राम विलास के समय से ही साजिश में लगे थे कुछ लोग-चिराग पासवान.

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

लोजपा में चल रहे विवाद के बाद पहली बार राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष चिराग पासवान ने प्रेस कॉन्‍फ्रेंस कर अपना पक्ष रखा। उन्‍होंने कहा कि पिता राम विलास पासवान के रहते ही कुछ लोग उनकी पार्टी को तोड़ने में लग गए थे। इसको लेकर खुद राम विलास ने अपने भाई पशुपति कुमार पारस से पूछा भी था। यह सब तब भी हुआ जब उनके पिता आइसीयू में भर्ती थे। उन्‍होंने कहा कि पिछले विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी हारी नहीं, बल्कि बड़ी जीत दर्ज की। उनकी पार्टी का वोट प्रतिशत पहले से काफी बढ़ा है। सीटें कम आईं जरूर, लेकिन लोजपा ने चुनाव में जीत के लिए अपने सिद्धांतों से समझौता नहीं किया।

पार्टी के संविधान के अनुरूप नहीं चाचा पारस का फैसला

चिराग ने कहा कि लोजपा संसदीय बोर्ड के अध्‍यक्ष और राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष पद से उनको हटाए जाने का फैसला पार्टी के संविधान के अनुरूप नहीं है। उन्‍होंने कहा कि वे इस मुद्दे पर लंबी लड़ाई लड़ने को तैयार हैं। उन्‍होंने कहा कि संसदीय बोर्ड में बदलाव का फैसला केवल संसदीय बोर्ड या राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष ही ले सकते हैं, लेकिन उनके चाचा पशुपति कुमार पारस ने ऐसा नहीं किया।

पार्टी और परिवार दोनों को बचाने का किया प्रयास

चिराग ने कहा कि उन्‍होंने अपनी पार्टी और परिवार दोनों को बचाने का हरसंभव प्रयास किया। उनकी मां रीना पासवान भी लगातार इस कोशिश में लगी रहीं। उन्‍होंने लगातार चाचा पारस और अन्‍य सहयोगियों को आमंत्रित किया कि मिल बैठकर समस्‍याओं पर बात की जाए और उसका निदान निकाल लिया जाए। जब लगा कि यह अब संभव नहीं है, तब उन्‍होंने राष्‍ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक बुलाई और सभी पांच बागी सांसदों को पार्टी से बाहर करने का फैसला लिया गया।

नीतीश कुमार के सामने झुकने को तैयार नहीं

उन्‍होंने कहा कि पिछले विधानसभा चुनाव में उनके सामने कोई दूसरा विकल्‍प नहीं है। मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार की नीतियों से उनकी पार्टी सहमत नहीं थी। ऐसे में उनके साथ चुनाव लड़ना संभव नहीं था। यह जरूर है कि अगर लोजपा, एनडीए के साथ रहकर चुनाव लड़ी होती तो लोकसभा चुनाव की तरह ही राजद का पत्‍ता साफ हो जाता। लेकिन इसके लिए उन्‍हें नतमस्‍तक होना पड़ता। बिहार की सरकार उनके ‘बिहार फर्स्‍ट, बिहारी फर्स्‍ट’ के विजन डॉक्‍यूमेंट पर चलने को तैयार नहीं थी। सात निश्‍चय योजना से राज्‍य का विकास नहीं हो सकता।

जो संघर्ष को तैयार नहीं, उन्‍होंने ही छोड़ा साथ

चिराग ने दिल्‍ली में प्रेस वार्ता करते हुए कहा कि उनकी पार्टी ने समझौते की बजाय संघर्ष का रास्‍ता चुना था। पिता के निधन के बाद उन्‍होंने परिवार और पार्टी दोनों को लेकर चलने का काम किया। इसमें संघर्ष था। जिन लोगों को संघर्ष का रास्‍ता पसंद नहीं था, उन्‍होंने ही विश्‍वास के साथ धोखा किया।

लंबी बीमारी के बीच कर दिया गया खेल

चिराग ने कहा कि उन्‍हें टायफाइड हो गया था। लंबे समय तक वे बीमार रहे। इस दौरान पार्टी में जो कुछ हुआ उस पर नजर बनाए रखना और तुरंत प्रतिक्रिया देना आसान नहीं रहा। उन्‍होंने बताया कि पिता के बीमार होने के बाद से ही वे लगातार परेशान रहे। पिता की बीमारी में वे लगभग 40 दिनों तक बेहद परेशान रहे। चुनाव गुजरा तो वे बीमार पड़ गए। चुनाव के वक्‍त भी चाचा पारस ने उनका साथ नहीं दिया।

लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) के राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष पद के लिए संघर्ष कर रहे चिराग पासवान ने पहली बार माना कि बिहार विधानसभा चुनाव में राजद-कांग्रेस गठबंधन को जीत उनकी वजह से मिली। अपनी पार्टी और परिवार में सिर-फटौव्‍वल होने के बाद मीडिया के सामने उन्‍होंने कहा कि अगर लोजपा बिहार विधानसभा के चुनाव में एनडीए के साथ रहकर लड़ी होती तो नतीजे बिल्‍कुल लोकसभा चुनाव की तरह होते, जिसमें बिहार की 40 सीटों में से 39 उनके गठबंधन के हाथ आई थीं। इसी के साथ उन्‍होंने अपनी मजबूरी भी बताई कि वे किस वजह से एनडीए से बाहर रह कर चुनाव लड़े।

नीतीश कुमार के सामने नतमस्‍तक होना मंजूर नहीं

उन्‍होंने कहा कि बिहार के विकास के लिए उन्‍होंने बिहार फर्स्‍ट, बिहारी फर्स्‍ट नाम से विजन डॉक्‍यूमेंट बनाया था। यह पूरे बिहार से उनके सर्वे पर आधारित एक विचार है, जिसके जरिये बिहार का विकास किया जा सकता है। उन्‍होंने कहा कि मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार और उनकी सरकार इसे अपनाने को तैयार नहीं थी। उन्‍होंने कहा कि सात निश्‍चय योजना के सहारे बिहार विकसित राज्‍यों की कतार में नहीं आ सकता है। उन्‍होंने कहा कि विधानसभा चुनाव में वे एनडीए के साथ तभी आ सकते थे, जब वे बिहार की चिंता छोड़कर नीतीश कुमार के सामने नतमस्‍तक हो जाते।

भाजपा के प्रति चिराग का रवैया अब भी पुराना

अपनी पार्टी में गंभीर चुनौती का सामना कर रहे चिराग का भाजपा और केंद्र सरकार के प्रति अभी भी पुराना रवैया ही है। उन्‍होंने कहा कि वे खुलकर धारा 370, राम मंदिर और ऐसे सभी मुद्दों पर सदन में अपनी बात रखते रहे। उन्‍होंने कहा कि पार्टी आगे भी इसका अनुसरण करेगी। चिराग ने आज शाम दिल्‍ली में एक प्रेस वार्ता के दौरान आरोप लगाया कि उनकी पार्टी को तोड़ने की कोशिश कर रहे लोग सुविधाभोगी हैं और वे बिहार के लिए संघर्ष में शामिल नहीं होना चाहते हैं। चिराग ने बताया कि हाल में उन्‍हें टायफाइड हो गया था। इसी दौरान उनकी पार्टी को तोड़ने की साजिश रची गई।

लोक जनशक्ति पार्टी में घमासान मचा है। दो-फाड़ हो चुकी पार्टी में चिराग पासवान अकेले पड़ गए हैं। एलजेपी संसदीय दल के नता पद पर उनके बागी हो चुके चाचा पशुपति पारस का कब्‍जा है तो पार्टी के अध्‍यक्ष पद से उन्‍हें हटाया जा चुका है। जवाबी कार्रवाई करते हुए चिराग पासवान ने भी सभी बागी पांच सांसदों को पार्टी से निकाल दिया है। राम विलास पासवान की विरासत पर कब्‍जे की इस जंग का क्‍लाइमेक्‍स अभी बाकी है। इस बीच चिराग पासवान ने दिल्‍ली में मीडिया से बातचीत कर अपनी स्थिति व आगामी योजना की जानकारी दी है। अब नजरें गुरुवार को पटना में हो रही एलजेपी की राष्‍ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक पर टिकी हैं।

06:25 बजे: चिराग पासवान के संवाददाता सम्‍मेलन के बाद एलजेपी के नए कार्यकारी अध्‍यक्ष बनाए गए सूरजभान सिंह ने भी जवाब दिया। सूरजभान सिंह ने कहा कि चिराग पासवान चिंता नहीं करें, एलजेपी उनपर कोई कार्रवाई नहीं करेगी। उनका परिवार व उनकी पार्टी भी बरकरार रहेगी।

