घटनाएं भारत में बीते वर्ष दिसंबर में हुईं। इसी माह कोहरे का प्रकोप सर्वाधिक होता है
  • 13.2% हिस्सेदारी के साथ तमिलनाडु जनवरी में रोड एक्सीडेंट के मामले में सबसे आगे रहा। वहां 5,322 एक्सीडेंट दर्ज किए गए

…तो इसलिए दोपहर व शाम को होती हैं अधिक दुर्घटनाएं

  • विशेषज्ञ कहते हैं कि एक ट्रापिकल देश होने के कारण भारत में दोपहर का भोजन करने के बाद अधिकांश लोगों को सुस्ती महसूस होती है और नींद आती है। ऐसे समय वाहन चलाना खतरनाक हो सकता है। एक झपकी दुर्घटना का कारण बन सकती है।
  • शाम के समय सबसे अधिक दुर्घटनाएं होने के दो प्रमुख कारण हो सकते हैं। पहला दिन ढलने और शाम आने के बीच सड़कों पर रोशनी की कमी होती है। शाम गहरानेपर प्रकाश व्यवस्था सही न होने से भी दुर्घटना की आशंका बढ़ जाती है। भारत में हाईवे, एक्सप्रेसवेपर प्रकाश की व्यवस्था अपेक्षानुरूप नहीं है। शाम के समय एक्सीडेंट का दूसरा बड़ा कारण शराब का सेवन हो सकता है।
  •  जाए।

    बढ़ती सड़क दुर्घटनाओं का कारण

    • कानून प्रवर्तन की समस्या
      केंद्र सरकार ने बीते वर्ष मोटर वाहन अधिनियम में संशोधन कर सड़क दुर्घटनाओं को कम करने के उद्देश्य से इसके प्रावधानों को बेहद कठोर करने का प्रयास किया था, साथ ही वाहन सुरक्षा के लिये नए इंजीनियरिंग मानक लागू किये गए थे, किंतु इसके बावजूद भी सड़क सुरक्षा का जोखिम लगातार बढ़ता जा रहा है। यह इस ओर संकेत करता है कि भारत के कानून प्रवर्तन तंत्र में कहीं-न-कहीं कमी विद्यमान है। कानून प्रवर्तन के लिये ज़िम्मेदार राज्य सरकारें इस ओर उदासीन बनी हुई हैं।
    • यातायात नियमों का उल्लंघन
      आँकड़ों के मुताबिक, देश भर में होने वाली कुल सड़क दुर्घटनाओं में से 76 प्रतिशत दुर्घटनाएँ ओवर स्पीडिंग और गलत साइड पर गाड़ी चलाने जैसे यातायात नियमों के उल्लंघन के कारण होती हैं। स्पष्ट है कि जब तक इन घटनाओं को नहीं रोका जाएगा तब तक देश में सड़क दुर्घटनाओं को कम करना संभव नहीं होगा।
    • ट्रैफिक इंजीनियरिंग
      कुल सड़क दुर्घटनाओं में दोपहिया वाहनों और पैदल चलने वालों की हिस्सेदारी सबसे अधिक है, किंतु इसके बावजूद सड़क यातायात इंजीनियरिंग और नियोजन के दौरान इस विषय पर ध्यान नहीं दिया जाता। भारत में सड़क यातायात इंजीनियरिंग और नियोजन केवल सड़कों को विस्तृत करने तक ही सीमित है, जिसके कारण कई बार सड़कों और राजमार्गों पर ब्लैक स्पॉट (Black Spot) बन जाते हैं। ब्लैक स्पॉट वे स्थान होते हैं जहाँ सड़क दुर्घटना की संभावना सबसे अधिक रहती है।
    • आपातकालीन चिकित्सीय सुविधाओं का अभाव
      देश के अधिकांश राजमार्गों में दुर्घटनास्थल पर प्राथमिक चिकित्सा और पीड़ित को अस्पताल तक ले जाने के लिये परिवहन की अव्यवस्था देखी जाती है, जिसके कारण दुर्घटना में मरने वाले लोगों की संख्या में वृद्धि होती है।
    • निगरानी की कमी
      निगरानी के बुनियादी ढाँचे की अनुपस्थिति के कारण ‘हिट एंड रन’ से संबंधित अधिकांश मामलों में जाँच ही संभव नहीं हो पाती है। आँकड़े बताते हैं कि देश में दोपहिया वाहनों पर दुर्घटना के शिकार होने वाले 73 प्रतिशत लोग हेलमेट नहीं पहनते हैं, जबकि चार पहिया वाहनों का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा सीट-बेल्ट का प्रयोग नहीं करना है।
    • गुणवत्तापूर्ण ड्राइविंग स्कूलों की कमी
      वर्ष 2016 के आँकड़ों के अनुसार, सड़क दुर्घटनाओं के कारण होने वाली 80 प्रतिशत मौतों के लिये वाहन का चालक प्रत्यक्ष रूप से ज़िम्मेदार था। यह आँकड़ा ज़ाहिर तौर पर देश में अच्छे ड्राइविंग स्कूलों की कमी को रेखांकित करता है।

