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इंटरनेशनल अवार्ड से नवाजे जाने पर समाजसेवी ने किया शायरा यूसरा फातिमा को सम्मानित - श्रीनारद मीडिया

इंटरनेशनल अवार्ड से नवाजे जाने पर समाजसेवी ने किया शायरा यूसरा फातिमा को सम्मानित

इंटरनेशनल अवार्ड से नवाजे जाने पर समाजसेवी ने किया शायरा यूसरा फातिमा को सम्मानित
*कहा इतनी छोटी में इतनी बड़ी उपलब्धि
बड़हरिया की बेटी यूसरा पर हमें गर्व है- डॉ अशरफ अली

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श्रीनारद मीडिया, सीवान(बिहार):

सीवान जिला के बड़हरिया प्रखंड के तेतहली गांव के शकील अहमद व अर्शिया फातमा की बेटी यूसरा फातिमा को लेखन के क्षेत्र में ब्रावो इंटरनेशनल बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड्स में नाम दर्ज होने पर समाजसेवी डॉ अशरफ अली सम्मानित किया। युवा शायरा यूसरा फातिमा को समाजसेवी डॉ अशरफ अली ने शुक्रवार को उसके घर पहुंचकर उसे शॉल ओढ़ाकर और डायरी-कलम देकर सम्मानित किया। साथ ही,उन्होंने यूसरा का मुंह भी मीठा कराया है। चार काव्य पुस्तकों का विमोचन होना बड़ी बात नहीं है, लेकिन जिस उम्र में ये पुस्तकें प्रकाशित हुई हैं।

वाकई रह क्षेत्रवासियों के लिए फख्र की बात है। उन्होंने कहा कि उम्र महज 16 साल और चार किताबों का प्रकाशन। दरअसल, इतनी छोटी उम्र में चार किताबों का प्रकाशन यानी बड़ी उपलब्धि को एक्स्ट्रा एक्टिविटी मानकर युसरा फातिमा को यह पुरस्कार मिला है। यूं कहें कि मैक्सिमम बुक्स रिटेन बाइ ए टीन के तहत यह अवार्ड मिला है।

हिन्दी पोयट्री की रचना कर यूसरा फातिमा ने यह साबित कर दिया है कि बड़ी सोच व ऊंचे ख्यालात उम्र के कैद में नहीं है। उसकी इस अंतरराष्ट्रीय अवार्ड से नवाजे जाने पर न केवल उसके गांव तेतहली बल्कि सहित पूरे जिले का नाम रोशन हुआ है। इसको लेकर परिवार में उत्सव-सा माहौल है. किशोरावस्था में सर्वाधिक हिंदी काव्य पुस्तक लिखने वाली युसरा भारत की पहली लड़की बन गयी है।

ऐसे तो उन्होंने छह साल की उम्र में अपनी पहली कविता लिखी थी। लेकिन 12 वर्ष की छोटी उम्र में पहला काव्य संग्रह “जज्बा”प्रकाशित हुआ था।उस वक्त वह आठवीं कक्षा की छात्रा थी।उसके बाद उसका साहित्यिक सफर लगातार जारी रहा। फिर उसका दूसरा काव्य संग्रह ” मेरे हिस्से की कोशिश” का प्रकाशन नोशन प्रेस से 13 वर्ष की उम्र में हुआ था।

14 वर्ष की उम्र में उसका तीसरा काव्य संग्रह ” शाम और तन्हाई” और 29 अप्रैल,2023 को उसके चौथे काव्य संग्रह”बेरुखी” का प्रकाशन हुआ। यूसरा के काव्य संग्रह नारी सशक्तिकरण का परचम है।उसकी कविताओं में दरकते रिश्ते की कसक,रिश्ते के नाम पर बनावटीपन पर नाराजगी है तो सामाजिक जड़ता व रुढ़िवादिता को तोड़ने व खुले आकाश में विचरण करने की बेचैनी भी है। उसकी रचना की एक बानगी-“सकुन तलाश में बहुत दूर निकल गई,बेचैन-सी है बेजान जिंदगी.”
युसरा बताती है कि इन कविताओं की रचना करने में बड़ी बहन सुमैया फातिमा का काफी सहयोग रहा है। इस मौके पूर्व मुखिया एसएम फजले हक,उपमुखिया फजले बारी सहित गणमान्य मौजूद थे।

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