अचीवर्स जंक्शन पर भोजपुर डीएम राजकुमार की कहानी.
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
अचीवर्स जंक्शन चैनल अचीवर्स यानी दिग्गजों की कहानी कहने के लिए लोकप्रिय है। चैनल का प्राइम शो है – ‘’ अचीवर्स जंक्शन: सफर मनोज भावुक के साथ ” और इसे होस्ट करते हैं सुप्रसिद्ध कवि, टीवी पत्रकार व संपादक मनोज भावुक।
अमिताभ बच्चन, सुब्रह्मण्यम स्वामी, शारदा सिन्हा, अनूप जलोटा, मालिनी अवस्थी, मनोज तिवारी, रवि किशन, कुमार विश्वास समेत डेढ़-दो सौ शख्सियतों का साक्षात्कार करने वाले मनोज भावुक के इस कार्यक्रम की चर्चा आजकल भोजपुरी क्षेत्र व खासकर पुलिस व प्रशासन विभाग में खूब है। फिल्म, राजनीति व साहित्य के बाद आईएएस व आईपीस की लगातार कहानियाँ सुना रहे हैं भावुक।
हाल ही में रघुनाथपुर, सिवान के रहने वाले इंदौर के पुलिस कमिश्नर हरिनारायण चारी मिश्रा, डेहरी ऑन सोन के रहने वाले पटना के साइबर व आर्थिक अपराध के पुलिस अधीक्षक सुशील कुमार, टेघड़ा, सारण के रहने वाले शिमला के आईजी पुलिस जेपी सिंह व बलिया, उत्तर प्रदेश के रहने वाले लखनऊ के साइबर अपराध के पुलिस अधीक्षक त्रिवेणी सिंह, गाजीपुर के रहने वाले दिल्ली मेट्रो के ड़ीसीपी जितेंद्र मणि त्रिपाठी, झारखंड के वरिष्ठ आईपीस आमोद के कंठ आदि अधिकारियों के अचीवर्स जंक्शन पर हुए साक्षात्कार ने लोगों का ध्यान आकृष्ट किया है। इसी कड़ी में 12 जुलाई, रविवार को इस शृंखला में मेहमान थे रिविलगंज, सारण के रहने वाले आईएएस अफसर व वर्तमान भोजपुर डीएम राजकुमार।
राजकुमार ने अपने करियर की शुरुआत एक शिक्षक के रूप में की थी। वर्ष 1999 में बीपीएससी की ओर से आयोजित शिक्षक नियुक्ति परीक्षा पास करने के बाद छपरा के एक विद्यालय में ही उन्होंने अपनी नौकरी की शुरुआत की। इसके बाद सचिवालय सहायक के तौर पर पटना सचिवालय में कार्य किया। दो बार बीपीएससी की परीक्षा में भी सफलता हासिल की। मुंगेर में बतौर असिस्टेंट रजिस्ट्रार के पद पर रहे। एसडीओ पद पर भी उनका चयन हुआ था लेकिन आईएएस बनने की चाह रखने वाले राजकुमार को वर्ष 2010 में सफलता मिली।
हिंदी विषय से उन्होंने आईएएस की परीक्षा में सफलता हासिल कर बिहार कैडर प्राप्त किया। पूर्णिया सदर एसडीओ के तौर पर सबसे पहले पोस्टिंग राजकुमार की हुई तो उन्होंने अतिक्रमण की गई जमीन को मुक्त कराया था। उस समय उन पर आदिवासियों ने हमला भी किया था लेकिन राजकुमार के दृढ़ निश्चय के आगे अतिक्रमणकारियों को जमीन खाली करनी पड़ी।
तब राजकुमार के प्रयासों की सरकार ने सराहना भी की थी। मधुबनी में डीडीसी के तौर पर भी उन्होंने कई विकास योजनाओं को गति दी थी। इसके अलावा शिवहर में जिला पदाधिकारी के पद को भी सुशोभित कर चुके हैं। शिवहर सूबे का ऐसा जिला था, जहां एक भी डिग्री कॉलेज नहीं था । राजकुमार ने डिग्री कॉलेज की स्थापना में अहम भूमिका निभाई थी।
समाज कल्याण विभाग में बतौर निदेशक उन्होंने सामाजिक सुरक्षा पेंशन योजना को लागू कराने में भी अहम भागीदारी निभाई थी। इसके अलावा निःशक्त लोगों को कृत्रिम अंग प्रदान करने में भी राजकुमार के प्रयासों को सरकार के स्तर पर सराहना मिली थी। मुजफ्फरपुर शेल्टर होम के मुख्य आरोपित बृजेश ठाकुर को जेल के सीखचों में डालने में भी राजकुमार की महत्वपूर्ण भागीदारी रही।
सारण जिले के रिविलगंज बाजार के सामान्य परिवार से आने वाले राजकुमार की प्रारंभिक शिक्षा गांव में ही हुई थी। इसके बाद उन्होंने राजेंद्र कॉलेज छपरा से इंटर, स्नातक व पीजी की पढ़ाई पूरी की है। बीएचयू से बीएड की डिग्री भी हासिल की है।
मिसिंग बच्चों को सुरक्षित उनके घर पहुंचाने के लिए इंडिया टुडे जैसी प्रतिष्ठित पत्रिका ने देश की 50 महत्वपूर्ण शख्सियतों में राजकुमार को शामिल करते हुए कवर पेज पर जगह दी थी। इसके अलावा अमेजन ने भी इनके प्रयासों की सराहना की थी। भोजपुर में बालू के अवैध खनन को रोकना और पुलिस के साथ मिल विधि व्यवस्था बनाये रखने के लिए भी राजकुमार जाने जाते हैं।
अचीवर्स जंक्शन के निदेशक मनोज भावुक ने राजकुमार के पूरे जीवन सफर को एक सिनेमा की तरह प्रस्तुत किया। राजकुमार इस यात्रा में एक योद्धा, एक कर्मयोगी, एक अचीवर, एक लिजेंड की तरह दिखे। गाँव के युवाओं के लिए, गरीब विद्यार्थियों के लिए प्रेरणास्रोत हैं राजकुमार। इस अनोखे कार्यक्रम में राजकुमार के संघर्ष के साथी रवि प्रकाश गुप्ता, बैचमेट मनोज कुमार प्रसाद, मित्र-सहकर्मी आलोक चंद्र कुशवाहा व राकेश कुमार एवं वरिष्ठ पत्रकार सुशील कुमार सिंह ने भी राजकुमार से जुड़ी अपनी यादें साझा की।
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