Notice: Function _load_textdomain_just_in_time was called incorrectly. Translation loading for the newsmatic domain was triggered too early. This is usually an indicator for some code in the plugin or theme running too early. Translations should be loaded at the init action or later. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 6.7.0.) in /home/imagequo/domains/shrinaradmedia.com/public_html/wp-includes/functions.php on line 6121
आज़ाद हिन्द फौज के रणबाकुरों की कहानी - श्रीनारद मीडिया

आज़ाद हिन्द फौज के रणबाकुरों की कहानी

आज़ाद हिन्द फौज के रणबाकुरों की कहानी

०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
priyranjan singh
IMG-20250312-WA0002
IMG-20250313-WA0003
previous arrow
next arrow
०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
priyranjan singh
IMG-20250312-WA0002
IMG-20250313-WA0003
previous arrow
next arrow

श्रीनारद मीडिया, सेंट्रल डेस्‍क:

द्वितीय विश्वयुद्ध में ब्रिटिश सेना के सबसे बड़े बेस सिंगापुर, जिसे पूर्व का जिब्राल्टर कहा जाता था, पर जापानी हमले की आशंका थी ।
अंग्रेज बहुत सयाने थे, उन्होंने यहां अपने कुछ सौ सैनिकों के साथ बड़ी तादाद में अपने गुलाम देशों की सेना सिंगापुर में तैनात की थी, जिसमे करीब 40-45 हजार भारतीयों को ब्रिटीश इंडियन आर्मी के नाम से और ऑस्ट्रेलियाई, अफ्रीकी सेना भी हजारों की संख्या में थी ।

मिलिट्री बेस की दूसरी ओर घना जंगल था जहां से किसी भी तरह के हमले की कल्पना भी नहीं की जा सकती थी, क्योंकि वो जंगल इतना घना था कि वहां से टैंक या सेना किसी भी तरह के सेना के वाहन का आना असंभव था, इसलिए ब्रिटिश सेना ने उस जंगल की ओर सुरक्षा के इंतजाम न के बराबर किये थे,या नहीं किये थे ।
मजे की बात ये है कि 1942 में फरवरी महीने में चले इस युद्ध मे जापान ने ब्रिटिश सेना को सामने से युद्ध मे उलझाए रखा और अचानक पीछे जंगल से इस आर्मी साइकिलों पर सवार हजारों जापानी सेना ने हमला बोल दिया ।

पीछे से हुए इस हमले से निपटने के लिए ब्रिटिश सेना बिल्कुल तैयार नहीं थी, उसने सोचा भी नहीं था कि ऐसा हमला होगा ।
मात्र 36 हजार जापानी सेना ने अपने से दुगनी संख्या वाली ब्रिटिश सेना को हराकर, उसके सभी सैनिकों को बंदी बना लिया ।
भारतीय जवानों को छोड़ ब्रिटिश आर्मी के लिए लड़ने वाले बाकी हर देश के सैनिकों को जापानियों ने मार दिया ।
नहीं, नहीं, गांधी नेहरू के बोलने पर जापानियों ने भारतीयों को नहीं बख्शा, बल्कि जापान की ब्रिटेन से बिल्कुल नहीं जमती थी और महान क्रांतिकारी रास बिहारी बोस जापान के सहयोग से भारत की स्वतंत्रता के लिए अंग्रेजों से आजाद हिंद सेना बनाकर संघर्ष कर रहे थे, इसलिए रास बिहारी जी के कहने पर जापान ने भारतीयों को नहीं मारा ।

35-40 हजार ब्रिटिश आर्मी के उन हिन्दू जवानों को रास बिहारी बोस ने अंग्रेजों के लिए लड़ने की बजाय माँ भारती की आजादी के लिए लड़ने के लिए न सिर्फ प्रेरित किया, बल्कि उन सबकी भर्ती आजाद हिंद सेना में करवाई ।

1943 में आजाद हिंद सेना की बागडोर नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने संभाली और अपनी सेना से ब्रिटिश सेना का बेहिसाब नुकसान किया ।
द्वितीय विश्वयुद्ध में ब्रिटेन पूरी तरह पस्त हो गया, उसकी बहुत बड़ी मानव और वित्त हानि हुई, उसका इतना बुरा हाल हुआ कि अपने गुलाम देशों पर नियंत्रण रखने के लिए उसके पास संसाधन और मनुष्य बल कम पड़ गया ।

उपर से आजाद हिंद सेना के जवान अंग्रेजों की सेना को इतना नुकसान पहुंचाने लगे कि अंग्रेजों का भारत पर नियंत्रण रखना असंभव हो गया था ।
पर 1945 में नेताजी की अचानक हुई अकाल मृत्यु के बाद अंग्रेजों ने राहत की सांस ली पर आजाद हिंद सेना को भारतीय जनता के मिले भरपूर समर्थन से अंग्रेज भी घबरा गए, वे समझ गए कि अब भारत पर राज करना मतलब अपनी मृत्यु को दावत देना है और मजबूरन द्वितीय विश्वयुद्ध के खत्म होने के एक डेढ़ साल के भीतर उन्हें भारत समेत कई देशों को छोड़ना पड़ा ।

बताया जाता है कि अंग्रेजों और आजाद हिंद सेना के संघर्ष में 27 हजार से ज्यादा भारतीय सैनिक वीरगति को प्राप्त हुए थे और हमे पढ़ाया गया कि “दे दी हमे आजादी बिना खड्ग बिना ढाल, साबरमती के संत तूने कर दिया कमाल ।”

और बड़ी बात शायद कम लोगों को पता होगी कि देश के लिए इतना बड़ा संघर्ष करने वाले रास बिहारी और नेताजी की संताने आज भी जापान में रहती है, गुमनाम जिंदगी, जिन्हें शायद कोई जानता होगा । जिन संतानों को हमे गले लगाकर, सिर आंखों पर बैठना था उन्हें आज कोई नहीं जानता,क्यों।

यह भी पढ़े

घनश्याम शुक्ल-ऐगो जुग के अंत…

बिहार में दो दिन का कोल्ड डे का अलर्ट, सामान्‍य से काफी नीचे रहेगा तापमान

गणतंत्र दिवस समारोह में कोविड गाइड लाइन का होगा पालन- एसडीएम

जरूरतमंदों को मिलेगा कम्बल-बीडीओ

11 साल की उम्र में खिलौने बेच खरीदा बिटकॉइन, 21 का होते-होते बन गया करोड़पति

 

Leave a Reply

error: Content is protected !!