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बिहार में सोनू-मोनू गैंग ने पहले भी अनंत सिंह के हत्या की साजिश रची थी - श्रीनारद मीडिया

बिहार में सोनू-मोनू गैंग ने पहले भी अनंत सिंह के हत्या की साजिश रची थी

बिहार में सोनू-मोनू गैंग ने पहले भी अनंत सिंह के हत्या की साजिश रची थी

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

 बिहार के मोकामा से पूर्व विधायक अनंत सिंह पर बुधवार को सोनू-मोनू गैंग ने अंधाधुंध फायरिंग की. करीब 100 राउंड फायरिंग की गई. हालांकि, इस हमले में किसी के हताहत होने की खबर नहीं है. लेकिन यह पहली बार नहीं है जब सोनू-मोनू गैंग ने अनंत सिंह को निशाना बनाया हो. इससे पहले 2018 में भी उनकी हत्या की साजिश रची गई थी. लेकिन उस वक्त पुलिस ने हमला होने से पहले गिरफ्तारी कर ली थी.

50 लाख में ली थी हत्या की सुपारी

साल 2017 में सोनू-मोनु गैंग के कुख्यात मोनू सिंह ने अनंत सिंह की हत्या के लिए 50 लाख रुपये की सुपारी ली थी. उसने इस हाई प्रोफाइल मर्डर के लिए मुंगेर से 6 लाख रुपये में AK-47 राइफल खरीदी और सोनपुर मेले में हत्या की योजना बनाई थी. लेकिन उसकी यह योजना सफल नहीं हो सकी. इसके बाद उसने अनंत सिंह पर हमला करने के लिए दोबारा रेकी की. इस हमले में अनंत सिंह के करीबी मुखिया प्रत्याशी मणि सिंह की हत्या किये जाने का भी प्लान था. लेकिन वो हमला कर पाता उससे पहले ही पुलिस ने मोनू और उसके साथी नीलेश को गिरफ्तार कर लिया था.

सोनू-मोनु गैंग पर कई मामले हैं दर्ज

सोनू कुमार और मोनू कुमार भाई हैं और दोनों मिलकर गैंग चलाते हैं. दोनों के खिलाफ लूट, रंगदारी और हत्या समेत कई संगीन अपराधों के दर्जनों मामले दर्ज हैं. इस गिरोह के तार बिहार-यूपी के साथ-साथ झारखंड, पश्चिम बंगाल और दिल्ली से भी जुड़े हैं. सोनू-मोनू गिरोह का संबंध यूपी के मऊ से विधायक रहे दिवंगत मुख्तार अंसारी से भी रहा है. यह बात खुद मोनू ने 2018 में गिरफ्तारी के बाद पटना पुलिस को बताई थी.

मोकामा के पूर्व विधायक अनंत सिंह उर्फ छोटे सरकार पर बुधवार शाम मोकामा प्रखंड के नौरंगा- जलालपुर गांव में  सोनू-मोनू गैंग ने ताबड़तोड़ फायरिंग कर दी. हालांकि इस गोलाबारी में छोटे सरकार को किसी भी तरह का नुकसान नहीं हुआ और वह पूरी तरह से सुरक्षित है. घटना के बाद नौरंगा गांव को पुलिस छावनी में तब्दील कर दिया गया है.

बाढ़ डीएसपी राकेश कुमार ने सोनू- मोनू गैंग पर फायरिंग की बात स्वीकार की है. हालांकि मोकामा से विधायक रहे अनंत सिंह पहले से ही सुर्खियों में रहे हैं. इसके पीछे वजह है उनके राजनीति करने का तरीका. छोटे सरकार को कभी राष्ट्रीय जनता दल के प्रमुख और लालू यादव ने आरजेडी में शामिल होने का ऑफर दिया था. लेकिन वह उस ऑफर को ठुकराकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ चले गए.

