कथा मेरा दर्शन है,यह मेरा व्यवसाय नहीं है, कथा में मुझे भगवान राम के दर्शन होते हैं-जगद्गुरु रामभद्राचार्य जी 

कथा मेरा दर्शन है,यह मेरा व्यवसाय नहीं है, कथा में मुझे भगवान राम के दर्शन होते हैं-जगद्गुरु रामभद्राचार्य जी

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बक्सर में श्रीराम की सबसे ऊंची प्रतिमा बनाई जाएगी-जगदगुरू रामभद्राचार्य जी।

श्रीनारद मीडिया,  सेंट्रल डेस्‍क:

सनातन संस्कृति समागम सिद्धाश्रम अहिरौली, बक्सर में चल रहे अध्यात्मिक-साहित्यिक-सांस्कृतिक महोत्सव में राम कथावाचक जगद्गुरु रामभद्राचार्य जी ने गुरुवार को अपनी कथा के सारगर्भित उद्बोधन में विश्वामित्र जी के अयोध्या जाकर राम जी को बक्सर लाने के विनती कि कथा सुनाई। अपने संगीतमय कंठ से राम जी के सौन्दर्य का वर्णन करते हुए बताया कि “शोभा देख ऋषि मुनि के मन मुदित बा।

आज दिन ही में चंद्रमा उदित बा।”
क्योंकि श्रीराम मानवता की रक्षा करते हैं। राम में ‘र’ का मतलब राष्ट्र और ‘म’ का मतलब मंगल होता है।
“हरि बिनु मरही निसचर पापी”।
अतः दशरथ नंदन आप भविष्य के, अयोध्या के नृप को हमें सौंप दें, ताकि इस पृथ्वी का उद्धार हो जाए।

कथा के दौरान उन्होंने कहा बक्सर में श्रीराम की सबसे ऊंची प्रतिमा बनाई जाएगी, भगवान वामन का कोरिडोर स्थापित किया जाएगा एवं माॅ अहिलया के मंदिर का भी जीर्णोद्धार होगा। भगवान राम की सबसे ऊंची प्रतिमा के लिए बक्सर के प्रत्येक परिवार से नौ-नौ रुपए लिए जाएंगे ताकि इस कार्य को सफल किया जा सके। इस कार्य का माध्यम मैं स्वंय और सांसद अश्विनी चौबे होंगे। इस कार्य में मिनिस्टर से लेकर मिस्टर तक चंदा देंगे, मैं स्वयं भी चंदा दूंगा और इस काम को पूरा करवा लूंगा।

 

आगे उन्होंने कहा कि देखिए आज T20 का सेमीफाइनल मैच चल रहा है भारत और इंग्लैंड के बीच, लेकिन क्या आप जानते हैं, भगवान राम बहुत अच्छे क्रिकेटर रहे हैं,क्योंकि बाल्मीकि कहते हैं कि भगवान राम ने अकेले ही करोड़ों रन बनाए हैं जबकि भारत रत्न सचिन तेंदुलकर को मिला।वहीं श्रीराम जीवन भर नॉट आउट रहे,उन्होंने केवल तीन मैच खेला। पहला मैच बक्सर में हुआ जिससे उन्होंने अपनी विजय यात्रा प्रारंभ की, दूसरा मैच उन्होंने दंडकारण्य मैं सेमीफाइनल के रूप में खेला और तीसरा मैच श्रीलंका में हुआ जहां उन्होंने रावण का वध किया।

 

कोई व्यक्ति अपने आठ गुणों से सुशोभित होता है जिसमें बुद्धि, सुंदर चरित्र, आत्म नियंत्रण, शास्त्र अध्ययन, साहस, मितभाषीता, यथाशक्ति दान और कृतज्ञता,ये सारे आठों गुण श्रीराम में उपस्थित है। यही कारण है कि वह हमारी जीवन की संहिता है यानी हमारे जीवन का वह संविधान है और हम भारतीयों से यह देश बना है, इसलिए हमारे संविधान के रक्षक भी श्रीराम है क्योंकि आपको यह जानकारी होनी चाहिए कि जब भारतीय संविधान 1950 में बना था, उस समय संविधान के प्रथम पृष्ठ पर श्रीराम जी का चित्र था।

इससे स्पष्ट होता है भारतीय संविधान को भी सुचारू रूप से चलाने वाले हमारे श्रीराम ही है, इससे भारत का कल्याण होता है।
इस मौके पर फिल्म अभिनेता अखिलेंद्र मिश्र ने अपनी पुस्तक ‘अखिलाअमृत’ जगतगुरु को भेंट की और अपनी कविता के कुछ अंश को पढ़कर सुनाया। जगतगुरु जी ने उन्हें आशीर्वाद देते हुए कहा कि बक्सर में श्रीराम की सबसे ऊंची प्रतिमा बनाई जाएगी, इसके लिए आपसे व सभी अभिनेताओं से हमें सहयोग की अपेक्षा है।
इस मौके पर हजारों की संख्या में श्रद्धालु भक्त विशेषकर महिलाएं कथा श्रवण के लिए उपस्थित रही।

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