06:00 बजे: पटना में पशुपति कुमार पारस के समर्थक चिराग के समर्थकों पर संख्‍या में भारी पड़ते दिखे। चर्चा रही कि पशुपति पारस का स्‍वागत करने के लिए सूरजभान ने अपने लोगों को सड़क पर उतार दिया। इसके बावजूद चिराग समर्थकों ने अपना विरोध जारी रखा। यह विरोध पटना एयरपोर्ट के ठीक पास स्थित लोजपा दफ्तर के बाहर भी दिखा।

05:30 बजे: पशुपति पारस पटना एयरपोर्ट पर पहुंचे। वहां एलजेपी के दोनों गुटों के टकराव की आशंका को देखते हुए सुरक्षा कड़ी है। समर्थको से पूरा इलाका पटना हुआ है।

03:50 बजे: चिराग पासवान ने कहा कि बागी सांसदों द्वारा एलजेपी संसदीय बोर्ड के अध्‍यक्ष और राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष पद से उनको हटाने का फैसला पार्टी के संविधान के खिलाफ है। संसदीय बोर्ड में बदलाव का फैसला लेने का अधिकार केवल संसदीय बोर्ड या राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष के पास है, लेकिन पशुपति कुमार पारस ने ऐसा नहीं किया है।

03:40 बजे: चिराग ने कहा कि उन्‍होंने अपनी पार्टी और परिवार दोनों को बचाने की कोशिश की। मां रीना पासवान भी इसके लिए लगी रहीं। चाचा पशुपति पारस और अन्‍य सहयोगियों को मिल-बैठकर बात कर कोई निदान निकालने के लिए कहा। अंत में निराश होकर उन्‍होंने राष्‍ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक बुलाई और सभी पांच बागी सांसदों को पार्टी से निकाल दिया।

03:30 बजे: चिराग पासवान के कहा कि पिछले विधानसभा चुनाव में मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार की नीतियों से एलजेपी सहमत नहीं थी। बिहार सरकार उनके ‘बिहार फर्स्‍ट, बिहारी फर्स्‍ट’ के विजन डॉक्‍यूमेंट पर चलने को तैयार नहीं थी और सात निश्‍चय योजना से बिहार का विकास नहीं हो सकता है। ऐसे में जेडीयू के साथ चुनाव लड़ना संभव नहीं था। चिराग ने कहा कि पिछले विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी का वोट फीसद काफी बढ़ा। एलजेपी ने चुनाव में जीत के लिए सिद्धांतों से समझौता नहीं किया।

03: 20 बजे: चिराग ने बताया कि वे टायफाइड के कारण लंबे समय तक बीमार रहे। इसी दौरान पार्टी में कुछ लोगों ने खेल कर दिया। पिता राम विलास पासवान के बीमार होने के बाद से ही वे लगातार परेशान रहे हैं।

03:15 बजे: एलजेपी के विवाद को लेकर चिराग पासवान ने अपना पक्ष रखा है। उनके अनुसार राम विलास पासवान के जीवित रहते ही कुछ लोग पार्टी तोड़ने की साजिश रचने लगे थे। इसे लेकर खुद राम विलास पासवान ने अपने भाई पशुपति कुमार पारस से सवाल भी किया था। ऐसी साजिश उस वक्‍त भी की गई, जब राम विलास पासवान आइसीयू में थे।

03:00 बजे: पटना में पशुपति कुमार पारस के स्‍वागत मे पोस्टर-बैनर लगाए गए हैं। पोस्‍टर-बैनर से राष्ट्रीय अध्यक्ष रह चुके चिराग पासवान नाम व उनकी तस्‍वीर गायब है। बुधवार को पटना में पशुपति पारस के आने पर एलजेपी के दोनों घटकों के बीच टकराव की आशंका है। इसके पहले चिराग पासवान के समर्थक पांचों बागी सांसदों पशुपति पारस, चंदन सिंह, महबूब अली कैसर,वीणा सिंह और प्रिंस राज के खिलाफ जमकर नारेबाजी कर चुके हैं। चिराग समर्थक एलजेपी कार्यकर्ताओ ने मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार के खिलाफ भी नारेबाजी की और उनके पोस्टर जलाए।

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