सीएम नीतीश कुमार के साथ छोटे सरकार

लालू का ऑफर ठुकरा नीतीश के साथ गए छोटे सरकार

बिहार की राजनीति में एक समय ऐसा भी आया जब अनंत सिंह को लालू यादव ने अपने साथ आने का प्रस्ताव दिया. हांलाकि छोटे सरकार ने यह ऑफर ठुकरा दिया और नीतीश कुमार के साथ चले गए. इतना ही नहीं, बाढ़ शहर में एक भव्य कार्यक्रम आयोजित कर अनंत सिंह ने अपनी राजनीतिक करियर के शुरुआत का ऐलान किया. लालू का प्रस्ताव ठुकराने पर तत्कालीन राबड़ी देवी की सरकार के इशारे पर अनंत सिंह के पुश्तैनी आवास पर बिहार पुलिस की स्पेशल टीम ने रेड मारी. अनंत सिंह को भारी नुकसान उठाना पड़ा, लेकिन उसका इरादा नहीं डगमगाया.

मोकामा में छोटे सरकार के नाम से जाने जाते हैं अनंत सिंह

अनंत सिंह भूमिहार समाज से आते हैं. मोकामा विधानसभा क्षेत्र भूमिहार बाहुल्य है. इसके अलावा इस इलाके में गरीबी अपने चरम पर है. ऐसे में अनंत सिंह की रॉबिनहुड वाली छवि यहां काम कर जाती है. उदाहरण के लिए इलाके में अगर दहेज के लिए किसी लड़की की शादी नहीं हो रही है और उसका पिता अगर अनंत सिंह ड्योढ़ी पर चला जाता है तो उसे खाली हाथ नहीं लौटना होगा. या तो अनंत सिंह लड़के वाले को डरा धमकाकर शादी के लिए तैयार कर देते हैं

या फिर कुछ खर्चा पानी देकर मामले को सुलझा देते हैं. इसी तरह किसी ने अगर अनंत सिंह को शादी का कार्ड भेज दिया तो वे उसके घर उपहार जरूर भेजते हैं. गांव में अगर अनंत सिंह आए हैं और किसी ने मुखिया की शिकायत कर दी तो छोटे सरकार उसी वक्त सरेआम फटकार लगा देते हैं. यही सब वजह है कि इलाके के लोग अनंत सिंह को सपोर्ट करते आ रहे हैं.

लगातार 4 बार बने विधायक

यूं तो अनंत सिंह 2000 के दशक से ही राजनीति में सक्रिय थे. लेकिन आधिकारिक तौर पर उनकी राजनीति में एंट्री तब हुई जब 2005 में उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी से चुनाव लड़कर विधायक बने. नीतीश कुमार ने भी छोटे सरकार पर भरोसा जताया और उन्हें दो बार 2005 और 2010 में अपनी पार्टी से विधानसभा भेजा. इसके बाद 2015 में जेडीयू और आरजेडी के एक साथ आने पर अनंत सिंह ने मुख्यमंत्री का साथ छोड़ दिया और मोकामा से निर्दलीय जीत दर्ज की. उनकी जीत का सिलसिला 2020 में वह आरजेडी की टिकट पर विधानसभा पहुंचने में कामयाब रहे.

जेल से पत्नी को बना दिया विधायक

बिहार के बाहुबली राजनेता अनंत सिंह को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से बगावत का अंजाम भी भुगतना पड़ा और एक पुराने मामले में जेल जाना पड़ा. 2022 में अवैध हथियार रखने के मामले में छोटे सरकार को विधानसभा के लिए अयोग्य घोषित कर दिया गया. जिसके बाद अनंत सिंह की पत्नी नीलम देवी ने  राजद के टिकट पर मोकामा से उपचुनाव जीता. हालांकि, 2024 में जब जदयू ने फिर से महागठबंधन छोड़ दिया तो नीलम भी जदयू में शामिल हो गईं. इसका फायदा ये हुआ कि अनंत सिंह को 2024 के लोकसभा चुनाव के दौरान 15 दिनों के पैरोल पर रिहा किया गया और साल खत्म होते होते वह भी जेल से बाहर आ गए.

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