    सड़क सुरक्षा का महत्त्व

    • सड़क परिवहन भारत में यातायात की हिस्सेदारी और राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में योगदान के संदर्भ में परिवहन का प्रमुख साधन है। सड़क परिवहन की मांग को पूरा करने के लिये वाहनों की संख्या और सड़क नेटवर्क की लंबाई में बीते वर्षों में काफी वृद्धि हुई है।
    • देश में सड़क नेटवर्क के विस्तार, गाड़ियों की संख्या में वृद्धि और शहरीकरण का नकारात्मक पक्ष सड़क दुर्घटनाओं में हो रही वृद्धि के रूप में सामने आया है। सड़क दुर्घटना देश में मृत्यु और विकलांगता के प्रमुख कारणों में से एक है, देश को जिसकी भारी सामाजिक-आर्थिक लागत चुकानी पड़ती है।
    • इसके कारण न केवल देश के मानव संसाधन को नुकसान पहुँचता है बल्कि अर्थव्यवस्था भी नकारात्मक रूप से प्रभावित होती है। आँकड़ों के अनुसार, भारत को प्रतिवर्ष सड़क दुर्घटनाओं के कारण होने वाला नुकसान भारत के सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 3 प्रतिशत है।
    • वर्ष 2016 में सड़क दुर्घटनाओं के शिकार लोगों के आँकड़ों पर गौर करें तो पता चलता है कि 18-45 वर्ष के उत्पादक आयु समूह की सड़क घटनाओं में कुल 68.6 प्रतिशत की हिस्सेदारी थी। स्पष्ट है कि भारत को सड़क दुर्घटनाओं के कारण काफी अधिक नुकसान का सामना करना पड़ता है, जबकि इनमें से अधिकांश घटनाओं को समय रहते रोका जा सकता है।

    सरकार द्वारा किये गए प्रयास

    • सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने सड़क सुरक्षा में सुधार के लिये अब तक कई उल्लेखनीय कदम उठाए हैं:
      • मंत्रालय ने राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा नीति के तहत विभिन्न नीतिगत उपायों की रूपरेखा तैयार की है, जिसमें जागरूकता को बढ़ावा देना, सड़क सुरक्षा सूचना डेटाबेस की स्थापना, सुरक्षित सड़क हेतु बुनियादी ढाँचे को प्रोत्साहित करना और सुरक्षा कानूनों का प्रवर्तन आदि शामिल हैं।
      • सड़क सुरक्षा के मामलों में नीतिगत निर्णय लेने के लिये सर्वोच्च निकाय के रूप में राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा परिषद का गठन करना।
      • सड़क सुरक्षा के बारे में बच्चों के बीच जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से ‘स्वच्छ सफर’ और ‘सुरक्षित यात्रा’ नाम से दो कॉमिक बुक्स भी जारी की गई हैं।
      • VAHAN और SARATHI नाम से दो एप भी शुरू किये गए हैं ताकि लाइसेंस और वाहन पंजीकरण जारी करने में होने वाले भ्रष्टाचार को नियंत्रित किया जा सके।
        • VAHAN – वाहन पंजीकरण सेवा को ऑनलाइन संचालित करने हेतु
        • SARATHI – ड्राइविंग लाइसेंस हेतु आवेदन करने के लिये ऑनलाइन पोर्टल
      • ‘सेतु भारतम् कार्यक्रम’ के तहत वर्ष 2019 तक भारत के सभी राष्ट्रीय राजमार्गों को रेलवे क्रॉसिंग से मुक्त किया जाएगा।।

    आगे की राह

    • आवश्यक है कि लोगों के व्यवहार में परिवर्तन का प्रयास किया जाए। हेलमेट और सीट-बेल्ट के प्रयोग को प्रोत्साहित किये जाने की आवश्यकता है, क्योंकि अधिकांश सड़क दुर्घटनाएँ इन्हीं कारणों की वजह से होती हैं। लोगों को शराब पीकर गाड़ी न चलाने के प्रति जागरूक किया जाना चाहिये।
    • दुर्घटना के पश्चात् तत्काल प्राथमिक चिकित्सा उपलब्ध कराना और पीड़ित को जल्द-से-जल्द अस्पताल पहुँचाने की व्यवस्था करना कई लोगों की जान बचा सकता है।
    • दुर्घटना के पश्चात् आस-पास खड़े लोग घायल की जान बचाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकते हैं। आवश्यक है कि आम लोगों को इस कार्य के प्रति जागरूक किया जाए।
    • सड़कों की योजना, डिज़ाइन और संचालन के दौरान सुरक्षा पर ध्यान देना सड़क दुर्घटनाओं में मौतों को कम करने में योगदान दे सकता है।
    • सड़क सुरक्षा के बारे में जागरूकता फैलाने के लिये मास मीडिया और सोशल मीडिया का प्रभावी ढंग से उपयोग किया जाना चाहिये।
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