16 अप्रैल ? वीर हनुमान प्रकटोत्सव दिवस पर विशेष
श्रीनारद मीडिया, सेंट्रल डेस्क:
धैर्यवान, वीर केसरीनंदन का जन्म लोक मान्यता अनुसार त्रेतायुग के अंतिम चरण में चैत्र पूर्णिमा को मंगलवार के दिन चित्रा नक्षत्र व मेष लग्न के योग में प्रातः 6.03 बजे भारत देश में आज के झारखण्ड राज्य के गुमला जिले के आंजन नाम के छोटे से पहाड़ी गाँव के एक गुफ़ा में हुआ था।
“बजरंग बली” के उज्ज्वल चरित्र और कृतित्व से सम्पूर्ण भारतवर्ष न जाने कितने सदियों से प्रेरणा लेता आया है।
हनुमान प्रतीक हैं उस स्वाभिमान के जिन्होंने ‘बाली’ जैसे महापराक्रमी परन्तु अधम शासक के साथ रहने की बजाए ‘बाली’ के अनाचार से संतप्त ‘सुग्रीव’ के साथ रहना स्वीकार किया था ताकि दुनिया के सामने यह आदर्श स्थापित हो कि सत्य और न्याय के साथ खड़ा होना ही धर्म है।
हनुमान प्रतीक हैं उस “स्वामी-भक्ति” और “राज-भक्ति” के जिन्हें उस समय के सबसे शक्तिशाली साम्राज्य के प्रतिनिधि प्रभु श्रीराम का सानिध्य प्राप्त था परंतु उन्होंने अपने स्वामी सुग्रीव का साथ नहीं छोड़ा और उनके प्रति उनकी राजभक्ति असंदिग्ध रही।
हनुमान प्रतीक हैं उस सेतु के जो उत्तर और दक्षिण भारत को जोड़ती है। जिसने किष्किंधा और अयोध्या को जोड़ा। पेंटिंग बनाने वाले “करण आचार्य” दक्षिण से थे और पेंटिंग वायरल होने लगी दिल्ली में तो इनके पेट में मरोड़ उठने लगी कि अरे ये कैसे हो गया? हमने उत्तर भारत और दक्षिण भारत में कनफ्लिक्ट पैदा करने के लिए जो वर्षों- बर्ष मेहनत की है वो इतनी आसानी से कैसे जाया हो रही है?
हनुमान प्रतीक हैं उस “अनुशासन और प्रोटोकॉल” के जिसका अनुपालन उन्होंने अपने जीवन में हर क्षण किया जबकि ‘हनुमान’ विरोधियों को अनुशासनहीन समाज पसंद है।
हनुमान प्रतीक हैं उस पौरुष के जिस का स्वामी ‘बाली’ जब अधम होकर एक स्त्री पर कुदृष्टि डालने लगा तो उन्होंने उसे सहन नहीं किया और बाली का साथ छोड़ने में एक पल भी नहीं लगाया।
हनुमान प्रतीक हैं स्त्री रक्षण के प्रति उस कर्तव्य के जो किसी और की स्त्री के सम्मान की रक्षा के लिए भी निडर-बेखौफ होकर उस समय के सबसे शक्तिशाली शासक को चुनौती देने उसके राज्य में घुस जाते हैं।
हनुमान प्रतीक हैं उस ‘चातुर्य और निडरता’ के जिनकी वाणी के ओज ने श्री राम को भी मंत्रमुग्ध कर दिया था।
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