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सुदृढ़ लोकतंत्र....सशक्त भारत...बिना किसी भेदभाव के वोट देने का अधिकार - श्रीनारद मीडिया

सुदृढ़ लोकतंत्र….सशक्त भारत…बिना किसी भेदभाव के वोट देने का अधिकार

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

लोकतांत्रिक शासन प्रणाली में बिना किसी भेदभाव के नागरिकों को वोट देने का अधिकार होता है। आजादी के लगभग 72 साल बाद जम्मू-कश्मीर में सदियों से रह रहे वाल्मिकी समुदाय के लोगों को वोट का अधिकार मिला। यह अत्यंत दु:खद स्थिति है कि …जो समुदाय लगभग 75 सालों से जम्मू-कश्मीर में मैला ढोता रहा, ऋषि कश्यप की घरती को गंदगी-मुक्त करता रहा,

….वो दलित वाल्मिकी समुदाय…इतने वर्षों तक सामान्य मानवीय अधिकार से भी वंचित रहा। धारा 370 एवं 35A हटने के बाद हीं ….वह समुदाय….. राज्य का विधिवत निवासी हो पाया। राधिका गिल ….याद तो होगी हीं। जम्मू-कश्मीर की वह प्रतिभाशाली लड़की…जो इसी दलित वाल्मिकी समुदाय से आती है…और …सारी योग्यता पूरी करने के बाद भी …वह राज्य में इसलिए नौकरी नहीं पा सकी कि …वह और उसका समुदाय राज्य में सिर्फ मैला ढोने के लिए है…

न कि राज्य में इससे ज्यादा कुछ और सोचने और करने के लिए। एक लोकतांत्रिक समाज में …किसी भी समुदाय को मानवीय गरिमा से जानबूझ कर वंचित रखना एक तरह से मानवता के विरूद्ध अपराध हीं है। सभ्य समाज को …कश्मीर का कीचड़ साफ करने वाले इन ‘स्वच्छता के सिपाहियों’ से माफी मांगनी चाहिए …और दोषियों को कड़ा दंड मिलना चाहिए..जिन्होंने इन्हे सामान्य नागरिक अधिकारों से अब तक वंचित रखने की साजिश रची।

जम्मू-कश्मीर की पहचान ऋषि कश्यप से है, शारदा पीठ से है, अाध्यात्म एवं कला से है जहां मानवीय संवेदना की स्वरलहरी गूंजनी चाहिए….वहां …..एक समुदाय की कराह वहां के शासक वर्ग के कानों तक नहीं पहुंची? लानत है।

…देर से हीं सही, राज्य निर्वाचन आयोग के नए आदेश से …..एक बड़ी संख्या में मतदाता …अपने मताधिकार का प्रयोग कर सकेंगे। यह जम्मू-कश्मीर में लोकतंत्र की जीत है। साथ हीं ……शेष भारत के नागरिक जो कश्मीर में रहकर वहां की प्रगति में अपना योगदान दे रहे हैं…वे भी राज्य में अपने मताधिकार का प्रयोग कर सकेंगे।

यहां बाहरी, भीतरी जैसा कुछ भी नहीं है। हम सब भरतवंशी हैं। एक भारत के निवासी है। जैसे केरल, वैसे हीं कश्मीर। ऋषि कश्यप की धरती पर मानवता का आदर होना हीं चाहिए। यहीं कश्मीरियत है।

सुदृढ़ लोकतंत्र….सशक्त भारत….!

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